Midwife And Gynaecology|| सभी महत्त्वपूर्ण परिभाषा || GNM 3rd Year


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 1. प्रसूति विज्ञान (Midwifery or Obstetrics) - प्रसूति विज्ञान चिकित्सा विज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा होती है। प्रजनन काल में होने वाली जटिलताओं का गर्भ पूर्व गर्भावस्था में प्रसव के समय एवं प्रसव के पश्चात एवं महिला व शिशु की देखभाल करने तथा स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हेतु प्रशिक्षित करने की कला या विज्ञान को हो प्रसूति विज्ञान अथवा मिडवाइफरी कहते हैं।


2. गर्भाशय (Uterus) 

एक महिला के गर्भाशय की आकृति उल्टी नाशपाती जैसी होती है यह आणि गुहा में मूत्राशय के - पीछे व मलाशय के आगे स्थित होता है. यह एक चूण शिशु को रखने वाला खोखला (cavity) माँसपेशी द्वारा निर्मित स्त्रियों का अंग है।


3. मासिक स्राव (Menstruation)

 एक स्वस्थ युवती को प्रथम मासिक साथ या रजोदर्शन से लेकर सम्पूर्ण प्रजनन काल में गर्भाशय से म्यूकस (श्लेष्मा) एवं अन्य पदार्थों से मिश्रित रक्तस्त्राव प्रत्येक 28 दिनों के अन्तर पर होता है, यह स्वाव 3 से 5 दिन तक होता है यह प्रक्रिया 12 से 16 वर्ष की आयु से लेकर 45 से 50 वर्ष की आयु तक प्रत्येक महीने होती है एक मासिक चक्र (menstrual cycle) 28 दिन का बनता है। यह प्रक्रिया 4 अवस्थाओं में पूर्ण होती है।



4. स्वी पैल्विस (Female pelvis)

 श्रोणि अस्थि कंकाल (skeleton) के मध्य में रोड़ की हड्डी के सामने को और - अस्थियों से निर्मित तसला की आकृति के समान एक रचना होती है वो धड़ से टांगों को जोड़ती है। फिरों में स्त्री की आणि का अधिक महत्व रहता है।


5. अपरा (Placenta ) 

अपरा गर्भावस्था काल में गर्भाशय में स्थित एक अण्डाकार अथवा चक्रिकाम (discord) स्पंजी - संरचना रहती है, जो गर्भाशय में माँ एवं धूण को आपस में जोड़ती है। अपरा को गर्भनाल भी कहते हैं. इसके द्वारा भूण अपना पोषण ग्रहण करता है व आवश्यक तत्वों का आदान-प्रदान करता है यह cheriodecidual रचना है जो गर्भाश की भित्ति और नाभि द्वारा घूण से जुड़ी रहती है। 


6. पतनिका (Decidua) गर्भावस्था के समय में गर्भाशय (uterus) की वाहिकोच आंतरिक श्लेष्मिक झिल्ली (mucosa) endometrium में रहती है. इसी को गर्भावस्था के समय decidua कहते हैं।


 7. निषेचन (Fertilization) - मानव में नर के शुक्राणु (sperm) तथा स्त्री के अण्डाणु (ovum) के मिलने के फलस्वरूप युग्मनज (zygote) के निर्माण को ही निषेचन (fertilization) कहते हैं। 


8. गर्भोदक द्रव या उत्य द्रव (Amniotic Fluid or Liquor Amni) 

Foctal sac अथवा amniotic cavity में भ्रूण के चारों ओर एक इस भरा रहता है जिसको गर्भादक (liquor amnii or amniotic fluid) कहते हैं। माँ के गर्भाशय की इसी गुहा में भ्रूण सुरक्षित रहा है। एक पानी के समान द्रव होता है जो amniotic cavity में भ्रूण के चारों और भग रहता है। इसका रंग सुनहरी मटमैला (straw-coloured) व क्षारीय होता है। इसकी specific gravity लगभग 1.010 रहती है. इसका 11 मान 2.2 है।


9. गर्भस्पंदन (Quickening) 

गर्भवती महिला द्वारा गर्भ में पल रहे शिशु की हलचल को अनुभव करना गर्भस्पंदन कहलाता है। इस हलचल को गर्भावस्था के 16-20वें सप्ताह के बीच महिला अनुभव करती है।


10. योनि चिन्ह (Vagina Sign) योनि की दीवारें गहरे रंग की हो जाती है। Cervix नीले रंग का हो जाता है व योनि आव बढ़ जाता है जिसमें म्यूकस अधिक रहता है।


11. ओसिएण्डर चिन्ह (Osiander's Sign) 

