प्रश्न 21. अवबोधन या प्रत्यक्षीकरण या प्रत्यक्ष बोध किसे कहते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
What is perception? Write down its characteristics.
उत्तर- मनुष्य जिस वातावरण में निवास करता है, उसमें अनेक प्रकार के उद्दीपक ( stimulant) अथवा उत्तेजनाएं (excitement) उपस्थित होती हैं।
प्रत्यक्षीकरण वह मानसिक क्रिया है, जिसके द्वारा मनुष्य को इन उद्दीपकों का तात्कालिक एवं सार्थक ज्ञान प्राप्त होता है।
यह प्रक्रिया संवेदना से भिन्न है। इसमें व्यक्ति को न केवल उद्दीपकों का परिचय प्राप्त होता है, उसके विषय में ज्ञान भी प्राप्त होता है। अपितु
परिभाषाएं (Definitions) -
वुड्वर्थ (Woodworth) के अनुसार प्रत्यक्षीकरण इन्द्रियों की सहायता से पदार्थ या बाह्य घटनाओं को जानने की क्रिया है।
कोलमैन (Coleman) के अनुसार प्रत्यक्षीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा जीव को अपने आंतरिक अंगों तथा - अपने वातावरण के बारे में सूचना मिलती है।
प्रत्यक्षीकरण की विशेषताएँ (Characteristics of Perception)
प्रत्यक्षीकरण की कुछ मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- -
1. प्रत्यक्षीकरण भी स्मृति, चिंतन, तर्क आदि की भाँति एक मानसिक प्रक्रिया है।
2. प्रत्यक्षीकरण के लिए उद्दीपक का होना अनिवार्य है। उद्दीपक की अनुपस्थिति में प्रत्यक्षीकरण असंभव है।
3. प्रत्यक्षीकरण के द्वारा व्यक्ति को वातावरण में उपस्थित उद्दीपक का तात्कालिक व सार्थक ज्ञान प्राप्त होता है।
4. ऐसे उद्दीपक जिनके बारे में व्यक्ति को अनुभव या पूर्व ज्ञान है तो उसका प्रत्यक्षीकरण आसान होगा।
5. जिन उद्दीपक का व्यक्ति को अनुभव या ज्ञान नहीं है तो उनका प्रत्यक्षीकरण मुश्किल होता है।
6. व्यक्ति सभी उद्दीपकों का प्रत्यक्षीकरण नहीं करता वह केवल उन्हीं उद्दीपकों का प्रत्यक्षीकरण करता है जो उसके लिए सार्थक होते हैं या जिन पर उसका ध्यानाकर्षण होता है।
Q. प्रत्यक्षीकरण प्रक्रिया के चरणों को लिखिए।
Write the process of perception.
उत्तर- प्रत्यक्षीकरण निम्नलिखित चार चरणों में पूर्ण होता है-
वातावरण से ज्ञानेन्द्रियों द्वारा उद्दीपकों को ग्रहण करना
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उद्दीपकों का तंत्रिका आवेगों के रूप में परिवर्तन होना
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उद्वीपकों का तंत्रिका आवेगों के रूप में मस्तिष्क में पहुँचना
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उद्दीपकों का प्रत्यक्ष - बोध/ प्रत्यक्षीकरण होना
प्रश्न 23. प्रत्यक्षीकरण को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए ।
Explain the factors affecting perception.
उत्तर- मनुष्य द्वारा किए जाने वाले प्रत्यक्ष बोध पर अनेक कारकों का प्रभाव पड़ता है, इनमें से कुछ कारक प्रत्यक्ष-बोधको स्वतंत्र रूप से प्रभावित करते हैं जबकि कुछ कारक स्थिति विशेष में पाई जाने वाली अन्तःक्रियाओं के फलस्वरूप इस क्रिया को प्रभावित करते हैं।
प्रत्यक्ष बोध को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जा सकता हैं- -
1. व्यक्तिगत कारकों का प्रभाव (Effect of Individual Factors)
2. सामाजिक कारकों की भूमिका (Role of Social Factors)
3. वस्तुगत कारकों का प्रभाव (Effect of Objective Factors)
1. व्यक्तिगत कारकों का प्रभाव प्रत्यक्ष-
बोध के सम्बन्ध में किये गये अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि प्रत्यक्ष-बोध की - प्रक्रिया में प्रत्यक्ष-बोध करने वाले व्यक्ति से सम्बन्धित कारकों का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, इनमें से कुछ निम्न हैं-
(a) शारीरिक आवश्यकता का प्रभाव (Effect of Physical Need)
अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि व्यक्ति अपनी - शारीरिक आवश्यकताओं के अनुसार ही उद्दीपक का प्रत्यक्ष-बोध करता है।
(b) मानसिक वृत्ति का प्रभाव (Effect of Mental Attitude) -
