GNM First Year, Community Health Nursing -I, Counselling And Health Care

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 आज आप सभी के बीच में जीएनएम 1st ईयर के जितने भी विद्यार्थी हैं उन सभी के लिए जीएनएम प्रथम वर्ष के कम्युनिटी हेल्थ नर्सिंग के दो महत्वपूर्ण प्रश्न के ऊपर चर्चा करने वाले हैं जो आपके किसी भी एग्जाम के लिए किसी भी राज्य से हैं तो महत्वपूर्ण होने वाला है जो आपको आसान भाषा में नीचे समझाया गया है जिसको मात्र पढ़ने से ही आपके दिमाग में आ जाएगा।


Q. स्वास्थ्य देखभाल से क्या आशय है? स्वास्थ्य देखभाल के उद्देश्य व प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

What is health care? Explain objectives of health care and characteristics of effective health care.


उत्तर- स्वास्थ्य देखभाल (Health Care) - विभिन्न शारीरिक तथा मानसिक बीमारियों, चोटों एवं अपंगताओं का निदान (diagnosis), उपचार (treatment) तथा रोकथाम (prevention) ही स्वास्थ्य देखभाल कहलाती है। 

स्वास्थ्य देखभाल के अन्तर्गत व्यक्तियों में पाई जाने वाली विभिन्न शारीरिक तथा मानसिक बीमारियों की रोकथाम हेतु विभिन्न उपाय किए जाते हैं और बीमारियों के हो जाने पर इनका अतिशीघ्र निदान कर मरीज का उचित उपचार किया जाता है ताकि लोगों के जीवन को उन्नत एवं खुशहाल बनाया जा सके।


स्वास्थ्य देखभाल के उद्देश्य (Objectives of Health Care ) - 

व्यक्ति, परिवार तथा समुदाय को प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य देखभाल के उद्देश्य निम्न हैं-

1. स्वास्थ्य को बढ़ावा देना

2. बीमारियों की रोकथाम

3. बीमारियों का समय पर निदान

4. स्वास्थ्य की पुनर्स्थापना

5. आवश्यकतानुसार मरीजों का पुर्नवास


प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल की विशेषताएं (Characteristics of Effective Health Care)

 प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं- 


1. उपलब्धता (Availability) - 

स्वास्थ्य देखभाल लोगों को आसानी से उपलब्ध तथा पहुँच में होनी चाहिए, उसका क्रियान्वयन इस तरह किया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक उसका लाभ उठाया जा सके।


2. पर्याप्तता (Adequacy) – 

व्यक्ति, परिवार तथा समुदाय को प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकतानुसार अर्थात लोगों की जरूरत के अनुसार होनी चाहिए। उदाहरणार्थ- जनसंख्या के अनुसार अस्पतालों, स्वास्थ्य केन्द्र, चिकित्सक तथा नर्सों की संख्या पर्याप्त होनी चाहिए।


3. व्यापकता (Comprehensiveness)

 व्यक्ति, परिवार व समाज को प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य देखभाल में - व्यापकता होनी चाहिए अर्थात् इसमें सभी प्रकार की देखभाल का समावेश होना चाहिए-


(a) स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली देखभाल (Health Promotive Care)

(b) बीमारियों की रोकथाम करने वाली देखभाल (Disease Preventive Care)

(c) रोगों का निवारण करने वाली देखभाल (Curative Care)

(d) पुर्नवास संबंधित देखभाल (Rehabilitative Care)


4. सस्ती (Cost effectiveness) 

स्वास्थ्य देखभाल की कीमत इतनी होनी चाहिए ताकि उसका उपयोग एक गरीब - आदमी भी कर सके।


5. साध्यता (Feasibility) - 

स्वास्थ्य देखभाल का नियोजन एवं क्रियान्वयन उपलब्ध संसाधनों पर आधारित होना चाहिए. यदि स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध संसाधनों, जैसे- मानव-शक्ति, धन, सामग्री, समय तथा आवश्यकतानुसार नियोजित एवं क्रियान्वित की जाती है तो ये अधिक प्रभावी साबित होगी।

6. संगत (Appropriateness) - स्वास्थ्य देखभाल व्यक्ति, परिवार तथा समाज की जरूरत के अनुसार होनी चाहिए तथा इसमें आधुनिक तकनीकों का भी समावेश होना चाहिए ताकि स्वास्थ्य देखभाल का अच्छा लाभ मिल सके।


Q. परामर्श को परिभाषित कीजिए। परामर्श के प्रकार भी लिखिए।

Define counselling. Write down types of counselling also.