यह चिन्ह 8वें सप्ताह की गर्भावस्था में योनि की lateral fornices] पर डी स्पंदन के रूप में महसूस होता है।


11. चैडविक्स अथवा जैक्यूमियर्स चिन्ह (Chadwick's or Jacquemier's Sign) इसमें योनि की श्लेष्मिक कला का रंग गहरे नीले रंग का हो जाता है।


12. गुडेल अथवा सर्वाइकल चिन्ह (Goodell's or Cervical Sign) :-

गर्भाशय में रक्त परिसंचरण बढ़ने के कारण - सर्विक्स कोमल व संवहनीय हो जाती है।


13. हंगर का चिन्ह (Hegar's Sign) :- 

इसमें गर्भाशय का निचला भाग कोमल होता है व ऊपर का भाग निचले भाग की - तुलना में आकार में बड़ा होता है। इसकी पहचान के लिए 6-12 सप्ताह की गर्भावस्था में एक हाथ को दो अंगुलियों को योनि में डालकर दूसरे हाथ को उदर पर गर्भाशय के पीछे रखते हैं। दोनों हाथों की अंगुलियों को एक-दूसरे के पास लाने पर ये आपस में मिल जाती है, जिससे गर्भाशय की कोमलता पता पड़ती है।


14. पामर चिन्ह (Palmer's Sign) 

यह चिन्ह गर्भावस्था के 4-8 सप्ताह पर दिखाई देता है। इसमें चाइमैनुअल परीक्षण के दौरान नियमित व लयवद्ध गर्भाशियक संकुचन होते हैं।


15. एस्ट्रोजन (Cestrogen) 

यह एक स्टेरॉइड हार्मोन है यह प्लासेण्टा की ट्रोफोब्लास्ट परत द्वारा साबित होता है, यह स्रावित पदार्थ एस्ट्रोजन का पूर्ण हार्मोन (percursor) होता है। 


16. प्रोजेस्ट्रोन (Progesterone) -

 यह भी एक स्टेरॉइड हार्मोन है। इसका रसायनिक नाम 17-hydroxy- progesterone होता है। इसे कार्पस ल्यूटियम द्वारा नामित किया जाता है एवं 3 माह के पश्चात् अपरा स्वयं इस सम

को साबित करने लगता है।


17. अनुमानित प्रसव तिथि (Expected Date of Delivery) - 

EDD की गणना हेतु अंतिम मासिक धर्म की तिथि निश्चित होनी चाहिए। आतम मासिक धर्म के प्रथम दिन में 9 माह 7 दिनों को जोड़ देने से प्रस्तावित प्रसव की तिथि ज्ञात हो जाती है, इसको निजिली का नियम (Nagele's Rule) कहते हैं।


18. सामान्य प्रसव (Normal Labour / Eutocia )

वह प्रक्रिया जिसमें परिपक्य शिशु गर्भाशय गुहा (uterine

cavity) से vertex प्रस्तुति में योनि मार्ग के द्वारा बाहर की ओर निकलता है को सामान्य प्रसव कहते हैं। यह प्रक्रिया अंतिम मासिक चक्र के प्रथम दिन से 280 दिनों के बाद सम्पूर्ण होती है।


 19. वृद्धावस्था नर्सिंग (Geriatric Nursing)

 यह नर्सिंग की वह शाखा है जो वृद्ध व्यक्तियों में बीमारी की रोकथाम -

एवं उपचार स्वास्थ के रख-रखाव तथा पुर्नवास हेतु आवश्यक देखभाल से सम्बन्धित है।


 20. पुनर्वास नर्सिंग (Rehabilitation Nursing) पुनर्वास चिकित्सीय सामाजिक व्यासवाधिक मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षणिक उपायों का ऐसा एकीकृत समूह है जिसमें आवश्यकतानुसार उपयुक्त प्रशिक्षण एवं पुनः प्रशिक्षण द्वारा व्यक्ति को क्रियात्मक रूप से यथासंभव उच्चतम स्तर तक योग्य बनाया जाता है।


21. नितम्ब प्रस्तुति (Breech Presentation) -

 इसमें भ्रूण का सिर गर्भाशय के फंडस भाग की ओर एवं पैर गर्भाशय के निचले भाग की ओर होते हैं।


 22. पार्टीग्राफ (Partograph) - 

पार्टीग्राफ या पाटोग्राम वह आरेखित प्रपत्र होता है जिसमें प्रसव प्रक्रिया, ग्रैवीय विस्फारण (cervical dilatation) के आरंभ होने से पूर्ण होने तक की महत्वपूर्ण घटनाओं को समय के सापेक्ष आरेखित किया उपयोग प्रथम बार Friedman द्वारा किया गया था। 

