Medical Surgical Nursing-I, GNM 2nd Year, Important Definitions or Terminology

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आज आप सभी के बीच में GNM Second Year मेडिकल सर्जिकल नर्सिंग के Important Questions Answers को लाया गया हैं। जो आपके Exam के लिए महत्त्वपूर्ण साबित होगा। तो चलिए देखते हैं। 


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डायलिसिस (Dialysis) - 
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा शरीर से अपशिष्ट पदार्थों (waste products) को दाब एवं विसरण द्वारा बाहर निकाला जाता है।

प्रवाह (Inflammation) - 
यह जीवित ऊतकों की किसी चोट या संक्रमण के दौरान होने वाली स्थानीय प्रतिक्रिया है। जो कि सुरक्षात्मक प्रकृति की होती है। शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाली प्रदाही स्थितियों को अनुलग्न (suffix) -आइटिस (-itis) जोड़कर लिखा जाता है।

• कार्डियोजेनिक शॉक (Cardiogenic Shock) - 
हृदय की बीमारी, चोट, मायोकार्डियल इन्फार्कशन के कारण शरीर को रक्त प्रवाह की कमी होने से उत्पन्न होने वाला शॉक कार्डियोजेनिक शॉक कहलाता है। 


हाइपोवोलेमिक शॉक (Hypovolemic Shock) - 
किसी भी कारण से शरीर में से अत्यधिक मात्रा में तरल या रक्त स्त्राव होने के कारण से उत्पन्न होने वाला शॉक हाइपोवोलेमिक शॉक कहलाता है।

•. एनाफायलेक्टिक शॉक (Anaphylactic Shock ) - 
किसी भी गम्भीर एलर्जिक रिएक्शन (allergic reaction) के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाला शॉक एनाफायलेक्टिक शॉक (anaphylactic shock) कहलाता है।

 सेप्टिक शॉक (Septic Shock )
अत्यधिक गम्भीर संक्रमण (severe infection) के कारण उत्पन्न होने वाला शॉक सेप्टिक शॉक कहलाता है। जैसे- मूत्रनलिका संक्रमण (UTI), श्वसन तन्त्र संक्रमण (RTI) आदि।



 न्यूरोजनिक शॉक (Neurogenic Shock ) - इसमें तंत्रिका तंत्र (nervous system) को गम्भीर नुकसान पहुँचने के - कारण उत्पन्न होने वाला शॉक न्यूरोजनिक शॉक कहलाता है। जैसे- नर्व (nerve) में चोट, तंत्र का उत्तेजित होना आदि।

 एम्बोलिज्म (Embolism) - 
किसी भी तरल गैस या ठोस रूप में गतिशील पदार्थ को एम्बोली कहा जाता है जोकि किसी भी कारण शरीर की रक्त वाहिनियों में प्रवेश कर जाता है और रक्त वाहिनियों में बह रह रक्त प्रवाह में रूकावट पैदा करता है। इसके बनने की प्रक्रिया को ही एम्बोलिज्म (embolism) कहते हैं। लगभग 90% एम्बोली थ्रोम्बस (thrombus) के अपने स्थान से हटने के कारण बनते हैं। 

होमियोस्टेसिस (Homeostasis) -
 मानव शरीर के आन्तरिक वातावरण को स्थिर अवस्था में बनाए रखने की प्रक्रिया ही होमियोस्टेसिस (homeostasis) कहलाती है। (Homeostasis is the process of maintaining the

internal environment of the human body).

हाइपोनेट्रेमिया (Hyponatremia) - 
जब शरीर में सीरम सोडियम (serum sodium) का स्तर 135mEq / L से कम हो जाता है तो यह स्थिति hyponatremia कहलाती है।

• हाइपरनेट्रेमिया (Hypernatremia) - 
जब शरीर का सीरम सोडियम स्तर 145mEq / L से अधिक हो जाता है तो यह स्थिति hypernatremia कहलाती है।

हाइपोकेलेमिया (Hypokalemia) - 
जब शरीर का सीरम पोटेशियम (serum potassium) स्तर 3.5mEq / L से कम हो जाता है तब यह स्थिति hypokalemia कहलाती है।

हाइपरकैलेमिया (Hyperkalemia)

