GNM 1st Year/ Learning it's types / Behaviour Science/ सीखना या अधिगम

Hello Dear,


Wellcome Back To New Post. Today Discuss About Most Important Questions And It's Simple Solutions in Hindi. Behaviour science Important Questions Answer GNM First Year Nursing.

GNM Exam First Year important Questions Answer About Learning and it's Types.


आज आप सभी को यहां सीखना या अधिगम के ऊपर प्रशन नीचे Discuss किया गया हैं जो आपके Exam के लिए महत्त्वपूर्ण है।


Q.  सीखना या अधिगम से क्या आशय है? इसे परिभाषित करें।

What is learning? Define it.


उत्तर- अधिगम (Learning) एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया (process) है, इसका अर्थ "सीखना" यानी व्यवहार-परिवर्तन है। सीखना एक व्यापक शब्द है, यह किसी स्थिति के प्रति सक्रिय सार्वभौमिक (universal) प्रक्रिया है। व्यक्ति जन्म से ही सीखना प्रारम्भ करता है और मृत्युपर्यन्त कुछ न कुछ सीखता ही रहता है।


सीखने के लिए किसी विशेष स्थान या स्थिति की आवश्यकता नहीं होती, व्यक्ति कहीं भी किसी भी समाज में किसी से भी कुछ भी सीख सकता है। हाँ ये अवश्य है कि सीखने की गति आवश्यकता एवं परिस्थिति के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है।


परिभाषाएँ (Definitions) -


क्रो एवं क्रो के अनुसार - अधिगम या सीखना आदतों, ज्ञान और अभिवृत्तियों का अर्जन है।


चार्ल्स ई. स्किनर के अनुसार- व्यवहार में अत्तरोत्तर अनुकूलन की प्रक्रिया ही अधिगम या सीखना है।

 जे. पी. गिलफोर्ड के अनुसार - व्यवहार के कारण, व्यवहार में किसी प्रकार का परिवर्तन आना ही सीखना है।


प्रश्न 3. सीखने के प्रकारों का वर्णन कीजिए।

Describe types of learning. 

उत्तर- सीखने या अधिगम के निम्न मुख्य प्रकार हैं-


1. गत्यात्मक अधिगम (Motor Learning) - यह अधिगम छोटे शिशुओं में होता है। इसमें बालक शरीर के संचालन और गति पर नियंत्रण करना सीखता है।


2. बौद्धिक अधिगम (Intellectural learning) - जब बालक का मानसिक विकास होता है तो उसमें तर्क की शक्ति बढ़ने लगती है। बालक में जिस ज्ञान का विकास तार्किक ढंग से होता है, वह बौद्धिक कहलाता है।


3. साहचर्यात्मक अधिगम (Associative learning) - साहचर्यात्मक अधिगम संकल्पनात्मक अधिगम को आगे बढ़ाने में मदद करता है। व्यक्ति में नयी संकल्पनाएं (concepts) तथा नये विचार तब ही कारगर होते हैं, जबकि साहचर्य के द्वारा व्यक्ति की पूर्व धारणाओं को बल मिलता है।


4. संकल्पनात्मक अधिगम (Conceptual learning) - जब व्यक्ति की मानसिक क्रिया परिपक्व हो जाती है, तभी उसमें संकल्पनात्मक विकास होता है। इस प्रकार के अधिगम में ही व्यक्ति में तर्क, चिन्तन, कल्पना आदि का विकास होता है।


5. अभिवृत्यात्मक अधिगम (Attitudinal learning) - बालक जब व्यवहार का अर्जन करता है, तब वह अभिवृत्तियों को भी ग्रहण करता है। जब बालक की किसी कार्य, वस्तु या विचार के प्रति धारणा बन जाती है, वह बालक के व्यवहार का निर्धारण करती है।


6. मूल्यांकन अधिगम (Appreciation learning) - जब व्यक्ति की संकल्पना ज्ञान की ओर बढ़ती है तब उसमें प्राप्त ज्ञान या अनुभव के गुण-दोषों की विवेचना करने की क्षमता विकसित हो जाती है।


7. संवेदन गति अधिगम (Sensor-motor learning) - संवेदन गति अधिगम में बालक विभिन्न प्रकार के कौशल (skills) अर्जित करता है, जिससे उसमें दैनिक व्यवहार में अनेक प्रकार की कुशलता आती है।


8. समस्या समाधान अधिगम (Problem solving learning) - समस्या समाधान अधिगम की उच्च अवस्था है। इस अधिगम में व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान करना सीखता है। समस्या समाधान अधिगम के कारण ही आज मनुष्य जाति प्रगति और विकास के पथ पर अग्रसर है।


Q. सीखने के प्रमुख नियम कौन से हैं? विस्तार से समझाइए ।

What are the main rules of learning? Describe in detail. 


