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आप सभी के लिए आज यहां पर मानव शरीर रचना एवं क्रिया विज्ञान और सूक्ष्मजीव विज्ञान के दो प्रश्नों के ऊपर चर्चा किया गया हैं जिसने प्रथम प्रशन पेशी और उसके प्रकार के साथ विशेषता पर चर्चा किया गया है साथ में संक्रमण वृद्धि को प्रभावित करने वाले कारक के ऊपर चर्चा किया गया हैं।


Q. पेशीय तंत्र किसे कहते हैं?

What is muscular system?


उत्तर- पेशीय तंत्र (Muscular system) - 

मानव शरीर में लगभग 600 कंकालीय पेशियाँ होती हैं, जिन्हें पेशीय तंत्र कहते हैं। 

पेशियों के कारण ही शरीर सुन्दर, सुगठित एवं मजबूत होता है। 

पेशियों के सिकुड़ने के कारण अस्थियाँ मुड़ती हैं तथा पेशियों के फैलने पर अस्थियाँ सीधी होती हैं, फलस्वरूप शरीर में गति उत्पन्न होती है। 

अतः मनुष्य चलने, खड़ा रहने अथवा कार्य करने में सक्षम होता है। 

पेशियां कंकाल से संलग्न होकर अस्थियों को गतिशील बनाती है। 

ये माँसपेशियाँ माँस के हजारों रेशों से मिलकर बनती हैं, हाथ-पैरों की माँसपेशियाँ बीच में मोटी तथा शिरों पर पतली होती हैं। 

माँसपेशियों के तन्तु समूहों में संगठित होकर छोटे-छोटे समानांतर बण्डलों का निर्माण करते हैं। 


प्रश्न 2. पेशियों के विभिन्न प्रकार लिखिए।

Write different types of muscles.

उत्तर-

पेशियों के प्रकार (Types of muscles) - मानव शरीर की पेशियों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है-


1. ऐच्छिक या कंकालीय पेशी (Voluntary or skeletal muscles) -

 ऐच्छिक पेशियों को अपनी इच्छानुसार संकुचित या फैलाया जा सकता है। 

ये पेशियाँ तंतुओं (fibers) का समूह होती हैं, जो संयोजी ऊतकों (connective tissues) के द्वारा आपस में जुड़ी हुई होती हैं। 

यह पेशी तंतु आकार में बेलनाकार होती है, यह तंतु मार्याोफाइब्रिल्स का बना होता है एवं साइटोप्लाज्म से बनी कोशिका कला (cell membrane) से ढँका रहता है. इस आवरण को सार्कोलीमा (sarcolema) कहते हैं।


2. अनैच्छिक पेशियाँ (Involuntary muscles) - 

इस वर्ग की पेशियाँ स्वतंत्र पेशियां होती हैं, जो इच्छा के अधीन नहीं होती है बल्कि इनका नियंत्रण केन्द्र अनेच्छिक तंत्रिका संस्थान (involuntary nerves system) के अन्तर्गत रहता है। 

इन पेशियों के तंतुओं में अंडाकार न्यूक्लियस तो होता है लेकिन तंतु पट्टियाँ नहीं होती हैं अर्थात् ये पेशियां चिकनी वे अरेखित होती हैं। 

ये पेशियाँ शरीर की किसी भी अस्थि से नहीं जुड़ती हैं, बल्कि शरीर के आतंरिक अंगों से जुड़ी होती हैं, इसलिए इनको अंतरांगी पेशी भी कहते हैं। 

इन पेशियों के द्वारा श्वास नलिका, मूत्र वाहिनियाँ, मूत्राशय, नेत्र गोलक, प्लीहा, डिम्ब वाहिनी, गर्भाशय या आहार नाल आदि का निर्माण होता है. ये सभी अंग स्वतः ही क्रियाएँ करते हैं।


3. हृदय की पेशियाँ (Cardiac muscles) – 

ये पेशी अरेखीय (unstriated) होती हैं।

 इसकी बनावट में तंतु बेलनाकार व छोटे होते हैं, प्रत्येक तंतु के मध्य में एक न्यूक्लियस होता है. इन तंतुओं की शाखाएँ अन्य तंतुओं की शाखाओं से मिलती हैं, जिससे जीव द्रव (protoplasm) निरंतरता में रहता है। 

इन तंतुओं के द्वारा निर्मित पेशियां अधिक मजबूत तथा रंग में लाल होती हैं। 

ये पेशियाँ जीवन पर्यंत क्रियाशील रहती हैं कभी विश्राम नहीं करती है।


Q. पेशियों की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।

Write down the main characteristics of muscles.