जब शरीर का सीरम पोटेशियम (serum potassium) स्तर 5.1 mEq/litre से अधिक हो जाता है तो यह स्थिति हाइपरकैलेमिया कहलाती है।

हाइपोकैल्शिीमिया (Hypocalcemia) - 
जब शरीर का सीरम कैल्शियम (serum calcium) स्तर 8.6mg/dL से कम हो जाता है तो यह स्थिति हाइपोकैल्शीमिया कहलाती है।

हाइपरकैल्शीमिया (Hypercalcemia) -
 जब सीरम कैल्शीयम (serum calcium) स्तर 11 mg/dL से अधिक हो जाता है तो यह स्थिति हाइपरकैल्शीमिया कहलाती है।


क्रोनिक ब्रोन्काइटिस ( Chronic Bronchitis)
ब्रोन्काई का दीर्घकालीन इनफ्लामेशन (chronic inflammation of the bronchi) ब्रोन्काइटिस कहलाता है। काफी लम्बे समय से दिन के अधिकांश समय खाँसी उठना तथा श्वसन नलिका में प्रदाह होना chronic bronchitis होने की संभावना को प्रदर्शित करता है।

 एम्फाइसेमा (Emphysema) – 
यह एक chronic pulmonary disease है जिसमें lung alveoli का असामान्य - विस्तारण (abnormal dilatation) हो जाता है।

 क्षय रोग या तपेदिक (Pulmonary Tuberculosis or T.B.) क्षय रोग एक संक्रामक रोग है जो - माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु द्वारा फैलता है एवं मुख्य रूप से व्यक्ति के फफड़ों को प्रभावित करता है।

एम्फाइमा (Empyema) 
प्लूरल केविटी (pleural cavity) में मवाद (pus) एवं अपघटित ऊतकों (necrotic tissue) का जमाव होना empyema कहलाता है।

गैस्ट्राइटिस (Gastritis) - 
आमाशय की श्लेष्मा कला का इन्फ्लामेशन गैस्ट्राइटिस कहलाता है। -. एक्यूट गैस्ट्राइटिस (Acute Gastritis) - गैस्ट्रिक म्यूकोसा का अचानक inflammation होना एवं अचानक लक्षण प्रकट होना acute gastritis कहलाता है। यह कम समयावधि के लिए होती है।

क्रोनिक गैस्ट्राइटिस (Chronic Gastritis) - 
गैस्ट्रिक म्यूकोसा का दीर्घकालीन inflammation होना chronic gastritis कहलाता है। यह लम्बे समय तक रहती है।


 पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer) - 
ग्रसनी, आमाशय एवं अग्रांत की mucous membrane का क्षतिग्रस्त होना एवं घाव बनना peptic ulcer कहलाता है। यह घाव आहार नली की musculoris mucosa तक गहरे हो सकते हैं।

अपेन्डिसाइटिस (Appendicitis) - छोटी आंत एवं बड़ी आंत के संयोजक स्थल पर पाए जाने वाले vermiform appendix में प्रदाह होना एपेन्डिसाइटिस कहलाता है।

 हेपेटाइटिस (Hepatitis) - लिवर का प्रदाह (inflammation of the liver) हेपेटाइटिस कहलाता है। यह एक तीव्र संक्रमण रोग है, Entero virus इसका रोगकारक होता है। यह oro-faecal मार्ग द्वारा फैलता है। यह मुख्यतः पाँच प्रकार का होता है - Hepatitis A, B, C, D, E.


लिवर सिरोसिस (Liver Cirrhosis) 
यह यकृत का एक रोग है जिसमें लिवर का अधिकांश हिपेटोसाइट - (hepatocyte) नष्ट हो जाता है एवं उनके स्थान पर फाइबर ऊतक एवं कठोर तन्तु ऊतक जमा होने से यकृत ठोस, कड़ा, निर्जीव एवं कार्यहीन हो जाता है।

कोलीलिथियासिस (Cholelithiasis) 
पित्ताशय में पथरी का निर्माण होना, कोलीलिथियासिस कहलाता है। (Formation of calculus or stone in the gall bladder is known as cholelithiasis).