प्रत्यक्ष बोध की क्रिया पर प्रत्यक्ष-बोध करने वाले व्यक्ति की मानसिक वृत्ति का भी प्रभाव पड़ता है। यहां मानसिक वृत्ति का तात्पर्य एक विशेष प्रकार की मानसिक तत्परता हैं।
(c) प्रत्यक्ष- बोध की जाने वाली वस्तु के महत्व का प्रभाव (Effect of Importance of Perception Objects)
• अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि यदि प्रत्यक्ष बोध की जाने वाली वस्तु का मूल्य प्रत्यक्ष बोधकर्ता के लिए अधिक होता - - है तो उस वस्तु का प्रत्यक्ष-बोध भी उतना ही बड़ा एवं स्पष्ट होता है।
(d) तद्रूपता (Identity ) -
यदि प्रत्यक्ष-बोध करने वाला व्यक्ति प्रत्यक्ष बोध की जाने वाली वस्तु से पहले से ही परिचित है तो प्रत्यक्ष-बोध अधिक स्पष्ट और आसान होता है। इसके विपरीत बिल्कुल अपरिचित वस्तु के प्रत्यक्ष-बोध में अधिक कठिनाई होती है।
(e) अभिवृत्ति (Attitude) -
प्रत्यक्ष बोध करने वाले व्यक्ति की अभिवृत्ति भी प्रत्यक्ष-बोध को प्रभावित करती है। यदि प्रत्यक्ष-बोध की जाने वाली वस्तु के प्रति व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक या नकारात्मक है तो प्रत्यक्ष- बोध बड़ा/ अधिक होता है। जिन वस्तुओं के प्रति व्यक्ति का दृष्टिकोण तटस्थ (neutral) होता है, तो उनका प्रत्यक्ष-बोध छोटा होता है। कुछ
(f) अभिप्रेरणा (Motivation) - चूंकि अभिप्रेरणा लगभग सभी मानसिक क्रियाओं को प्रभावित करती है। अतः यह प्रत्यक्ष-बोध को भी प्रभावित करती है। प्रत्यक्ष-बोध के दौरान अभिप्रेरणा का उद्दीपक के चयन एवं गुणों के प्रत्यक्ष-बोध पर प्रभाव पड़ता है।
2. प्रत्यक्ष- बोध में सामाजिक कारकों की भूमिका मनोवैज्ञानिकों द्वारा किये गये विभिन्न अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि -अनेक सामाजिक कारक भी प्रत्यक्ष-बोध को प्रभावित करते हैं।
इनमें से मुख्य निम्न हैं-
(a) सामाजिक मानक और मनोवृत्ति (Social Norms and Attitude) -
समाज में पाये जाने वाले विभिन्न मानक या नियम व्यक्ति के प्रत्यक्ष-बोध को प्रभावित करते हैं।
(b) प्रचार (Propaganda ) -
जिन वस्तुओं का अधिक प्रचार किया जाता है उनका प्रत्यक्ष-बोध भी तेजी से होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि प्रचार एक विशेष प्रकार की मानसिक तत्परता उत्पन्न कर देता है।
(c) सामाजिक सुझाव (Social Suggestions ) -
प्रत्यक्ष बोध की क्रिया पर समाज के अन्य लोगों द्वारा दिये गये। सुझावों का भी प्रभाव पड़ता है। उदाहरणार्थ, धरती गोल है और यह भी अपनी धुरी (axis) पर घूमती है - ऐसा वैज्ञानिकों ने समाज को बताया और समाज ने यही मान्यता दी और इसी सुझाव को अपनाया।
3. प्रत्यक्ष-बोध में वस्तुगत कारकों का प्रभाव - इनमें प्रमुख निम्न हैं-
(a) वस्तु का रंग (Object Colour) -
वस्तु का रंग एवं उस की पृष्ठभूमि का तुलनात्मक रंग वस्तु के प्रत्यक्ष-बोध को प्रभावित करता है।
(b) वस्तु की स्थिति (Position of Object) -
स्थिर वस्तु का प्रत्यक्ष बोध गतिशील वस्तु की तुलना में शीघ्र एवं स्पष्ट होता है। यही कारण है कि चलते हुए व्यक्ति के हाथ में बंधी घड़ी में समय देख पाना एक स्थिर अवस्था में लटकी हुई दीवार घड़ी में समय देख पाने की तुलना में अधिक मुश्किल होता है।
(c) वस्तु का प्रदर्शन - काल (Object-showing time ) -
कोई वस्तु प्रत्यक्ष-बोध करने वाले व्यक्ति की आँख के सामने जितने अधिक समय के लिए रहती है, उसका प्रत्यक्ष बोध उतना ही स्पष्ट होता है।
(d) वस्तु का आकार ( Size of Object) -
प्रायः देखा जाता है कि छोटे उद्दीपकों की तुलना में बड़े आकार के उद्दीपकों का ज्यादा स्पष्ट एवं शीघ्र प्रत्यक्ष बोध होता है। --
(e) उद्दीपक की नवीनता (Novelty of Stimulus ) -
यदि किसी उद्दीपक का बार-बार प्रत्यक्ष-बोध हो तो प्रत्यक्ष-बोध अधिक स्पष्ट एवं शीघ्र होता है अपेक्षाकृत पहली बार आए उद्दीपक के प्रत्यक्ष-बोध के|
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