GNM first year, Bio-science, Anatomy, Tissue उत्तक, Connective Tissue & Mascular Tissue

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आज आप सभी के बीच में GNM First Year के सबसे महत्त्वपूर्ण विषय Bio Science ( Anatomy Physiology And Microbiology) से प्रशन को लिया गया हैं जिसका विवरण चर्चा नीचे दिए गए हैं। तो चलिए देखते हैं।

बात करें प्रशन में जो प्रथम प्रशन है कोशिका संरचना के बारे में Tissue उत्तक के बारे में और दूसरा प्रशन हैं Types of Tissue, उत्तक के प्रकार के बारे में।



Q. ऊतक किसे कहते हैं? ऊतक के प्रकार बताइए।

What is tissue? Write down the types of tissues.


उत्तर- मानव शरीर में एक समान संरचना तथा एक समान कार्यों वाली कोशिकाओं के समूह को ऊतक (tissue) कहते हैं। मानव शरीर का निर्माण निम्न ऊतकों से मिलकर बनता है-


1. उपकला ऊतक (Epithelial tissue)

2. संयोजी ऊतक (Connective tissue)

3. पेशीय ऊतक (Muscular tissue)

4. तंत्रिका ऊतक (Nervous tissue)


Q. संयोजी ऊतक क्या है? इसके प्रकारों का वर्णन करो।

What is connective tissues? Explain its types.


उत्तर- - संयोजी ऊतक मीजोडर्म (mesoderm) या मीजेनकाइम (mesen chyone) से बनते हैं। ये निष्क्रिय ऊतक होते हैं, ये ऊतक एक दूसरे से भिन्न होते हैं लेकिन आपस में सम्बन्ध रखते हैं। इनकी कोशिकाएँ अलग-अलग होने के कारण रिक्त (space) बनाती हैं, इनमें अन्तर्कोशकीय पदार्थ (intercellular substance) भरा हुआ होता है, जिसे मैट्रिक्स (matrix) कहते हैं।

 संयोजी ऊतक की कोशिका में कई अवयव पाए जाते हैं जैसे- फाइब्रोब्लास्ट, हिस्टिओसाइट्स, प्लाज्मा कोशिकाएँ, मास्ट कोशिका, वसीय कोशिका, पिगमेंट कोशिका, आधारीय पदार्थ (ground substance)


 संयोजी ऊतक निम्न प्रकार के होते हैं-


1. तन्तुमय ऊतक (Fibroblasts, fibrocytes or fibrous tissue) –

 ये ऊतक असंख्य होते हैं, ये श्लेशजन तन्तुओं (fibers) के सहयोग से शरीर का निर्माण करते हैं। 

 ये तन्तु कला (membranes ) तथा स्नायुओं (ligaments) में पाए जाते हैं। 

ये ऊतक संधियों के 'कैप्सूलों में भी रहते हैं।

 ये ऊतक भिन्न-भिन्न शरीर के ऊतकों को जोड़कर अंगों के भागों को जोड़ते हैं तथा अंगों को लचीलापन एवं मजबूती प्रदान कर सुरक्षा करने में भी सक्षम होते हैं।


2. अवकाशी ऊतक (Areolar tissue) - 

यह ऊतक पेशियों के बीच में, त्वचा के नीचे, श्लेष्मल कला (mucous membrane), रक्तनलिकाओं (blood vessels) व तंत्रिकाओं (nerves) के चारों ओर स्थित होते हैं।

 ये ऊतक कोमल, लचकदार तथा पारदर्शक होते हैं। अवकाशी ऊतक (areolar tissue) विभिन्न अंगों के ऊतकों को जोड़ने का कार्य करते हैं।


3. वसामय या वसीय ऊतक (Adipose tissue) • वसामय ऊतकों की कोशिकाओं (cells) में मुक्त रूप से वसा मौजूद रहती है।

 ये ऊतक अधस्त्वचीय (subcutaneous), मस्तिष्क की गुहा (cranial cavity), नेत्रों की पलकें, शिशन (penis), लघु danda) में अधिकता में मौजद रहते हैं।


4. श्लेष्मल ऊतक (Mucous tissue) - 

श्लेष्मल ऊतकों को भ्रूणीय ऊतक (embryonal tissue) भी कहते हैं, क्योंकि इनकी अधिकता शिशु की नाभि (umbilical cord) में होती है। 

 इनके आधारी द्रव्य (ground substance) में श्लेष्मा (mucin) भरपूर मात्रा में होता है।

 यह वयस्कों (adults) के नेत्र काचाभ द्रव (vitreous body fluid) में भी पाया जाता है।


5. लचीला पीत ऊतक (Yellow elastic tissue) – ये ऊतक 'इलास्टिन' (elastin) नामक प्रोटीन से बने होते होते हैं। -

 इस तंतुओं में प्रत्यास्थत (elasticity) या लचीलापन रहता हैं। इसके तन्तु रेशे पीले व मोटे होते हैं।

 ये ऊतक कण्च्छद (epiglottis), बाह्य कान (external ears), रक्त वाहिनियों, श्वास नलिकाओं, फेफड़ों तथा स्वर यंत्रों में पाए जाते हैं।