उत्तर- थार्नडाइक (Thorndike) ने सीखने के नियमों का प्रतिपादन 1820 में किया था, जिनको दो वर्गों में बांटा गया है-


A. मुख्य नियम (Main Law)


B. सहायक नियम (Subordinate Law)


A. मुख्य नियम (Main Law) - मुख्य नियम में तीन नियम शामिल हैं- -


1. तत्परता का नियम (Law of Readiness) - तत्परता के नियम में तीन परिस्थितियाँ विद्यमान होती हैं-


(a) जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को सीखने के लिए तत्पर होता है तो सीखना आनंददायक होता है। 


(b) जब कोई व्यक्ति कार्य सीखने के लिए तैयार न हो किन्तु उसे जबरदस्ती सिखाया जाए। 

ऐसी स्थिति में उसे सिखाना खीझ उत्पन्न करने वाला होता है।


(c) जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को सीखने के लिए तैयार हो किन्तु उसे कार्य सीखने न दिया जाए तो ऐसी स्थिति असंतोष व खीझ उत्पन्न करती है।


अतः थार्नडाइक (Thorndike) ने स्पष्ट किया कि जब तक मनुष्य सीखने के लिए तत्पर नहीं होते तब तक न तो वे स्वयं सीख सकते हैं और न कोई दूसरा उन्हें सिखा सकता है, अतः आवश्यक है कि विद्यार्थियों को सीखने के लिए तत्पर किया जाए, तत्परता ध्यान केन्द्रित करने में सहायता करती है।


2. अभ्यास का नियम (Law of Exercise) इस नियम के अनुसार किसी क्रिया को बार-बार करने अथवा दोहराने से - वह याद हो जाती है और छोड़ देने पर या न दोहराने से वह भूल जाती है।

 इस प्रकार यह नियम प्रयोग करने तथा प्रयोग न करने पर आधारित है। 

इसलिए इसे थार्नडाइक ने उपयोग एवं अनुपयोग का नियम भी कहा। 

अतः बच्चे को जो कुछ सिखाया जाए, उसकी आवृत्ति की जाए और समय-समय पर उसका उपयोग किया जाए।


3. प्रभाव का नियम (Law of Effect) - थार्नडाइक का यह नियम सीखने और अध्यापन का आधारभूत नियम है।

 इस नियम को "सन्तोष-असन्तोष" का नियम भी कहते हैं। इसके अनुसार जिस कार्य को करने से प्राणी को हितकर परिणाम प्राप्त होते हैं और जिसमें सुख और सन्तोष प्राप्त होता है, उसी को व्यक्ति दोहराता है। 

जिस कार्य को करने में कष्ट होता है और दुःखद फल प्राप्त होता है उसे व्यक्ति नहीं दोहराता है। 

इस प्रकार व्यक्ति उसी कार्य को सीखता है जिसमें उसे लाभ मिलता है तथा सन्तोष प्राप्त होता है।


B. सहायक नियम (Subordinate Law) - 


प्रमुख सहायक नियम निम्न प्रकार हैं- 

1. बहुअनुक्रिया का नियम (The Law of Multiple Response)


2. मानसिक तत्परता का नियम (The Law of Mental Set )


3. समानता के अनुसार अनुक्रिया (Principle of Analogy)


4. तत्वों को पूर्ण शक्तिमत्ता (The Law of pre-potent factors)


5. सहचारी स्थान परिवर्तन (Principle of Associate Shifting)


ऊपर दिए गए प्रश्नों को अच्छे से पढ़ चुके है तो हमें पूरा विश्वास है कि ये आपके लिए आसान रहा होगा और उपयोगी तो है ही तो चलिए नीचे से इसका PDF Download कर सकते हैं।

GNM first year important notes Hindi pdf Download, GNM nursing pdf Hindi me kaise kaha se download kare . behaviour science Learning It's Types GNM first year notes pdf Hindi me.


Download Pdf:- Click Here