23. गर्भस्थ शिशु विपति/ फीटल डिस्ट्रेस (Fetal Distress) गर्भस्थ शिशु की विपत्ति से तात्पर्य है गर्म का ऐसी जटिलताओं से गुजरक जिनके अधिक समय तक बने रहने से पूर्ण के जीवन को खतरा हो या उसे स्थाई क्षति हो सकती हो। इसके कारण गर्भस्थ शिशु की मृत्यु भी हो जाती है।


24. स्त्री पैरिस (Female pelvis) 

श्रोणि अस्थि कंकाल (skeleton) के मध्य में रीढ़ की हड्डी के सामने की ओर अस्थियों से निर्मित तसला की आकृति के समान एक रचना होती है जो धड़ से टाँगों को जोड़ती है। मिडवाइफरी में स्त्री कीणि का अधिक महत्व रहता है।


25. स्तनपान (Breast Feeding)नपान एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। माँ का दूध बच्चे के लिए आदर्श व परिपूर्ण (perfect) स्थिति में होता है चाहे माँ बीमार, गर्भवती menstruating अथवा कुपोषित ही क्यों न हो। शिशु को छ माह तक एकनिष्ठ स्तनपान कराना उसके स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक होता है। 


26. गृह मुलाकात (Home Visit)

 एक सामुदायिक स्वास्थ्य नर्स द्वारा घर-घर जाकर जन-समुदाय की स्वास्थ्य सम्बन्धी -समस्याओं एवं आवश्यकताओं का पता लगाना तथा उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान करना, गृह मुलाकात (Home Visit) कहलाता है। गृह (पर) मुलाकात जनस्वास्थ्य परिचर्या की रोड़ है।


27. अपगार स्केल (APGAR Scaling)

 जन्म के समय अपगार स्केल विधि से शिशु की दशा (condition of

infant) का तारित ऑकलन किया जाता है। यह जन्म के तुरना एक मिनट बाद व जन्म के पाँच मिनट बाद किया जाना

चाहिए। इस स्कोरिंग में शिशु के पाँच जीवन चिह्नों हृदय धड़कन दर श्वसन दर, पेशीय तन्यता, उत्तेजनशील व शिशु के

रंग का मूल्यांकन कर उन्हें 0 व 2 अंक प्रदान किए जाते हैं। इनके योग से जन्म पर शिशु की दशा व तत्सम्बन्धी

आवश्यक देखभाल की जानकारी मिलती है।


28. सूतिकावस्था (Puerperium)

 सूतिकावस्था शिशु जन्म व अपरा निष्कासन के पश्चात को वह 6 सप्ताह की अवधि होती है जिसमे महिला के जनन अंग विशेष रूप से ओणि के अंग वापस गर्भावस्था के पूर्ण वाली स्थिति में लौट आते हैं।


29. एड्स (AIDS) एड्स का पूरा नाम Acquired Immuno Deficiency Syndrome होता है यह एक अत्यधिक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो कि एच. आई. वी. (Human Immuno Deficiency) वायरस के द्वारा फैलती है HIV संक्रमण एक प्रगतिशील (Progressive) संक्रमण होता है जिसके कारण संक्रमित व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है।


30. लोचिया (Lochia) -

 यह शिशु जन्म के पश्चात का गर्भाशयी साव (post-partum uterine discharge) होता है,जो योनि से निकलता है। यह साथ सूतिकावस्था के प्रथम तीन से चार सप्ताह तक निकलता है। सोचिया या सूतिकाखाव में रक्त तथा नष्ट पनिका (decidua) के ऊतक रहते हैं। इस स्राव में तीव्र बदबू (odour) रहती है।


31. गर्भनिरोधक (Contraception) गर्भनिरोधक का अर्थ अनचाहे गर्भ से मुक्ति पाना है। ऐसे साधन जो महिला को अनचाही गर्भावस्था से बचाने हेतु उपयोग में लाए जाते हैं. गर्भनिरोधक साधन कहलाते हैं।


 32. गर्भपात (Abortion) स्वतंत्र रूप से जीवित रहने में असमर्थ गर्भस्थ धूण (fetus) जिसका वजन 500 ग्राम या इससे -कम हो का गर्भाशय से स्वतः या प्रेरित विधि द्वारा गर्भाशय से बाहर निकल जाना ही गर्भपात कहलाता है।


33. रजनोवृत्ति (Menopause) प्रत्येक स्त्री के 45-55 वर्ष की आयु व प्रजनन काल की समाप्ति पर अण्डाशय - (ovary) में estrogen तथा progesterone सामान की अनियमितता तथा कमी आ जाती है, जिसके कारण से ovary में डिम्बत्सर्जन (ovulation) एवं उसकी सक्रियता में कमी आ जाती है. परिणामस्वरूप मासिक धर्म स्थायी रूप