6. उपास्थि ऊतक (Cartilage tissues) - ये उपास्थि ऊतक कोशिकाओं, कॉन्डोब्लास्ट्स (chondroblasts) एवं प्रचुर मात्रा में आधारीय पदार्थ (ground substance or matrix) के मिलने से बनते हैं।

 ये ऊतक श्वेत रंग के कठोर व लचीले हल्के पारदर्शक होते हैं। ये वयस्कों की अस्थियों के जोड़ों में होते हैं, ये अस्थियों को घर्षण से बचाते हैं उपास्थि ऊतक तीन प्रकार के होते


(a) हायलिन उपास्थि (Hyaline or true cartilage)


(b) तन्तुमय उपास्थि (Fibro cartilage)

(c) इलास्टिक उपास्थि (Elastic cartiage)


7. लसिकाभ ऊतक (Lymphatic tissues) – 

इन ऊतकों में रोगों से लड़ने की क्षमता वाले पदार्थों (immunizing - substance) का निर्माण होता है।

 ये ऊतक लसिका पर्वो (lymph nodes), प्लीहा (spleen), एपेंडिक्स, थाइमस ग्रंथि छोटी व बड़ी आँतों की श्लेष्मा कला (झिल्ली) व लसिका ग्रंथियों में समूहों में एवं अधिक मात्रा में होते हैं।


8. जालीदार ऊतक (Reticular tissues) – 

ये ऊतक समस्त शरीर में फैले रहते हैं और इन्हीं के द्वारा अंगों, ढाँचे - (frame) तथा उपकला और ऊतकों के लिए आधारीय कला (basal membrane) का निर्माण होता है।

 इस प्रकार के ऊतक असि मज्जा (bone marrow), यकृत, प्लीहा एवं अन्य अंगों में पाए जाते हैं।


9. अस्थिल ऊतक (Osseousor bone tissue) – 

यह ऊतक सबसे कठोर, मजबूत ऊतक होता है. जिसके संयोजन से - अस्थियों का निर्माण होता है।

 इसकी अस्थि कोशिकाएँ (bone cells), कैल्सियम फॉस्फेट (calcium phasphate), कैल्सियम कार्बोनेट (calcium carboinate) तथा खनिज लवणों (mineral salts) से बनी होती हैं।

 ये तीन प्रकार की होती हैं-ऑस्टियोसाइट, ऑस्टियोब्लास्ट एवं ऑस्टियोक्लास्ट।


10. रक्तोत्पादक ऊतक (Haemopoetic tissues)

 यह ऊतक जीवनदायक एवं द्रव्य संयोजी ऊतक (fluid - connective tissue) होता है।

 ये ऊतक सारे शरीर की रक्त नलिकाओं में धारा प्रवाह निरंतर गतिशील रहता है।

 रक्त शरीर की कोशिकाओं में आक्सीजन पहुँचाता है और व्यर्थ पदार्थों तथा गैसों को शरीर से बाहर निकालता है।


प्रश्न 12. पेशीय ऊतक क्या है? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।

What is muscular tissue? Explain its types.


उत्तर- पेशीय ऊतकों को माँसेपेशी (muscle) भी कहते हैं, जो संकुचन तंतुओं से मिलकर बनती हैं। 

इन ऊतकों में चालकता (conductivity), लचीलापन (elasticity) व उत्तेजनशीलता (irritability) का गुण होता है। 

इन ऊतकों में तंत्रिकाओं (nerves) का जाल फैला होता है। ये ऊतक तीन प्रकार के ऊतकों से मिलकर बने होते हैं 

ये निम्नलिखित हैं-


1. ऐच्छिक पेशी (Voluntary Muscle ) - 

ऐच्छिक पेशी अस्थियों से जुड़ी होती हैं. इसको रेखित पेशी (striated muscle) भी कहते हैं। 

ये पेशियाँ अनेक तंतुओं (fibers) के समूह से मिलकर बनती हैं जो आपस में संयोजी ऊतकों (connective tissues) द्वारा जुड़ी होती हैं। 

ये तंतु आकृति में बेलनाकार (cylindrical) होते हैं, इनके सिरे पतले होते हैं।


2. अनैच्छिक या अरेखित पेशी ( Involuntary Muscles) –

 इन पेशियों को चिकनी पेशी भी कहते हैं, इन पेशियों में - लम्बे तंतु होते हैं, जिसकी कोशिका के मध्य में एक केन्द्रक (nucleus) व कोशिका द्रव्य होता है।

 इन पेशियों में पट्टी या रेखा नहीं होती है, इसीलिए इन पेशियों को अरेखित पेशी भी कहते हैं, आतंरिक अंगों से जुड़ी होने के कारण इनको अंतरागी पेशी (visceral muscles) भी कहते हैं।


3. हार्दिकी पेशी (Cardiac Muscle ) –

 यह पेशी केवल हृदय में ही होती है, हृदय की पेशियों का अलग से कोशिकीय - तंत्र (cell network) होता है, इसकी कोशिकाएँ ताल-मेल के साथ एक लय (rhythm) में कार्य करती हैं, जिससे संकुचन (contraction) होता है। 

इन पेशियों में बिना विश्राम करे हमेशा स्वचालित स्पद संकुचन (automatic rhythmic contraction) की क्रिया होती रहती है।


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