उत्तर- पेशियों की विशेषताएँ (Characteristics of Muscles) - पेशियों में पायी जाने वाली विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-


1. पेशीय बल (Muscular power) - 

पेशियों में बल होता है, जिसके कारण हम अनेक ऐसे कार्य करने में समर्थ होते हैं, जिनमें बल की आवश्यकता होती है। जैसे- वजन उठाना।

2. पेशीय लचीलापन (Muscular elasticity) -

 हमारे शरीर की प्रत्येक पेशी लचीली होती है, जिसको किसी भी दिशा में मोड़ा जा सकता है। अपनी पूर्व अवस्था में आना पेशियों का स्वभाव होता है।


3. पेशीय समन्वयता (Muscular co-ordination) - 

प्रत्येक पेशी हमारी इच्छा के अनुपात तथा कार्य के अनुपात एक-दूसरे से समन्वयता रखती है, जिससे कार्य सुचारू रूप से होता है। में


4. पेशीय तनाव (Muscular tonicity) - 

पेशियाँ आवश्यकता के अनुपात में उस दिशा में कार्य करती हैं, जिसमें हमारी आवश्यकता होती है। इस स्थिति में पेशीय तनाव रहता है, जिसके फलस्वरूप पेशियाँ ढीली नहीं पड़ती हैं तथा हमारी क्रियाओं में सहायक होती हैं।


5. पेशीय तालबद्धता (Muscular rhythmicity) - 

किसी भी कार्य को करते हुए पेशियों में तालबद्धता रहती है। इससे कार्य सही रूप से होता है।


6. पेशीय जागृति (Muscular stimulating) -

 पेशी के प्रत्येक तंतु में तंत्रिका संचार होता है, जिससे प्रत्येक पेशी में क्रिया होती है, जिसके कारण पेशियों में संकुचन तथा प्रसरण की क्रिया होती हैं।


7. पेशियों की कठोरता एवं संचार (Chronicity and rheosity of muscles) - 

प्रत्येक जीवित व्यक्ति की पेशियों में विद्युतीय गति होती है, जिससे कार्य सम्पन्न होते हैं, जबकि मरणोपरान्त पेशियों की यह विशेषता समाप्त हो जाती है।


8. पेशियों द्वारा रक्त संचार में योगदान (Contribution in blood circulation ) -

 पेशियों की गठरी में रक्त नलिकाओं को पूर्ण सुरक्षा प्राप्त होती हैं, जिससे रक्त संचार व्यवस्थित रूप से होता है। शरीर के नाजुक अंगों को भी ये पेशियाँ सुरक्षा प्रदान करती हैं।


Q. संक्रमण की वृद्धि और संचार को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करो। 

Describe factors influencing growth and transmission of infection.


उत्तर- संक्रमण के कारक (Factors of Infection) - संक्रमण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-


1. रोगोत्पादक या विकृतिजनक सूक्ष्मजीव का होना।

2. परपोषी में सूक्ष्मजीव का प्रवेश मार्ग होना।

3. सूक्ष्मजीव का परपोषी में स्थापित होना तथा विभाजन द्वारा उसकी संख्या में बहुत अधिक वृद्धि का होना ।


4. ऊतक (tissue) का प्रकार जिसमें सूक्ष्मजीव की वृद्धि एवं बहुगुणन हो सकता है।


5. परपोषी की संक्रमण से गृहणशीलता होना।

6. सूक्ष्मजीव का निकासी मार्ग होना।

7. सूक्ष्म जीव के परपोषी से नये व्यक्ति में संचारित होने के साधन का होना।


संक्रमण वृद्धि के कारक (Factors of increase infection) - संक्रमण की वृद्धि के निम्नलिखित कारक हैं-


1. अन्तर्जात संक्रमण (Endogenous infections) -

 रोगी के अपने शरीर के किसी भाग में विद्यमान संक्रमण जब वहाँ से दूसरे भाग को फैलता है तो यह अन्तर्जात संक्रमण कहलाता है।


2. बहिर्जात संक्रमण (Exogenous infection) - 

जो संक्रमण किसी व्यक्ति के शरीर से उत्पन्न हुआ होता है और वहाँ से अर्थात् व्यक्ति या वस्तु से व्यक्ति के शरीर में प्रविष्ट होकर उसे संक्रमित कर देता है तो इसे बहिर्जात संक्रमण कहा जाता है।


3. स्वस्थ वाहक (Healthy Carriers ) - रोगी जो हाल ही में किसी रोग से मुक्त हुए हों और जो बिल्कुल ठीक हैं, निरंतर मल के साथ रोगोत्पादक जीवाणुओं और रोगाणुओं को विसर्जित करते रहते हैं जो उन्हें तो कोई कष्ट नहीं पहुंचाते परन्तु वे समाज के अन्य व्यक्तियों के लिए खतरनाक होते हैं, ऐसे व्यक्तियों को स्वस्थ वाहक कहा जाता है। इन्हें संभवतः ये ज्ञान भी नहीं होता है कि वे खतरे का एक स्रोत हैं और वे व्यापक रूप से संक्रामक रोग फैला सकते हैं।


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