से बंद हो जाता है. इसी को रजोनिवृत्ति (menopause) कहते हैं।


34. संभावित गर्भपात (Threatened Abortion ) यह गर्भपात का वह प्रकार है जिसमें गर्भपात की प्रक्रिया प्रारंभी

हो गई है परंतु यह उस स्थिति में नहीं पहुंची है जिसमें गर्भावस्था को जारी रखना असंभव हो इसमें चिकित्सकीय सहायता से गर्भपात को रोका जा सकता है।


35. अपरिहार्य गर्भपात (Inevitable Abortion ) इस स्थिति में गर्भावस्था को जारी रखना संभव नहीं होता है। महिला का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. भूख नहीं लगती है. बुखार भी हो सकता है तथा बेचैनी रहती है। 


36. लीन गर्भपात (Missed Abortion) इसको अनभिज्ञ गर्मपात भी कहते है इस गर्भपात में भ्रूण की मृत्यु हो जाती है। परन्तु गर्भाशय में ही रहता है।


37. पूर्ण गर्भपात (Complete Abortion ) इस गर्भपात में निषेषण उत्पाद (products of conception) पूर्ण रूप से बाहर निकल जाते हैं यह 3 माह से पहले ही होने वाला गर्भपाद होता है।


38. अपूर्ण गर्भपात (Incomplete Abortion) यह गर्भपात conception से 12 सप्ताह के बाद ही होता है। इस प्रकार में रक्तस्त्राव अधिक होता है, भ्रूण बाहर निकल जाता है जबकि placenta कला भाग अंदर गर्भाशय में ही रह जाता है। इसीलिए यह अपूर्ण गर्भपात (incomplete abortion) कहलाता है।


39. विषाक्त गर्भपात (Septic Abortion ) इस प्रकार के गर्भपात में गर्भाशय तथा धूप में संक्रमण हो जाता है यह एक

प्रकार से गम्भीर स्थिति होती है जो अपूर्ण (incomplete) गर्भपात की भाँति होती है। इसमें स्वी को तेज जार होता है.

उदर में ऐंठनयुक्त दर्द होता है, नादी दर बढ़ जाती है आदि।


 40. प्रसवपूर्व रक्तस्त्राव (Antepartum Haemorrhage, A.P.H.) शिशु के जन्म से पहले अथवा गर्भावस्था के - 28वें सप्ताह के पश्चात जनन मार्ग (birth canal) से होने वाले रक्तस्त्राव को ही प्रसवपूर्व रक्तस्राव (Antepartum Haemorrhage) कहते हैं। प्रसव की प्रथम अवस्था एवं द्वितीय अवस्था में भी होने वाला रक्तस्राव antpartum Haemorrhage] ही कहलाता है।


 41. सम्मुख अपरा (Placenta Praevia)- आमतौर पर गर्भावस्था के समय placenta गर्भाशय के ऊपरी भाग में आरोपित होता है लेकिन किसी परिस्थिति में अपरा (placenta ) गर्भाशय के निचले भाग में पूर्ण या आंशिक रूप से आरोपित हो जाता है तथा cervix के internal OS को आशिक या पूर्ण रूप से बैंक (cover) देता है तो इसी अवस्थ को प्लासेण्टा प्रीविया (placenta praevia) कहते हैं।


42. अपरा पृथक्करण (Placental Abruption ) - यह वह असामान्य स्थिति है जिसमें अपरा (placenta ) का

आरोपण तो गर्भाशय के ऊपरी भाग में सामान्य रूप से होता है परन्तु गर्भस्थ शिशु के जन्म से पहले ही इसका Premature] पृथक्करण हो जाता है, अतः इसको दुर्घटनात्मक रक्तसाव भी कहते हैं। 


43. प्री-एक्लैम्पसिया (Pre-eclampsia) प्री-एक्लैम्पसिया late pregnancy का रोग होता है. इसे इन्स्ट -हाइपरटेंशन (Pregnancy Induced Hypertension) भी कहते हैं। 


44. एक्लैम्पसिया (Eclampsia ) - 

यह रोग प्री-एक्लम्पीसिया की बड़ी हुई गंभीर अवस्था होती है। इसमें pre eclampsia के लक्षणों के साथ में दौरे (convulsions) व अचेतना coma) की स्थिति भी सम्मिलित हो जाती है इसलिए इसे toxaemia of pregnancy भी कहते हैं।


