Hello dear second year GNM all students welcome back to new post. Today discuss about some question two or three questions. which is taking from medical surgical nursing First. If you are GNM 2nd year student then this question is very important for you. All two or three questions with simple answer and easy language for your best prepare. All questions and answer are available in Hindi language.
Q. प्रदाह को परिभाषित कीजिए एवं उसके प्रकारों और कारणों को समझाइए ।
Define inflammation and explain its types and causes.
उत्तर- प्रदाह (Inflammation) - यह जीवित ऊतकों की किसी चोट या संक्रमण के दौरान होने वाली स्थानीय प्रतिक्रिया है जो कि सुरक्षात्मक प्रकृति की होती है।
शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाली प्रदाही स्थितियों को अनुलग्न (suffix) -आइटिस (-itis) जोड़कर लिखा जाता है जैसे-
ब्रोंकाई (bronchi) + आइटिस (itis) ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)
अर्थात् inflammation of bronchi
सरविक्स (cervix) + आइटिस (itis) सरविसाइटिस (Cervicitis) अर्थात् inflammation of cervix
प्रदाह के प्रकार (Types of Inflammation) - प्रदाह मुख्यतः दो प्रकार का होता है-
1. तीव्र प्रदाह (Acute Inflammation)
2. दीर्घकालीन प्रदाह (Chronic Inflammation)
1. तीव्र प्रवाह (Acute Inflammation) - इसके अन्तर्गत होने वाली प्रतिक्रिया अल्पकालीन (short duration) होती है। इसकी अवधि कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह तक हो सकती है।
2. दीर्घकालीन प्रवाह ( Chronic inflammation) यदि तीव्र प्रदाह की प्रक्रिया के दौरान प्रदाह का कारक जैसे संक्रामक सूक्ष्म जीव (pathogen) उस स्थान से नहीं हट पाता है तथा क्षतिग्रस्त ऊतकों का प्रतिस्थापन नए स्वस्थ ऊतकों द्वारा नहीं हो पाता है तो यह दीर्घकालीन प्रदाह (chronic inflammation) का रूप ले लेता है, अतः यह दीर्घकालीन प्रदाह कहलाता है।
इसके अन्तर्गत होने वाली प्रक्रिया अधिक अवधि की होती है तथा इसमें क्षतिग्रस्त ऊतकों (damaged tissues) की मात्रा भी तुलनात्मक अधिक होती है।
इसके लक्षण कुछ महीनों से लेकर वर्षों तक मौजूद रहते हैं।
प्रदाह के कारण (Causes of Inflammation) -
प्रदाह के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
1. संक्रमण (Infection)
2. जीवाणु, वायरस एवं कवक (Bacteria, virus and fungi)
3. चोट लगना (Injury or trauma )
4. एलर्जी (Allergy)
5. जलना (Burn)
6. विकिरण के सम्पर्क में आना (Exposure to radiation)
7. एक्स-रे के सम्पर्क में आना (Exposure to x-ray)
Q. वृद्ध व्यक्ति की विशेष देखभाल में नर्स की भूमिका लिखिए।
Write down the role of nurse in special care of elderly.
अथवा
जिरीआट्रिक देखभाल में नर्स की क्या भूमिका होती है?
What is the role of nurse in geriatric care?