डायबिटीज मैलिट्स या मधुमेह (Diabetes Mellitus) 
डायबिटीज मैलीटस (मधुमेह) एक chronic metabolic disease है जोकि शरीर में अग्नाशय (pancreas) की बीटा कोशिकाओं (p-cells) के द्वारा स्त्रवित होने वाले insulin hormones के hyposecretion के कारण होती है। इसमें रक्त में ग्लूकोज की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है एवं मूत्र के साथ भी उत्सर्जित होने लगती है।

गुर्दा प्रत्यारोपण (Kidney Transplantation) - 
गुर्दा प्रत्यारोपण एक प्रकार की शल्यक्रिया होती है, जब रोगी की किडनी हमेशा के लिए सामान्य रूप से कार्य करना बंद कर देती है तो ऐसे रोगी में स्वस्थ किडनी प्रत्यारोपित की जाती है। स्वस्थ किडनी जीवित या मृत दाता से प्राप्त की जाती है।

 लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) - 
इसमें लेजर किरणों को shock waves के रूप में प्रयोग किया जाता है एवं renal stone पर आघात किया जाता है जिससे stone टूटकर बिखर जाता है एवं मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है। 

सिस्टोस्कोपी (Cystoscopy) • जब पथरी urinary bladder या urethra में हो तो मूत्र द्वार के रास्ते में कैमरा - युक्त scope अन्दर डाला जाता है एवं stone को पकड़कर बाहर निकाल लिया जाता है।
बी.पी.एच (Benign Prostate Hypertrophy) 
यह एक रोग है जिसमें पुरुष की प्रोस्टेट ग्रन्थि का आकार - अधिक बड़ा हो जाता है जिसके कारण मूत्र मार्ग अवरूद्ध हो जाता है।

- स्ट्रोक (Stroke) 
स्ट्रोक एक ऐसी अवस्था है जिसमें रोगी के मस्तिष्क में होने वाली रक्त प्रवाह में अचानक रूकावट के कारण O, की कमी हो जाती है जिससे मस्तिष्क के ऊत्तक नष्ट होने लगते हैं एवं मस्तिष्क की सामान्य कार्यक्षमता प्रभावित हो जाती है।

बर्गर रोग (Buerger's Disease) 
यह एक ऐसा रोग है जिसमें छोटी एवं मध्यम आकार की धमनियों (arteries) में प्रदाह होने से वहाँ lesion एवं thrombus निर्माण हो जाता है जिससे प्रभावित अंग को रक्त प्रवाह कम हो जाता है। इसे thromboanagiitis obliterans भी कहते हैं। 




पीड़ाहारी (Analgesics) 
– ये दर्द को कम करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- एस्प्रिन आदि।

 ज्वरनाशक (Antipyretics)

 • ये बुखार को कम करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- पैरासिटामॉल आदि।

प्रतिजैविक (Antibiotics) 
– ये दवाएं विभिन्न जीवित सूक्ष्मजीवों के उत्पाद एवं उनकी वृद्धि को रोकने एवं उन्हें नष्ट - करने के लिए दी जाती हैं जैसे- penicillin, tetracycline आदि ।

संवेदनाहारी (Anaesthetics) –
 यह संवेदनाओं को खत्म करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- xylocaine आदि ।
 • प्रदाहरोधी (Anti inflammatory) - 
यह शरीर में विभिन्न प्रकार के होने वाले प्रदाह को कम करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- ibuprofen आदि।

स्कन्दनरोधी (Anticoagulant) - 
यह रक्त के थक्के बनने की क्रिया को रोकने वाली या कम करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- हीपेरिन (heparin) आदि।

अम्लविरोधी (Antacid) - 
यह आमाशयिक स्रावों में होने वाली क्रियाशीलता को कम करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- एल्युमिनियम हाइड्रोक्साइड आदि ।

हिस्टेमाइनरोधी (Antihistamines) – 
यह व्यक्ति में होने वाली एलर्जी से बचाव एवं उपचार करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- avil आदि।

आक्षेपरोधी (Anticonvulsants) –
 यह आक्षेपों का उपचार करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- Phenobarbitone आदि।


कफरोधी (Antitussive) - 
यह कफ (cough) को reflex कर अवरूद्ध करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- कोडीन (codeine) आदि।

 दमारोधी (Antiasthmatic) – 
यह दमा से आराम दिलाने वाली या दमा को कम करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- साल्ब्यूटामोल (salbutamol) आदि ।