45. अस्थानिक गर्भधारण (Ectopic Pregnancy) एक ऐसी आसामान्य स्थिति जिसमें निषेचित डिम्ब (ovum) का - आरोपण एवं विकास गर्भाशय गुहा के बाहर होता है अस्थानिक गर्भधारण (Ectopic Pregnancy) कहलाता है। इसे extrauterine pregnancy भी कहते हैं। अस्थानिक गर्भधारण में निषेचित डिम्ब सामान्यतः फैलोपियन ट्यूब में आरोपित होता है।


46, नमवडी (Vasectomy) - यह male sterilization की विधि है जिसमें दोनों vas deferens को काट दिया जाता है एवं काटे हुए सिरों को बाँध दिया जाता है।


 47. डिम्बवाही-छेदन (Tubectomy) – यह स्त्रियों की स्थायी गर्भनिरोधक को सबसे प्रचलित विधि है। इसमें fallopian tubes को सर्जरी द्वारा काट दिया जाता है।


48. अंडर फाइन क्लीनिक (Under Five Clinic) 

अंडर फाइव क्लीनिक पाँच वर्ष तक के बच्चों को स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित होते हैं। इस क्लीनिक के द्वारा पाँच वर्ष तक के बच्चों को नैदानिक उपचारात्मक तथा रक्षात्मक प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं।


49. पश्च परिपक्वता (Post Maturity)

 प्रसव को सम्भावित दिनांक के दो सप्ताह बाद तक भी गर्भावस्था जारी रहती है अर्थात प्रसव प्रारम्भ नहीं होता है तो इस स्थिति को परण परिपक्वता (post maturity) कहते हैं।


50. हाइड्रानियोज (Hydramnios) 

यह एक असामान्य स्थिति होती है जिसमें गर्भावस्था में भ्रूण के चारों ओर एम्नियोटिक द्रव को मात्रा अत्यधिक हो जाती है। 1% गर्भावस्था के मामलों में ऐसी स्थिति होती है। इसे पॉलीहाइडोज (polyhydramnios) अथवा एम्नियोटिक पल डिसॉर्डर (amniotic fluid disorder) भो कहते हैं।


51. ऑलिगोहाइड्रा नियोज] Oligohydramnios ) 

गर्भ समापन के समय अथवा गर्भावस्था के 32वें सप्ताह के निकट गम में एम्नियोटिक द्रव की 200 ml या इससे भी कम हो जाती है तो यह स्थिति लोहनी है।


52. गर्भावस्था में अत्यधिक उल्टियाँ (Hyperemesis Gravidarum)

 गर्भावस्था में होने वाली गंभीर स्थि जिसके कारण महिला अपनी दैनिक क्रियाओं को सुचारु ढंग से कर नहीं पाती है। इनमें महिला में इलैक्ट्रोलाइर एवं द्रव असंतुलन एवं वजन कम हो जाता है।


53. अंतः गर्भाशयी वृद्धि अवरोध (Intrauterine Growth Restriction, IUGR) - 

शिशु में सामान्य से कम वृद्धि होना अतः गर्भाशय वृद्धि अवरोध कहलाता है।




54. अतः गर्भाशयाँ मृत्यु (Intrauterine Death) गर्भावस्था के 28वें सप्ताह के बाद धूण की मृत्यु की अंतगर्भाशयो मृत्यु कहते हैं।


55. उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था (High Risk Pregnancy) गर्भावस्था में ऐसी जटिलताएं विद्यमान होना जिनसे गर्भवती स्त्री या गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हो अथवा दोनों के जीवन के लिए प्राणघातक होउम वाली गर्भावस्था कहलाती है।


 56. एल्डरली प्रिमविडा ( Elderly Primigravida) किसी स्त्री द्वारा 35 वर्ष या इससे अधिक आयु में प्रथम बार गर्भधारण करना [Elderly Primigravida कहलाता है। 


57. टीनेज गर्भावस्था (Teenage Pregnancy)

 यदि कोई स्त्री 18 वर्ष से कम की आयु में गर्भधारण कर लेती है तो इसको adolescent pregnancy अथवा teenage pregnancy  कहते हैं।


58. बहू-गर्भावस्था (Multiple Pregnancy) गर्भावस्था की वह अवस्था जब गर्भित गर्भाशय में दो या दो से अधिक - भ्रूण (foetuses) का विकास होता है बहु-गर्भावस्था (multiple pregnancy) कहलाती है।


59. जुड़वाँ गर्भावस्था (Twins Pregnancy) गर्भावस्था की वह अवस्था जब गर्भित गर्भाशय में दो चूणों (foetus) का -विकास होता है जुड़वाँ गर्भावस्था (multiple pregnancy) कहलाती है।


 60. संकीर्ण आणि (Contracted Pelvis) स्त्री आणि की आकृति और आकार दोनों का असामान्य होना जिसके कारण