उत्तर- वृद्धावस्था में व्यक्ति की देखभाल विशेष हो जाती है क्योंकि इस अवस्था में वृद्ध व्यक्ति की कार्य व स्वयं की देखभाल करने की क्षमता कम हो जाती है। अतः इसमें एक परिचर्या की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। वृद्धा में रोगी की देखभाल निम्न प्रकार से की जाती है-
1. पर्याप्त पोषण प्रदान करना -
• वृद्धावस्था में पाचन क्षमता कम हो जाती है अतः व्यक्ति को पर्याप्त पोषण प्रदान करना चाहिए।
• रोगी को उच्च कैलोरी युक्त भोजन दिया जाना चाहिए।
रोगी के लिए menu planning करने से पूर्व उसकी भोजन चबाने निगलने तथा पाचन क्षमता का पता करना चाहिए तथा उसी अनुसार भोजन तैयार करना चाहिए।
रोगी के लिए भोजन निर्माण करते समय उसकी पसन्द व नापसन्द का ध्यान रखना चाहिए।
• रोगी को परोसे जाने वाला आहार पोषण युक्त, ताजा व सुपाच्य होना चाहिए।
• रोगी को खाना खाने से पूर्व व्यक्तिगत स्वच्छता जैसे- हाथ धोना, कुल्ला करवाना आदि का ध्यान रखना चाहिए।
• रोगी को छोटे-छोटे टुकड़े खाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
• रोगी को थोड़ा-थोड़ा बार-बार भोजन करने को प्रेरित करना चाहिए।
• रोगी को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
रोगी के भोजन में पर्याप्त रेशेदार अंश होना चाहिए।
2. तनाव एवं चिंता को कम करना -
• व्यक्ति की समस्याएं ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए।
• व्यक्ति से अपनेपन व लगाव वाला व्यवहार करना चाहिए।
• व्यक्ति की आर्थिक समस्याओं का समाधान मार्ग बताना चाहिए।
• रोगी को मनोवैज्ञानिक सहारा प्रदान करना चाहिए।
रोगी को पंसद अनुसार मनोरंजन चिकित्सा उपलब्ध करायी जानी चाहिए।
3. व्यक्ति को स्वच्छ रखना
• व्यक्ति की व्यक्तिगत साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। • व्यक्ति को मुंह की देखभाल प्रदान की जानी चाहिए।
• व्यक्ति को साफ कपड़े पहनाना चाहिए एवं उसके बिस्तर भी साफ रखने चाहिए।
• व्यक्ति के बालों एवं त्वचा को भी साफ रखना चाहिए।
4. पर्याप्त आराम प्रदान करना -
• व्यक्ति को पर्याप्त आराम प्रदान करना चाहिए।
• व्यक्ति की स्थिति हर 2 घंटे में बदलते रहना चाहिए।
यदि दाबव्रण (bed sore) हैं तो water mattress or air mattress पर व्यक्ति को लिटाना चाहिए।
• व्यक्ति को रात को सोते समय परेशान नहीं करना चाहिए।
यदि आवश्यक हो तो sedatives भी दिए जा सकते हैं।
5. व्यायाम करने हेतु प्रेरित करना-
व्यक्ति को नियमित व्यायाम करने हेतु प्रेरित करना चाहिए जैसे- गहरी साँस लेना, सुबह-सुबह घूमना, योग आदि।
• वृद्ध व्यक्ति के व्यायाम करने से उसमें स्फूर्ति बनी रहती है।
व्यायाम करने से भूख भी अच्छी लगती है।
• व्यक्ति को चलने के लिए छड़ी या walker प्रदान करना चाहिए।
6. सुरक्षा प्रदान करना -
• व्यक्ति को यथासम्भव भूतल (ground floor) पर रहने की सलाह देनी चाहिए।
• यदि आवश्यक हो तो bed railing लगानी चाहिए।
स्नानघर में फिसलन को हटाना चाहिए और व्यक्ति को बैठकर नहाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
• व्यक्ति को भारी कार्य करने से रोकना चाहिए।
7. स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करना
• व्यक्ति को healthy lifestyle में रहने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए सलाह देनी चाहिए।
• व्यक्ति को सभी दवाइयाँ सही समय पर देने के लिए कहना चाहिए।
• व्यक्ति को नियमित अस्पताल विजिट करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
व्यक्ति को दुर्गणों से बचने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए जैसे- धूम्रपान, शराब सेवन, झगड़ालू प्रवृत्ति आदि।
• व्यक्ति एवं उसके संबंधियों को आवश्यक स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।
Q.वृद्ध व्यक्ति की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का वर्णन कीजिए।
Explain the health related problems of old age people.
