GNM First Year, Foundation Nursing, Retention of Urine, Incontinence Of Urine, Diarrhoea And First Aider

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आप सभी GNM First Year Students को आज एक नए पोस्ट के साथ स्वागत करता हूं। GNM First Year Notes In Hindi All Subjects.

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आज आप सभी के बीच में GNM First Year के fundamentals Of Nursing या Foundation Nursing के 3-4 महत्त्वपूर्ण प्रशन को नीचे चर्चा किए गए है और साथ में सभी का PDF भी नीचे दिया गया हैं। तो चलिए देखते हैं।



Q. प्राथमिक या प्रथम सहायक किसे कहते हैं? प्राथमिक सहायक की जिम्मेदारियाँ क्या हैं? 
Who is first aider? What are the responsibilities of first aider?

उत्तर- प्रथम सहायक (First Aider) - प्रथम सहायक वह व्यक्ति होता है जिसे प्राथमिक सहायता की विधियों की पूर्ण जानकारी होती है तथा उन्हें इस्तेमाल करना आता हो। प्राथमिक सहायक को रोगियों तक पहुँचने, समस्या को समझने और आपात सहायता देने का प्रशिक्षण प्राप्त होता है, वह बिना देरी किए रोगी को अस्पताल ले जा सकता है एवं रोगी का बहुमूल्य जीवन बचा सकता है।

प्रथम सहायक की जिम्मेदारियाँ (Responsibilities of First Aider) -

1. घटनास्थल का निरीक्षण करके स्थिति का अनुमान लगाना।

2. चोट या रोग की प्रकृति के विषय में पता लगाना और हालात के बारे में पता लगाना ।

3. सरल और सुरक्षित ढंग से रोगी का उपचार करना और उपर्युक्त सहायता प्रदान करना।

4. यह पता लगाना कि रोगी अचेत है या सचेत जांच करने के बाद प्राथमिक सहायता प्रारंभ करना। 

5. दुर्घटना स्थल पर जरूरत पड़े तो आस-पास खड़े लोगों से मदद लेना, यातायात को नियंत्रण में करने को कहना एवं उन्हें उचित सुरक्षित दूरी पर रखना व चिकित्सीय मदद के लिए टेलीफोन करना या किसी को भेजना।

6. आवश्यकतानुसार जल्दी से जल्दी आवश्यक उपचार करना, उपर्युक्त ढंग से और पर्याप्त व्यवस्था करना, जैसे- सबसे पहले श्वॉस और रक्त संचार को बहाल करना तथा रक्तस्राव को रोकना।
7. दुर्घटना स्थल पर अगर घायल रोगी एक से अधिक हैं तो आवश्यकतानुसार जिसको अधिक चिकित्सा की जरूरत है पहले उसको प्राथमिक सहायता देना।

8. बिना देरी किए रोगी को अस्पताल या नजदीकी डॉक्टर के पास, या रोगी के घर पर भेजने की व्यवस्था करना।

9. जब तक किसी उपर्युक्त व्यक्ति को रोगी की जिम्मेदारी सौंप न दी जाए उसके साथ ही रहना।

10. रोगी तथा घटना के बारे में भी रिकार्ड रखना व प्रत्यक्षदर्शियों के विषय में जानकारी रखना, ये जानकारी रखना कभी-कभी बहुमूल्य साबित होती है, बाद में पुलिस व जांच एजेंसी आदि इस जानकारी की मांग कर सकती हैं।

11. यदि एक बार रोगी का उपचार शुरू कर दिया है तो घटना स्थल को तब तक नहीं छोड़ना चाहिए जब तक कोई और योग्य व्यक्ति उसकी जिम्मेदारी न संभाल ले।
12. रोगी को अस्पताल में पहुँचाकर उसके परिजनों को सूचित करना, रोगी की अवस्था के बारे में भी बताना प्रथम सहायक का कार्य होता है।

Q. अतिसार से क्या आशय है? अतिसार के कारण, लक्षण व नर्सिंग देखभाल को समझाइए । 
What is diarrhoea ? Explain causes, symptoms and nursing care.
उत्तर- 
यह कब्ज के विपरीत होता है इसमें मल पतला हो जाता है। कई बार मल त्याग करते-करते मरीज बहुत परेशान हो जाता है। आँतों द्वारा द्रव का अवशोषण कार्य सही ढंग से न हो पाने के कारण अतिसार या डायरिया की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

कारण (Causes) – अतिसार के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं- 

1. आंत्रिय संक्रमण (intestinal infection, enteritis)
2. भोजन विषाक्तता (food poisoning)
3. कुछ औषधियों के अनुषंगी प्रभाव के कारण (side effect of any medicine) 
4. विरेचकों का दुरूपयोग (abuse of cathartics)
5. आँतों द्वारा जल का अवशोषण न हो पाना
6. कोलोन की बीमारी या ऑपरेशन
7. भावनात्मक तनाव (emotional distress) आदि

लक्षण (Symptoms) -

1. पेट में ऐंठन होना
2. बार-बार पतले दस्त होना
3. कमजोरी व थकान होना
4. पानी की कमी होना (Dehydration)
5. मल क्षेत्र में जलन (Burning sensation)
6. बेचैनी, दुर्बलता (Fatigue)
7. मितली, उल्टी (Nausea, vomiting)