योनि द्वारा होने वाले प्रसव में सामान्य आकार वाले शिशु को निकलने में बाधा उत्पन्न होती है, संकीर्ण आणि (contracted] pelvis) कहलाती है। 


61. कुस्थिति (Malposition) कुस्थिति से तात्पर्य है शिशु का श्रेणि में असामान्य स्थिति में होना, मुख्य रूप से Left occipitoposterior स्थिति तथा right occipitoposterior स्थिति रहती है।


 62. बाँझपन या बन्धयता Infertility) गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग किए बिना 12 माह अथवा अधिक समय तक नियमित संभोग क्रिया करने के बाद भी गर्भधारण न कर पाने की अक्षमता हो बध्यता (infertility) कहलाती है।


63. रजनोवृत्ति (Menopause) प्रत्येक स्त्री के 45-55 वर्ष की आयु व प्रजनन काल की समाप्ति पर अण्डाशय में (ovary) में oestrogen तथा progesterone हार्मोन की अनियमितता तथा कमी आ जाती है, जिसके कारण से ovary में डिम्बोत्सर्जन (ovulation) एवं उसकी सक्रियता में कमी आ जाती है, परिणामस्वरूप मासिक धर्म स्थायी रूप से बंद हो जाता है. इसी को रजोनिवृत्ति (menopause) कहते हैं। 


64. बंडल वलय (Bandl's Ring)

 गर्भाशय के ऊपरी भाग में तीन संकुचनों के फलस्वरूप गर्भाशय के चारों ओर एक खांच अथवा कर्म (groove or curve) निर्मित होती है जो Bandl's ring कहलाती है। इसे Pathological Retraction Ring भी कहते हैं।


 65. संकुचनी वलय (Contraction Ring). - 

गर्भाशय के circular पेशीय तन्दुओं को ऐठन (spasm) के कारण एक ) अंगूठी के समान रिंग विकसित होती है। यह रिंग गर्भाशय में कहीं भी व प्रसव को किसी भी अवस्था पर बन सकती है। सामान्यतः यह रिंग ऊपरी गर्भाशयी भाग तथा निचले गर्भाशयी भाग के junction पर foetus को cephalic प्रस्तुति में शिशु को गर्दन के निकट बनती है।


66. ग्रैवीय असामान्य प्रसव (Cervical Dystocia) गर्भाशय में पूर्ण प्रभावी संकुचनों के होते हुए भी प्रसाद की अवधि लम्बी हो जाती है, इसका कारण होता है cervix का विस्फारित नहीं होना। यह स्थिति cervical dystocia कहलाती है।


67. बाधित प्रसव (Obstructed Labour) 

स्त्री के गर्भाशय संकुचन दीव्र होने के बावजूद भी शिशु के प्रस्तुति अंगका नीचे की और नहीं खिसकना ही बाधित प्रसन्न (obstructed labour) कहलाता है।


68. प्रसव प्रेरण (Induction of Labour)

 गर्भाशयी संकुचनों से पूर्व व 28 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद जानबूझकर गर्भाशय संकुचन उत्पन्न करना ही प्रसव प्रेरण (Induction of Labour) कहलाता है। प्रसव प्रेरण कुछ विशेष उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है जिससे मां एवं शिशु की जान बचाई जा सके व उन्हें उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त हो सके।


69. रज्जु भ्रंश (Cord Prolapse) - 

रन्जु अंश एक आपातकालीन प्राभूतिक अवस्था है जिसमें एम्नियोटिक झिल्ली फटने के पश्चात् शिशु के प्रस्तुति भाग के आगे रज्जु ( umbilical cord) मौजूद होती है। इसी स्थिति को रज्जु - प्रश कहते हैं। नाभिनाल योनि में या थरथा से बाहर दिखाई पड़ती है।


70. प्रसव पश्चात रक्तस्त्राव (Postpartum Hemorrhage. P.P.H.)- 

शिशु जन्म के पश्चात मां को 6 सप्ताह तक जनन मार्ग से होने वाले रक्तस्त्राव को ही प्रसव पश्चात रक्तसाव कहते हैं। यह रक्तसाव सूतिकावस्था में कभी भी हो सकता है।


71. रिटेण्ड प्लोसन्टा (Retained Placenta ) 

आरोपण वाले स्थान (decidua) से अपरा शिशु जन्म के 5-15 मिनट बाद ही deliver हो जाता है। शिशु जन्म के पश्चात कुछ महिलाओं में अपरा (placenta ) बाहर नहीं निकलता है, जब प्रसव के पश्चात प्लासेन्टा बाहर नहीं निकलता है तो इस स्थिति को रुका हुआ अपरा (retained placenta ) कहते हैं।