प्रतिकारक (Antidots) - 
यह शरीर में विष के प्रभावों को कम करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- एन्टीडोट प्लस आदि। 
यक्ष्मारोधी (Antitubercular) - 
यह तपेदिक का उपचार करने वाली दवाएं होती हैं तथा यह वमनरोधी भी कहलाती हैं जैसे- ethambutol आदि।

कवक रोधी (Antifungal) जैसे- nystatin आदि। यह fungus की वृद्धि को कम करने वाली एवं उसे नष्ट करने वाली दवाएं होती हैं।

पूयरोधी (Antiseptic) -
 यह जीवाणुओं की वृद्धि को रोकने वाली दवाएं होती हैं जैसे- सेवलोन (savlon) आदि।

जिजीवाइटिस (Gingivitis) - मसूड़ों का प्रदाह होना (Inflammation of the gums) । 


पायरिया (Pyorrhoea) - यह दातों के चारों ओर पाए जाने वाले tissue की inflammatory disease है।

डेन्टल केरीज (Dental caries) -
 दाँतों का breakdown, dental caries कहलाता है। इसे tooth decay या tooth cavities भी कहते हैं। 

हेलिटोसिस (Halitosis) मुँह से बदबू का आना halitosis कहलाता है।

एकलेसिया (Achalasia) - यह एक oesophageal disorder है जिसमें cardiac sphincter के शिथिल (relax) हो जाने के कारण oesophagus से आमाशय में जाने वाले भोजन मार्ग में बाधा उत्पन्न हो जाती है।


 गैस्ट्रोएन्टेराइटिस (Gastroenteritis) आमाशय तथा छोटी आँत की lining में होने वाला प्रवाह gastroenteritis कहलाता है।

एनल फिस्टुला (Anal Fistula) 
- Anal canal तथा perianal skin के मध्य पाए जाने वाले abnormal communication or opening को फिस्टुला कहते हैं।

एनल फिशर (Anal Fissure)
 एनस की lining में पाए जाने वाला small tear या crack, anal fissure कहलाता है।

. रोग (Illness or Disease ) - 
रोग शरीर की एक ऐसी अवस्था है जिसमें शरीर का एक अथवा अनेक भाग कार्य करने में असमर्थ हो जाते हैं।

• थ्रोम्बोसिस (Thrombosis)
रक्त परिवहन के किसी भी भाग में रक्त का थक्का (blood clot) बनना ही थ्रोम्बोसिस (thrombosis) कहलाता है जो कि रक्त प्रवाह में रूकावट पैदा करता है।

तीव्र ग्रहिता (Allergy) 
तीव्रग्राहिता एक असामान्य स्थिति है जिसमें body tissue किसी बाहरी एन्टीजन - (antigen) या एर्लजन (allergen ) के प्रति अत्यधिक प्रतिक्रिया दर्शाते हैं। सामान्यतः टाइप-1 अतिसंवेदनशीलता को ही तीव्र ग्रहिता (allergy) कहा जाता है।

 अस्थमा या दमा (Asthma)
 दमा या अस्थमा श्वसन नली का एक ऐसा रोग है जिसमें bronchus में inflammation हो जाता है तथा सांस नली की पेशियाँ सिकुड़ (spasm) जाती हैं। अतः अधिक मात्रा में बलगम का निर्माण होता है जिससे श्वसन मार्ग संकरा हो जाता है और रोगी को सांस लेने में परेशानी हो जाती है।
- ट्रेकियोस्टोमी (Tracheostomy) - 
यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें रोगी की ट्रेकिया या श्वासनली में सर्जिकल चीरा लगाकर श्वसन हेतु एक कृत्रिम मार्ग (artificial way) बनाया जाता है। यह प्रक्रिया ट्रेकियोस्टोमी (tracheostomy) कहलाती है। इसकी opening ट्रेकिया की तीसरी या चौथी रिंग के बीच बनाई जाती है तथा इस opening में एक ट्यूब insert की जाती है।

पोस्चुरल ड्रेनेज (Postural Drainage ) -
 यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें रोगी को विशेष संस्थिति में रखकर शरीर की गुहाओं से तरल को गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से बाहर निकाला जाता है।