उत्तर- जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है अर्थात् व्यक्ति वृद्धावस्था की ओर बढ़ता है उसके साथ-साथ उसके स्वास्थ्य में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
अधिकांश समस्याएं धीरे-धीरे उत्पन्न होने वाली होती हैं जोकि वृद्धावस्था के दौरान उत्पन्न होती हैं।
1. पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं-
कब्ज
आफरा आना
दस्त लगना
• बवासीर
कुपोषण
पाचन शक्ति कमजोर होना
• भोजन चबाने में परेशानी
• भूख कम लगना
• भोजन के बाद अम्ल शूल की शिकायत
2. श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं-
• COPD
• दमा
क्षय रोग
निमोनिया
• श्वसनी अम्लता (Respiratory acidosis)
• श्वसनी संक्रमण
3. त्वचीय संबंधी समस्याएं-
तापघात (Heat stroke)
शरीर के बालों का सफेद होना
• त्वचा का शुष्क होना
• महिलाओं के चेहरे पर बाल आना
• Bed sore होना
• Skin erosion होना
• गंजापन (Alopecia )
• संक्रमण (Dermatitis)
4. कार्डियोवास्कुलर तंत्र संबंधी समस्याएं-
• धमनियां कठोर होना (Artherosclerosis)
रक्त दाब बढ़ना (Hypertension)
• हार्ट अटैक (Heart attack)
थ्रोम्बस निर्माण (Thrombus formation)
• शरीर के महत्वपूर्ण अंगों का रक्त प्रवाह कम होना
5. तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याएं-
• प्रतिक्रिया देने में समय लगना
• शारीरिक संतुलन का कम होना (Loss of body balance)
• पार्किन्सन रोग (Parkinson's disease)
एल्जाइमर रोग (Alzheimer disease)
नींद न आना (Insomnia)
याददाश्त कमजोर होना (Amnesia)
6. मूत्र मार्गीय संबंधी समस्याएं-
• मूत्रत्याग की बारम्बारता (Frequency of urine)
. मूत्रीय असंयम (Urinary incontinence)
मूत्र का बूँद-बूँद करके टपकना (Dribbling)
• रात्रि में सोते-सोते मूत्र का स्वत: ही निकल जाना (Nocturia)
. बार-बार संक्रमण (Recurrent infection)
BPH (Benign prostate hypertrophy)
मूत्र मार्ग संकरा होना (Stricture urethra)
7. माँसपेशीय एवं कंकाल तंत्र संबंधी समस्याएं-
पेशियाँ कमजोर होना (Muscles wasting)
• ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)
अस्थि भंग होना (Fracture)
• गठिया (Arthritis)
• कुबड़ापन (Kyphosis)
ओस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis)
8. ज्ञानेन्द्रियाँ संबंधी समस्याएं-
• मोतियाबिन्द (Cataract)
ग्लूकोमा (Glaucoma)
• बहरापन (Deafness)
• अंधापन (Blindness)
• संवेदनहीनता (Paraesthesia)
9. यौन संबंधी समस्याएं-
• शारीरिक कमजोरी
• जननांगों में शिथिलता
यौन उत्तेजना की कमी
• नर में प्रोस्टेट ग्रन्थि का आकार बढ़ जाना
• महिलाओं में स्तनों का आकार बढ़ जाना
10. अन्य समस्याएं (Other problems) -
रक्त की कमी
. कुपोषण
इत्यादि।
आप सभी ऊपर दिए गए प्रश्न और उत्तर को अच्छे से पढ़ चुके हैं तो चलिए अब आप सभी के लिए नीचे दिया गया है इसका PDF जिसे आप लोग अपने मोबाइल में Save करके रख सकते हैं और जब भी आपको थोड़ा सा भी Confusion हो तो आप लोग इसे देखकर समझ सकते हैं।
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