 72. सुतिकावस्था ज्वर / प्यूपेरियल पाइरेक्सिया (Puerperal Pyrexia)

 शिशु को जन्म देने के प्रथम 24 घंटों को - छोड़कर अगले 20 दिनों तक यदि स्त्री के शरीर का तापमान सामान्य से अधिक रहता है, तो इस अवस्था को मूर्तिकावस्था बुखार या ज्वर (puerperal pyrexia) कहते हैं। इसमें महिला का शारीरिक तापमान 100.4°F या इससे अधिक है।


73. सूतिकावस्था का संक्रमण / प्यूपेरियल सेप्सिस (Puerperal Infection / Sepsis) 

प्रसव की जटिलताओं (complications) के कारण जनन मार्ग में होने वाला संक्रमण सूतिकावस्था का संक्रमण कहलाता है।


 74. मेस्टाइटिस (Mastitis)

 दर्द युक्त स्तन का शोध (Inflammation of breast) मैस्टाइटिस कहलाता है। -स्टाइटिस की संभावना दुग्धपान कराने वाली महिलाओं में अधिक होती है।


 75. श्वासावरोध नियोनेट्रम (Asphyxia Neonatorum) ऐसी स्थिति जब शिशु को जन्म के समय पर्याप्त मात्रा में

ऑक्सीजन प्राप्त न हो Asphyxia Neonatorum कहलाती है। यह जानलेवा सिद्ध हो सकती है, देश में नवजातों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण श्वासावरोध है। इसे Perinatal Asphyxia Birth Asphyxia के नाम से भी जाना जाता है।


76. शिरोवल्क शोफ (Caput Succedaneum ) शिशु के सिर पर पाई जाने वाली जलशोधिय सूजन की खोपड़ी की - त्वचा व अन्य उत्तकों में रक्त युक्त लसीय द्रव भर जाने के कारण हो जाती है। यह जन्म के समय से ही उपस्थित रहती है व सीवन रेखा (suture line) के दूसरी ओर तक जा सकती है। यह धीरे-धीरे 36 घंटों में विलुप्त हो जाती है। दवाने पर इसमें गड्ढा बन जाता है।


77. शीर्ष रक्तार्बुद (Cephalhaematoma ) शिशु के सिर पर पाई जाने वाली सूजन जो जन्म के दौरान सिर और िरगड़ के कारण पैरिओस्टियम (periosteum) के नीचे रका भर जाने के कारण होती है। यह और खोपड़ी कमें बीच घर्षण होने की वजह से होती है। ज्यादातर शीर्ष रक्तार्बुद बाधित या तौत्र प्रसव के कारण होता है। 


78. गर्भवर्तन (Version) गर्भवती शिशु को गर्भाशय में breech presentation से अनुकूल परिस्थिति में लाने के -लिए किया जाने वाला परिवर्तन गर्भवर्तन (Version) कहलाता है।


79. सिफैलिक गर्भवर्तन Cephalic Version) 

गर्भवर्तन की क्रिया द्वारा गर्भस्थ शिशु का सिर वाला भाग (cephalicpole) गर्भाशय के निचले भाग (lower pole) में लाया जाता है तो इसे cephalic] गर्भावर्तन कहते हैं। 


80. चिमटी प्रसव (Forceps Delivery)

 प्रसव की एक विधि जिसमें चिमटी (forceps) का उपयोग करके भ्रूण का सिर पकड़कर बिना उसे चोट व नुकसान पहुंचाएं धूण को पूरा बाहर निकाल लिया जाता है चिमटी प्रसव (forceps delivery) कहलाती है। चिमटी प्रसव के उपयोग से उदरोय प्रसव की संभावनाओं को न्यूनतम किया जाता है।


81. वेन्टोज प्रसव (Ventouse or Vaccum Delivery) - वेन्दीय (Ventouse) एक उपकरण होता है, जब स्त्री के स्वयं के प्रयासों से delivery संभव ना हो तो इस उपकरण की सहायता से गर्भस्थ शिशु के सिर को बाहर निकालकर delivery करायी जाती है। इसी प्रक्रिया को बेन्टोन प्रसव (Ventouse delivery) कहते हैं, इसे वैक्यूम एक्सट्रैक्शन (vaccum extraction) भी कहा जाता है। 


82. एपिजिओटॉमी (Episiotomy )

 प्रसव की द्वितीय अवस्था के समय पश्च योनि भित्ति (posterior vaginal wall) पर चीरा लगाए जाने को एनओटॉमी अथवा पैरिनियोटॉमी (perineotomy) कहते हैं। इसका उद्देश्य शिशु जन्म के समय निकासी द्वार को चौड़ा (विस्तारित) करना होता है ताकि जन्म की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सके।