अतिसार में नर्सिंग देखभाल (Nursing Care in Diarrhoea) – -

1. मरीज को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाते रहें जैसे ORS का घोल आदि।
2. मरीज को पानी की कमी न होने दें।
3. मरीज को थोड़ा-थोड़ा भोजन देते रहें, ज्यादातर तरल आहार दें।
4. मरीज को पर्याप्त मात्रा में पोषण एवं द्रव और इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes) दें।
5. चिकित्सक आदेशानुसार ऐन्टी डायरियल दवाई (anti-diarrhoea), ऐन्टीस्पाजमोडिक (antispasmodic drugs) दें।
6. मरीज को मिर्च मसाले युक्त एवं अधिक गर्म व अधिक ठंडा भोजन न दें।
7. मरीज को ज्यादा से ज्यादा विश्राम करने दें।
8. मरीज को मनोवैज्ञानिक सहारा प्रदान करें।।
9. मरीज की पैरीनियल (perineal) देखभाल करें।
10. मरीज को पर्याप्त मात्रा में fluid and electrolytes देते रहें।
11. मरीज को बैंडपेन या कमोड की सुविधा प्रदान करें।
12. मरीज की त्वचा की देखभाल करते रहें।

प्रश्न . मूत्र अवरोध किसे कहते हैं? इसके कारण भी लिखिए।
What is retention of urine? Write down its causes also.

उत्तर - मूत्र अवरोध से यह तात्पर्य है कि किसी व्यक्ति या मरीज का मूत्र मूत्राशय में रूक जाना यानि मूत्र त्याग न कर पाना। इसमें किडनी द्वारा मूत्र का तो निर्माण होता रहता है परन्तु मरीज मूत्र को उत्सर्जित नहीं कर पाता है।

कारण (Causes) – मूत्र अवरोध के निम्नलिखित मुख्य कारण हैं-

1. मूत्रमार्गीय अवरोध (urethral obstruction)
2. पेशीय तान का कम होना।
3. अवरूद्ध मल द्वारा मूत्राशय पर दबाव पड़ने से।
4. मूत्रमानीय संक्रमण (urinary tract infection)
5. कुछ औषधियों के side effect के द्वारा
6. कम मात्रा में तरल लेना
7. प्रोस्टेट ग्रन्थि (prostate gland) के बढ़ जाने से
8. मूत्रीय तंत्र संबंधित शल्यक्रिया के बाद।

प्रश्न . मूत्र का असंयम किसे कहते हैं? इसके कारण व उपचार एवं बचाव का वर्णन करें। 
What is incontinence of urine? Describe its causes, treatment and prevention.

उत्तर- इस स्थिति में मरीज मूत्र को मूत्राशय से निकलने से रोक नहीं पाता। 
यानि मूत्राशयी संवरणी पेशियों की असमर्थता ही मूत्रीय असंयम कहलाता है। 
पूर्ण असंयम (complete incontinence) में मूत्राशय पूरी तरह खाली हो जाता है तथा आंशिक असंयम (partial incontinence) में मूत्राशय पूर्ण रूप से खाली नहीं होता बल्कि बूँद-बूँद करके मूत्र टपकता रहता है एवं मरीज रोकने में असमर्थ होता है।

कारण (Causes) -

1. प्रोस्टेट ग्रन्थि में वृद्धि होना (enlargement of prostate gland)
2. वृद्धावस्था (old age)
3. बेहोशी की स्थिति (unconsciousness)
4. गर्भावस्था (pregnancy)
5. अवरूद्ध मल
6. शरीर का पक्षाघात (paralysed)
7. तंत्रकीय अवस्थाएँ (neurological condition)
8. मूत्रमार्गीय संक्रमण (urinary tract infection)
9. संवरणी पेशी की क्षति
10. कमजोर मूलाधारीय पेशियाँ

उपचार एवं बचाव (Treatment and Prevention) -

1. मूलाधार की पेशियों को मजबूती प्रदान करने के लिये
 व्यायाम करवाएँ।

2. मरीज के पास बैडपेन एवं यूरिनल तैयार रखें।

3. मरीज को हर 2 घंटे में मूत्र त्याग करवाएँ।

4. मरीज को टॉयलेट ट्रेनिंग करवाएँ।

5. मरीज की नियमित रूप से मूलाधारीय देखभाल (perineal care) करें।

6. मरीज को मूत्र त्याग के लिये एकांत प्रदान करें।

7. मरीज को उत्सर्जन सम्बन्धित शिक्षा प्रदान करें।

8. मरीज को पर्याप्त मात्रा में द्रव पदार्थ दें।

9. जो मरीज मल-मूत्र उत्सर्जित करने में असमर्थ हों उन्हें चिकित्सक आदेशानुसार एनीमा या यूरीनरी कैथेटर (urinary catheter) डाल देना चाहिये।

10. मरीज के असंयम के कारण मूत्र त्याग बिस्तर पर भी हो सकता है। अतः मरीज की साफ-सफाई का ध्यान रखें।

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