GNM Second Year Important Questions Answers Notes In Hindi, Medical Surgical Nursing -II Hindi Notes Pdf GNM 2nd Year Exam Notes PDF download Hindi.
आज का प्रश्न आप सभी के बीच में बहुत महत्त्वपूर्ण प्रशन हैं जो प्रशन हैं उसमें Conjunctivitis And Skin Grafting यानी नेत्र श्लेष्मक शोथ और त्वचा प्रत्यारोपण शामिल किया गया हैं तो चलिए देखते हैं।
Q. नेत्र श्लेष्म प्रदाह या कन्जक्टिवाइटिस किसे कहते हैं? इसके कारण, चिन्ह, लक्षण एवं नर्सिंग देखभाल लिखिए।
What is conjunctivitis? Write its causes, sign & symptoms and nursing management,
उत्तर - कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) -
आँख के स्केलरा (scelera) पर पायी जाने वाली परत cunjunctiva का संक्रमण एवं प्रदाह conjuctivitis कहलाता है।
कारण (Causes) -
जीवाणु संक्रमण (Bacterial infection)
जैसे- staphylococus aureus, streptococci pneumoniae, nisseria gonorrhoeae
क्लेमाडिया संक्रमण (Chlamydial infection)
• वाइरल संक्रमण (Viral infection) जैसे- adenovirus
• बरसाती मौसम
• एलर्जी होना (यह धूल, परागकण, रसायन, धुआँ इत्यादि से हो सकती है)
• परजीवी रोग होना (Parasitic disease) जैसे- phthirus pubis, schistosoma, scabies
लक्षण (Clinical Features) -
• Conjunctiva का लाल होना (Hyperemia of conjunctiva)
Conjunctiva में दर्द होना (Pain in conjunctiva)
• आँखों में चुभन एवं जलन (Burning and sting sensation in eye) • आँखों में खुजली होना (Itching)
• आँखों में पीला पदार्थ स्त्रवण (Mucopurulent discharge)
• प्रकाश में आँखें खोलने में समस्या (Photophobia)
आँखों से लगातार आँसू आना (Tearing).
निदान (Diagnosis) - -
• Eye examination
• लक्षणों की उपस्थिति की जाँच
• Eye discharge culture
Blood examination
• Opthalmoscopy
उपचार (Treatment)
1. रोगी को antibiotics therapy दी जाती हैं जैसे- ceftriaxone, gentamicin
2. रोगी को antibiotic eye drops instillation के लिए कहा जाता है जैसे- moxifloxacin, sulfonamides
3. यदि herpes simplex infection हो तो रोगी को eye drops दी जाती हैं जैसे- trifluridine, vidarabine
4. रोगी को allergic conjunctivitis के उपचार के लिए corticosteroide eye drops दी जाती हैं जैसे- prednisone, dexamethasone etc.
नर्सिंग प्रबंधन (Nursing Management)
1. रोगी को नियमित रूप से eye drops instillation किया जाता है।
2. रोगी को आंख में दवाई डालने से पहले अच्छी तरह हाथ धोने चाहिए।
3. रोगी को गहरे काले रंग का चश्मा पहनना चाहिए।
4. आँखों पर ठंडी पट्टी रखकर या बर्फ से सिकाई करनी चाहिए इससे दर्द व खुजली में आराम मिलता है।
5. रोगी को बार-बार आँखों को रगड़ने से मना करना चाहिए।
6. आँखों को पोंछने के लिए साफ कपड़े का उपयोग करना चाहिए।
7. रोगी को विटामिन सी की प्रचुर मात्रा लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
Q. त्वचा प्रत्यारोपण को समझाइए
Describe the skin grafting.
उत्तर- त्वचा प्रत्यारोपण (Skin Grafting) - त्वचा प्रत्यारोपण एक उपचार है जिसमें शरीर में किसी स्थान पर त्वचा के नष्ट होने पर यहाँ स्वस्थ त्वचा का प्रत्यारोपण किया जाता है।
त्वचा प्रत्यारोपण के प्रकार (Types of Skin Grafting) -
त्वचा का प्रत्यारोपण निम्न प्रकार हो सकता है-
Split thickness skin grafting (STSC) - इसमें त्वचा की epidermis के साथ dermis का कुछ भाग का transplant किया जाता है।
• Full thickness skin grafting (FTSG ) - इसमें epidermis एवं complete dermis का प्रत्यारोपण किया - dermisriqui जाता है।
Composite Grafting - इसमें त्वचा की संपूर्ण परत (epidermis एवं dermis ) के साथ नीचे ऊतकों का भी प्रत्यारोपण किया जाता है।
त्वचा प्रत्यारोपण प्रक्रिया (Skin transplant procedure) - त्वचा प्रत्यारोपण में निम्न चरण होते हैं-
1. दाता का चयन (Donar selection ) – इस चरण में विभिन्न immunological जांचें की जाती हैं एवं donar एवं recipient के मध्य समानता स्थापित होने पर ही donar से त्वचा प्राप्त की जाती है।
2. त्वचा का प्रत्यारोपण (Skin transplantation) Donar के पेट या पैरों से skin removal के लिए dermatome उपकरण का उपयोग किया जाता है।
Dermatome द्वारा त्वचा की slice प्राप्त की जाती है एवं इन्हें सुरक्षित रखा जाता है। Donar site पर आवश्यकतानुसार stiches या plasma का लेप किया जाता है। Donar से प्राप्त त्वचा को उचित जगह पर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
जटिलताएँ (Complications) -
त्वचा प्रत्यारोपण में निम्न जटिलताएँ हो सकती हैं-
• रक्तस्त्राव (Bleeding)
• संक्रमण (Infection)
• नष्ट होना (Graft skin)
• तंत्रिकीय क्षति (Nerve damage)
• त्वचा ग्रहण न करना (Skin graft rejection)
नर्सिंग प्रबंधन (Nursing Management) -
1. Donor site से त्वचा लेने पर यहाँ पुनः नई त्वचा विकसित होने में समय लगता है इसलिए इसकी उचित देखभाल की जानी चाहिए।
2. यदि आवश्यक हो तो चिकित्सक के निर्देशानुसार vacuum dressing की जाती है।
3. इस site पर रगड़न नहीं हो इसके लिए bed cradles का भी उपयोग किया जा सकता है।
4. Transplant site को थोड़ा ऊँचा रखना चाहिए जिससे रक्तस्राव की संभावना कम हो जाती है।
5. यदि किसी प्रकार का रक्तस्राव हो या नीलापन हो तो तुरन्त चिकित्सक को सूचित करना चाहिए।
6. रोगी एवं दाता को संक्रमण से बचाने के लिए सदैव aseptic techniques का पालन करना चाहिए।
7. रोगी एवं दाता को चिकित्सक के निर्देशानुसार immunosuppressive drugs व I. V. fluids भी प्रदान करने चाहिए।
8. रोगी एवं दाता के जैविक चिन्हों (vital signs) की नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए।
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