- वाटर सील चैस्ट ड्रेनेज (Water seal chest drainage) - 
इस विधि द्वारा प्लूरल स्पेस (pleural space) में जमा - असामान्य वायु तथा स्त्रावों (secretions) को बाहर निकाला जाता है।
 यह स्राव रक्त, मवाद, पानी या अन्य कोई तरल हो सकता है।
 वायु के प्रवेश को पूर्णतः रोकने के लिए इस विधि में पानी का उपयोग किया जाता है इसलिए इसे जल अवशोधित निकास तंत्र (water seal chest drainage system) कहते हैं।

आक्षेपनाशक (Antispasmodic) - यह पेशियों की ऐंठनकारी पीड़ा को कम या नष्ट करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- buscopan आदि।

श्वसनी विस्तारक (Bronchodilator) - यह श्वसन नली की पेशियों एवं श्लेष्मा की ईडीमा घटाकर शिथिलन पैदा करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- theophylline आदि। 

 आतंचक (Coagulants) - यह रक्त का थक्का बनाने में सहायता करने वाली दवाएं होती है।

 विरेचक (Cathartic) - यह आँतों में से मल निकासी करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- laxatives आदि ।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids) – यह adrenal cortex के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली दवाएं होती हैं। 

 मूत्रवर्धक (Diuretics) - यह मूत्र प्रवाह में वृद्धि करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- furosemide आदि।

अपमार्जक (Detergent) – यह एक प्रक्षालक या सफाई कारक पदार्थ होता है।

वमनकारी (Emetics) – यह वमन या उल्टी उत्पन्न करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- emetine आदि। -

कफोत्सारक (Expectorant) • यह श्वसन नली के स्रावों में वृद्धि तथा श्लेष्म को बलगम रूप में बाहर निकालने वाली दवाएं होती हैं जैसे- mucinex आदि।

प्रशामक (Emollient) - यह पदार्थ त्वचा को मुलायम एवं मृदु बनाते हैं।

 निद्राकारी (Hypnotics) -
 यह निद्राकारी प्रभाव को उत्पन्न करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- Lam Plus आदि। 

रक्तचापरोधक (Hypotensive) - यह रक्तचाप को कम करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- propranolal आदि।

 तारा विस्तारक (Mydriatics) –
 यह पुतली (pupil) को फैलाने वाली दवाएं होती हैं।

 तारा संकोचक (Mycotics) –

 यह पुतली (pupils) को संकुचित करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- clotrimazole आदि।

मादक औषधियाँ (Narcotics) –
 यह व्यक्ति में तन्द्रा उत्पन्न करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- morphine, - • codeine आदि।

शामक (Sedatives) –
 यह शारीरिक गतियों को कम करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- calmpose आदि । -

 प्रशान्तक (Tranquilizers) – 
यह औषधियों का एक समूह है जो तनाव, उत्तेजना एवं घबराहट आदि के लिए उपयोगी - होती है जैसे-diazepam, alprazolam आदि ।

वाहिका विस्तारक (Vasodilators)
 यह रक्त वाहिकाओं में फैलाव उत्पन्न करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- hydralazine, nitroglycerine आदि।

वाहिका संकोचक (Vasoconstrictors) 
यह रक्त वाहिकाओं को संकुचित करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- - vasopressin,epinephrine आदि।

• मुख संक्रमण (Oral infection) -
 मुखीय अंगों में रोग कारक जीवों के प्रवेश के कारण संक्रमण होना। 

पेरोटाइटिस (Parotitis) - Parotid gland का inflammation पेरोटाइटिस कहलाता है।

स्टोमेटाइटिस (Stomatitis) -
 मुखीय म्यूकोसा का प्रदाह (Inflammation of oral mucosa)।

फेरिंजाइटिस (Pharyngitis)
 ग्रसनी का प्रदाह होना (Inflammation of the pharynx) ।

ग्लोसाइटिस (Glossitis) -
 जीभ का प्रदाह होना (Inflammation of tongue) ।

आक्षेपनाशक (Antispasmodic) - यह पेशियों की ऐंठनकारी पीड़ा को कम या नष्ट करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- buscopan आदि।

श्वसनी विस्तारक (Bronchodilator) - यह श्वसन नली की पेशियों एवं श्लेष्मा की ईडीमा घटाकर शिथिलन पैदा करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- theophylline आदि। 