83. सीजेरियन सेक्शन (Caesarean Section) खण्डकाट या पेटचाक एक शल्य क्रिया है जिसके द्वारा 28 सप्ताह की - गर्भावस्था के पश्चात प्रसव के लिए उदर मिति (abdominal wall) को चीरने के पश्चात् गर्भाशय पर चीरा लगाया जाता है, को सकुशल बाहर निकाला जाता है।


84. चिकित्सकीय गर्भपात (Medical Termination of Pregnancy, MTT) 20 सप्ताह की अवधि से पूर्व गर्भावस्था में किसी पंजीकृत स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा महिला के स्वास्थ्य एवं जीवन की रक्षा हेतु जो गर्भपात किया जाता है। उसे M.T.P. कहते हैं। इस गर्भपात को MIP Act 1971 की धाराओं के अनुसार ही किया जाता है।


 85. गायनाकोलोजी (Gynaecology)- - स्त्री के जनन मार्ग के रोगों के अध्ययन से संबंधित चिकित्सा विज्ञान को स्त्री रोग विज्ञान (Gynaecology) कहते हैं।


 86. प्यूची (Puberty)

 किसी लड़की लड़के की यौवनारम्भ (म्यूटी) की आयु यह होती है जब यह संतान उत्पत्ति के योग्य हो जाते हैं एवं उनमें secondary sexual characteristics का विकास आरम्भ होता है। 


87. अनार्तव या रजोरोध (Amenorrhea) महिला में किसी कारण से मासिक स्राव (धर्म) का नहीं होना अथवा एक बार होकर रुक जाना रजोरोध अथवा अनार्तव कहलाता है। यह रोग नहीं होता है बल्कि किसी रोग का लक्षण होता है।


88. दयुक्त मासिक धर्म (Dysmenorrhea)

 मासिक धर्म के दौरान सामान्य से अधिक दर्द होना जिसके कारण - महिला के दैनिक कार्यों में बाधा पहुंचती हो दर्दयुक्त मासिक धर्म कहलाता है।


89. छदम मासिक धर्म (Cryptomenorrhea) 

यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मासिक धर्म तो होता है परंतु outflow tract में बाधा (obstruction) होने के कारण रक्त शरीर से बाहर नहीं आ पाता है। इसे hematocolpos भी कहते हैं। 


90. जनन क्षमता (Fertility) सामान्य लैंगिक संबंध बनाते हुए 12 माह व उससे कम समय के अंदर गर्भधारण करने की क्षमता हो जनन क्षमता (fertility) कहलाती है।


91. Salpingitis 

Fallopian tubes में होने वाला प्रदाह व संक्रमण salpingits कहलाता है।


 92. योनि प्रदाह (Vaginitis) योनि में होने वाला प्रदाह vaginitis कहलाता है। इस अवस्था में योनि से स्राव निकलना दर्द व खुजली रहती है।


93. ग्रीवा का संक्रमण (Cervicitis) - गर्भाशय ग्रीवा (cervix) के संकीर्ण भाग में अचानक से शोध प्रवाह (inflammation) हो जाना ही ग्रीवा का संक्रमण कहलाता है।


94. गर्भाशय मुखीय कैंसर (Cervical Cancer) गर्भाशय की सर्विस की कोशिकाओं में अनियंत्रित विभाजन होने से कैंसर की स्थिति उत्पन्न होती है। यह स्त्रियों में सर्वाधिक होने वाला कैंसर है।


95. गर्भाशयिक अंश (Uterine Prolapse) गर्भाशय का अपनी सामान्य स्थिति से हटकर नीचे की ओर खिसक जाने को गर्भाशयिक अंश कहलाता है। गर्भाशय को सहारा प्रदान करने वाले लिगामेन्ट अथवा पैल्विक फ्लोर की मांसपेशियों के कमजोर होने से यह स्थिति उत्पन्न होती है।


96. गर्भाशय में गांठ (Uterine Fibroid) गर्भाशय की मायोमेट्रियम द्वारा निर्मित असामान्य संरचना गर्भाशय में गांठ कहलाती है, जिसको सामान्य मायोमेट्रियम से विभेदित किया जाता है।


97. गर्भाशय कैंसर (Uterus Cancer) गर्भाशय की आंतरिक परत एण्डोमेट्रियम की कोशिकाओं में अनियंत्रित वृद्धि एवं विभाजन होने से इसमें neoplasmic संरचनाओं का निर्माण हो जाता है. इसे ही गर्भाशय का कैंसर कहते हैं। इसे एण्डोमेट्रियल कैंसर (endometrial cancer) भी कहते हैं।


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