उत्तर- परामर्श (Counselling) - 

किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत समस्याओं एवं कठिनाइयों को दूर करने के लिए दी जाने वाली सहायता, सलाह और मार्गदर्शन परामर्श कहलाती है।

 परामर्श देने वाले व्यक्ति को परामर्शदाता कहते हैं। यह एक आयोजित विशिष्ट सेवा एवं एक सहयोगी प्रक्रिया है।

 इसमें परामर्शदाता साक्षात्कार एवं प्रेक्षण के माध्यम से सेवार्थी के निकट जाता है।


हैरमिन के अनुसार - 

परामर्श मनोपचारात्मक संबंध है, जिसमें एक प्रार्थी एक सलाहकार से प्रत्यक्ष सहायता प्राप्त करता है या नकारात्मक भावनाओं को कम करने का अवसर और व्यक्तित्व में सकारात्मक वृद्धि के लिये मार्ग प्रशस्त करने का तरीका प्राप्त करता है।

परामर्श के प्रकार (Types of Counselling) -


1. डायरेक्टिव काउन्सलिंग (Directive Counselling) इस प्रकार की काउन्सलिंग में काउन्सलर के द्वारा व्यक्ति की समस्या का पता लगाया जाता है तथा समस्या को दूर करने के लिए व्यक्ति (जो काउन्सलिंग प्राप्त कर रहा है) की भी मदद लेता है। 

इसके लिए वह विशेष तकनीक अपनाता है तथा अनेक विकल्प भी रखता है। व्यक्ति द्वारा उदासीन रवैया अपनाने पर व सही जानकारी नहीं देने पर काउन्सलर समस्या के समाधान हेतु सही दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं।


2. नॉन डायरेक्टिव काउन्सलिंग (Non-directive Counselling) नॉन- डायरेक्टिव काउन्सलिंग में काउन्सलिंग प्राप्त करने वाला व्यक्ति अपनी समस्याओं को काउन्सलर के समक्ष रखता है तथा समाधान के विकल्प ढूँढ़ने में भी काउन्सलर की है मदद करता है। इस प्रक्रिया में काउन्सलर व्यक्ति को उचित विकल्प ढूँढ़ने में मदद करता है।


3. इलेक्टिव काउन्सलिंग (Elective Counselling) ये काउन्सलिंग दोनों डायरेक्टिव और नॉन-डायरेक्टिव - काउन्सलिंग का मिश्रित रूप है अर्थात् काउन्सलर को यह ज्ञात होता है कि व्यक्ति अपनी समस्या का समाधान ढूँढने में सक्षम है तब काउन्सलर उसे सही विकल्प में मदद करता है तो यह नॉन-डायरेक्टिव काउन्सलिंग कहलाता है।


प्रश्न . परामर्श के विभिन्न सिद्धांतों को स्पष्ट कीजिए।

Explain the different principles of counselling.

उत्तर- परामर्श की प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए निम्न सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए-

1. परामर्श हेतु शांत एवं एकांत स्थान का चयन करना चाहिए।

2. परामर्शग्राही के पूर्णत: आरामदायक स्थिति में आ जाने के बाद ही परामर्श की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।

3. परामर्शग्राही को ये विश्वास दिलाना चाहिए कि उसकी जानकारी गुप्त रखी जाएगी और उसकी समस्या का उपयुक्त समाधान किया जायेगा।

4. परामर्श की प्रक्रिया प्रारम्भ करने से पहले परामर्शग्राही का परिचय लेकर उसके तनाव को दूर कर फिर मुख्य समस्या पर आना चाहिए।

5. परामर्श के दौरान सरल, स्पष्ट एवं समझ में आने वाली भाषा का प्रयोग करना चाहिए।

6. परामर्श की प्रक्रिया के दौरान परामर्शग्राही की हर बात को ध्यान से सुनना चाहिए, उसे बीच में टोकना नहीं चाहिए।

7. परामर्शग्राही की समस्या का पूर्णरूप से समाधान होने के बाद ही परामर्श की प्रक्रिया का समापन करना चाहिए। अन्तिम निर्णय परामर्शग्राही पर छोड़ देना चाहिए।


प्रश्न . अच्छे परामर्शदाता की विशेषताएं क्या होती हैं?