 आतंचक (Coagulants) - यह रक्त का थक्का बनाने में सहायता करने वाली दवाएं होती है।

- विरेचक (Cathartic) - यह आँतों में से मल निकासी करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- laxatives आदि ।

. कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroids) – यह adrenal cortex के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली दवाएं होती हैं। 

. मूत्रवर्धक (Diuretics) - यह मूत्र प्रवाह में वृद्धि करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- furosemide आदि।

 अपमार्जक (Detergent) – यह एक प्रक्षालक या सफाई कारक पदार्थ होता है।

 वमनकारी (Emetics) – यह वमन या उल्टी उत्पन्न करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- emetine आदि। -

कफोत्सारक (Expectorant) • यह श्वसन नली के स्रावों में वृद्धि तथा श्लेष्म को बलगम रूप में बाहर निकालने वाली दवाएं होती हैं जैसे- mucinex आदि।

प्रशामक (Emollient) - यह पदार्थ त्वचा को मुलायम एवं मृदु बनाते हैं।

निद्राकारी (Hypnotics) - 
यह निद्राकारी प्रभाव को उत्पन्न करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- Lam Plus आदि।

 रक्तचापरोधक (Hypotensive) - 
यह रक्तचाप को कम करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- propranolal आदि।

 तारा विस्तारक (Mydriatics) – यह पुतली (pupil) को फैलाने वाली दवाएं होती हैं।

 तारा संकोचक (Mycotics) –
 यह पुतली (pupils) को संकुचित करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- clotrimazole आदि।

मादक औषधियाँ (Narcotics) –
 यह व्यक्ति में तन्द्रा उत्पन्न करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- morphine, - • codeine आदि।

शामक (Sedatives) – यह शारीरिक गतियों को कम करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- calmpose आदि । -

 प्रशान्तक (Tranquilizers) – 

यह औषधियों का एक समूह है जो तनाव, उत्तेजना एवं घबराहट आदि के लिए उपयोगी - होती है जैसे-diazepam, alprazolam आदि ।

वाहिका विस्तारक (Vasodilators)

 यह रक्त वाहिकाओं में फैलाव उत्पन्न करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- hydralazine, nitroglycerine आदि।

-. वाहिका संकोचक (Vasoconstrictors)

 यह रक्त वाहिकाओं को संकुचित करने वाली दवाएं होती हैं जैसे- - vasopressin,epinephrine आदि।

• मुख संक्रमण (Oral infection) - मुखीय अंगों में रोग कारक जीवों के प्रवेश के कारण संक्रमण होना। 

 पेरोटाइटिस (Parotitis) - Parotid gland का inflammation पेरोटाइटिस कहलाता है।

स्टोमेटाइटिस (Stomatitis) - मुखीय म्यूकोसा का प्रदाह (Inflammation of oral mucosa)।

 फेरिंजाइटिस (Pharyngitis) - ग्रसनी का प्रदाह होना (Inflammation of the pharynx) ।

ग्लोसाइटिस (Glossitis) - जीभ का प्रदाह होना (Inflammation of tongue) ।

डाइफोरेटिक (Diaphoretic) -
 डाइफोरेटिक एक एजेन्ट है जो पसीने की मात्रा में वृद्धि करता है। 

एडिमा (Edema) 
शरीर के ऊत्तकों में फ्लूड के जमा होने के कारण होने वाली सूजन को इडिमा कहते हैं यह - अधिकांशतः पैरों में पाई जाती है व इसके कई कारण हो सकते हैं।

ग्लूकोमा (Glaucoma)
 ग्लूकोमा विकारों का एक समूह है जिसमें आँख में भरे तरल के कारण उत्पन्न Intraocular Pressure (IOP) सामान्य से इतना बढ़ जाता है कि optic nerve नष्ट हो सकती है। इससे अंधापन हो सकता है।

ब्रोन्कोस्कॉपी (Bronchoscopy) • 
ब्रोन्कोस्कोप की सहायता से श्वसन अंगों जैसे लैरिन्क्स, ट्रेकिया, ब्रोंकाई, ब्रोकिओल्स आदि का प्रत्यक्ष निरीक्षण करना ही ब्रोन्कोस्कोपी कहलाता है।

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