GNM first year, Community Health Nursing -I, Physical Examination And Family Planning

 आज आप सभी के बीच में जीएनएम 1st ईयर के जितने भी विद्यार्थी हैं उन सभी के लिए जीएनएम प्रथम वर्ष के कम्युनिटी हेल्थ नर्सिंग के दो महत्वपूर्ण प्रश्न के ऊपर चर्चा करने वाले हैं जो आपके किसी भी एग्जाम के लिए किसी भी राज्य से हैं तो महत्वपूर्ण होने वाला है जो आपको आसान भाषा में नीचे समझाया गया है जिसको मात्र पढ़ने से ही आपके दिमाग में आ जाएगा।

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Q. परिवार नियोजन से आप क्या समझते हैं? परिवार नियोजन की विभिन्न विधियों के नाम लिखिए।

 What do you understand with family planning? Write down the name of different methods of family planning.


उत्तर- परिवार नियोजन (Family Planning) गर्भनिरोधक साधन को उपयोग में लाकर अनचाही गर्भावस्था से बचना ही परिवार नियोजन कहलाता है। परिवार नियोजन का अर्थ अनचाहे गर्भ से मुक्ति पाना भी है।


 परिवार नियोजन की विधियां (Methods of Family Planning) - परिवार नियोजन की दो विधियां होती हैं-


A. अस्थायी विधियाँ (Temporary Methods)

B. स्थायी विधियाँ (Permanent Methods)


A. अस्थायी विधियाँ - 

ये परिवार नियोजन की अस्थायी तथा सामान्य विधियाँ है, जिनका उपयोग अवांछित गर्भ की रोकथाम एवं शिशु जन्म में अन्तराल देने के लिए किया जाता है

 इनमें निम्न विधियाँ सम्मिलित की जाती हैं-


1. अवरोधक साधन (Barrier Methods) -


(a) मेल कंडोम या निरोध

(b) फीमेल कंडोम

(c) वेजाइनल क्रीम

(d) वेजाइनल डायफ्राम

(e) फोम टेबलट्स

(f) जैली


2. अंतर्गभाशयी गर्भनिरोधक साधन [(Intra Uterine Devices (IUD)] -


(a) साधारण IUD या औषधिविहीन IUD

(b) हार्मोनयुक्त IUD


3. हार्मोनल विधियां (Hormonal Methods ) - -


(a) Combined Oral Contraceptive Pills

(b) प्रोजेस्ट्रोन पिल्स

(c) Emergency contraception pills


4. प्राकृतिक विधियां (Natural Method) - -


(a) Rhythm

(b) Coitus Interrupts

(c) Breast Feeding


2. गर्भनिरोधक की स्थायी विधियाँ - 

यह गर्भनिरोधक की स्थायी विधियाँ हैं, इन्हें sterilization method भी कहा जाता है। यह पुरुष एवं स्त्री दोनों के लिए होती हैं।


(a) नसबंदी (Vasectomy)

(b) डिम्बवाही छेदन (Tubectomy)


प्रश्न 11. परिवार नियोजन में नर्स की क्या भूमिका है?

What is the role of nurse in family planning?


उत्तर- नर्स का परिवार नियोजन में निम्न रूप में प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष योगदान रहता है-


1. Eligible couples को परिवार नियोजन हेतु counselling करना।


2. महिला को प्रसव पूर्व ही उसकी आवश्यकता के अनुसार परिवार नियोजन की विधि अपनाने के लिए प्रेरित करना । 

3. परिवार नियोजन सरकार द्वारा दिए जा रहे प्रोत्साहन के बारे में समुदाय को बताना।

4. परिवार नियोजन कैम्प में चिकित्सक की सर्जरी के दौरान सहायता करना।


5. लिखित सहमति लेकर IUD लगाना।


6. स्थायी बंध्यकरण (sterilization) हेतु उचित कपल का चयन करना एवं tubectomy (डिम्बवाही-छेदन) और vasectomy (नसबंदी) हेतु रैफर करना।

7. गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग करने वाले couples से नियमित सम्पर्क बनाए रखना।


8. परिवार नियोजन पर मुक्त चर्चा हेतु उचित वातावरण तैयार करना ।

9. Tubectomy एवं vasectomy के पश्चात् couples को follow up सेवाएं प्रदान करना।


10. समुदाय के लोगों को छोटे परिवार के लाभ बताना।


11. परिवार नियोजन कैम्प के दौरान अधिक से अधिक लोगों को गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना।


12. Home-visit के दौरान समाज के लोगों को परिवार नियोजन के लिए प्रोत्साहित करना।


Q. शारीरिक परीक्षण (Physical Examination) 

शारीरिक परीक्षण के दौरान आवश्यकतानुसार रोगी के सम्पूर्ण शरीर का विस्तृत परीक्षण किया जाता है। शारीरिक परीक्षण हेतु निम्न विधियों का उपयोग किया जाता है-


(a) निरीक्षण (Inspection)

(b) स्पर्श परीक्षण (Palpation)

 (c) आघात परीक्षण (Percussion)

(d) परिश्रवण (Auscultation)


(a) निरीक्षण (Inspection) - इस विधि के द्वारा शरीर का दृष्टिगत परीक्षण किया जाता है। आँखों से देखकर मरीज की सामान्य स्थिति के बारे में पता किया जाता है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित अवस्थाओं का अध्ययन या निरीक्षण किया जाता है-

• मरीज के चेहरे के भाव (Facial expression)

• मरीज के चलने का ढंग (Posture and gesture)

मरीज की त्वचा का रंग (Cyanosis)

 मरीज की चेतन्यता (Level of consciousness)

• मरीज के शरीर पर किसी भी तरह का निशान (mole and cuts) आदि।


(b) स्पर्श परीक्षण (Palpation) -

 इस विधि मे विभिन्न अंगों के आकार एवं स्थिति को ज्ञात करने के लिए शरीर के किसी भाग को स्पर्श कर महसूस करके तथ्य एकत्रित किए जाते हैं। स्पर्श परीक्षण में अँगुलियों के पोरों के मांसल भाग का उपयोग किया जाता है। स्पर्श परीक्षण में निम्नलिखित तथ्य एकत्रित किए जाते हैं-


• शरीर के अंगों का आकार (Size of organ)

• शरीर के अंगों की स्थिति (Position of organs)

• शरीर का तापमान (Body temperature)

• शरीर का कड़ापन व दर्द (Tenderness and pain)

नाड़ी व हृदय की धड़कन (Pulse and heart beat) आदि ।


(c) आघात परीक्षण (Percussion) - 

इस विधि में शरीर के किसी भाग पर (जिसका परीक्षण करना हो) एक हाथ रखकर अगुलियों के मध्य, दूसरे हाथ की अगुलियों से थपथपाकर (by tapping the finger) आवाज उत्पन्न की जाती है जिससे आंतरिक अंगों के बारे में निम्न सूचना इकट्ठी की जा सकती है


• आंतरिक अंगों का आकार व स्थिति (size and position) 

• अंगों में असामान्य कठोर मांस की उपस्थिति (abnormal solid mass)

• अंगों व ऊतकों में तरल या गैस की उपस्थिति (fluid and gas)


(d) परिश्रवण (Auscultation)

 इस विधि में स्टेथोस्कोप की सहायता से मरीज के शरीर के अंदर की ध्वनियों को - सुनते हैं इसे ही परिश्रवण कहते हैं। जैसे- मरीज की हृदय की धड़कन (heart beat), फेफड़ों की ध्वनि ( lungs sound), आँतों की ध्वनि (bowel sound) को स्टेथोस्कोप से सुनकर उनकी सामान्य व असामान्य स्थिति का पता लगाया जा सकता है।


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