What are the characteristics of good counsellor? 

उत्तर- अच्छे परामर्शदाता में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए-

1. अच्छी सम्प्रेषण कला:- परामर्श के दौरान परामर्शकर्ता को अपनी बात बताने के लिए समस्या को ध्यान से सुनना चाहिए, क्योंकि उसकी सम्प्रेषण कला का अच्छा होना अति आवश्यक है।

2. अच्छा श्रोता एवं धैर्य:- परामर्शकर्ता का धैर्यवान होना अति आवश्यक है कई बार परामर्शकर्ता को एक बात बार-बार समझानी पड़ती है इसके साथ-साथ परामर्शकर्ता को एक अच्छा श्रोता भी होना चाहिए ताकि परामर्शग्राही की बात को ध्यानपूर्वक सुने तथा समस्या को समझने के पश्चात परामर्श की प्रक्रिया प्रारम्भ करे।


3. लचीलापन :- परामर्शकर्ता के निर्णय में परामर्श के समय लचीलापन होना चाहिए जिससे समस्या के समाधान में आवश्यकता पड़ने पर परिवर्तन किया जा सके। परामर्शकर्ता को कभी भी अपने विचारों को परामर्शग्राही पर थोपना नहीं चाहिए।


4. प्रोत्साहन देने वाला व समस्याओं को समझने वाला होना चाहिए - परामर्शकर्ता का व्यवहार प्रोत्साहन देने वाला होना चाहिए ताकि परामर्शग्राही की विपरीत परिस्थितियों में भी वह हिम्मत से काम ले सके, साथ ही उसे परामर्शग्राही की समस्याओं को समझने वाला भी होना चाहिए।


5. ज्ञानवान व तकनीकी रूप से मजबूत:- परामर्शकर्त्ता को अपने क्षेत्र का पूरा ज्ञान होना चाहिए, उसे नई तकनीक से - जुड़ा होना चाहिए ताकि वह समस्या के हल को निकालने के लिए अधिक से अधिक विकल्प अपना सके।


Q. परामर्शदाता के रूप में सामुदायिक स्वास्थ्य नर्स की क्या भूमिका होती है?

What is the role of community health nurse as counsellor? 

उत्तर- परामर्शदाता के रूप में सामुदायिक स्वास्थ्य नर्स की निम्नलिखित भूमिका होती है-


1. सामुदायिक स्वास्थ्य नर्स को परामर्श के दौरान एकांत स्थान का चयन करना चाहिए।


2. परामर्श प्रक्रिया के दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य नर्स को परामर्शग्राही को खुलकर अपनी समस्या पर चर्चा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।


3. सामुदायिक स्वास्थ्य नर्स के द्वारा उपयोग की जाने वाली भाषा सरल तथा परामर्शग्राही के समझने योग्य होनी चाहिए। 

4. सामुदायिक स्वास्थ्य नर्स को एक अच्छा श्रोता होना चाहिए तथा चर्चा के दौरान परामर्शग्राही को टोकना नहीं चाहिए।

5. सामुदायिक स्वास्थ्य नर्स को परामर्शग्राही को ये विश्वास दिलाना चाहिए कि उनके बीच की चर्चा को गुप्त रखा जायेगा।

6. परामर्श की प्रक्रिया के दौरान परामर्शकर्ता के सुझाव आदेशात्मक की बजाय सुझावात्मक होने चाहिए।

 7. परामर्शग्राही के पूर्णरूप से संतुष्ट हो जाने के पश्चात ही परामर्श की प्रक्रिया का समापन करना चाहिए।


8. यदि सामुदायिक स्वास्थ्य नर्स समस्या का समाधान करने में असमर्थ है तो विशेषज्ञों की मदद लेनी चाहिए।


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