Fundamentals of Nursing - GNM first year - Inhalation - Pulse Rate

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आज आप सभी के बीच में Fundamentals Of Nursing के महत्त्वपूर्ण दो प्रशन के ऊपर चर्चा किया गया हैं जिसका व्याख्या आसान भाषा में किया गया हैं। 


Q. नाड़ी दर क्या हैं विशेषता और प्रभावित करने वाले कारक।

Q. Inhalation अंतः श्वसन क्या हैं प्रकार लिखें।



Q . प्रश्वसन या अभिश्वसन या अंतःश्वसन से क्या आशय है? इसके प्रकार संक्षेप में लिखिए।

What is inhalation? Write its types in brief.


उत्तर - प्रश्वसन या अभिश्वसन (Inhalation) - जब वायु, वाष्प अथवा गैस को फेफड़ों में नाक एवं मुँह द्वारा खींचा जाता है, खींचने की प्रक्रिया ही प्रश्वसन (inhalation) कहलाती है।


अन्तः श्वसन के प्रकार (Types of Inhalation) -

1. शुष्क अन्तःश्वसन (Dry Inhalation)

2. नम अन्तःश्वसन (Moist Inhalation)

1. शुष्क अंतःश्वसन (Dry Inhalation) - इसके अन्तर्गत दवाइयों को उनके गैस, उड़नशील द्रव एवं धुएँ के रूप में मरीज के श्वसन मार्ग द्वारा फेफड़ों (lungs) में प्रविष्ट कराया जाता है। इसके दौरान मरीज में निश्चेतना या संवेदनहीनता (anaesthesia) उत्पन्न करवाई जाती है।

(a) जनरल एनेस्थेसिया (General Anaesthesia)

(b) ऑक्सीजन (O)

(c) एमाइल नाइट्रेट (Amyle Nitrate)

(d) ऑटोमेटिक स्प्रिंट (Automatic Spirit)

(e) यूकेलिप्टस (Eucalyptus)


2. नम अंतःश्वसन (Moist Inhalation) - नम अंतःश्वसन के अन्तर्गत दवाईयों को गर्म वाष्प (steam) या नमी के साथ मरीज के श्वसन मार्ग में अंतःश्वसन (inhale) कराया जाता है। नम अंतःश्वसन श्वसन मार्ग के लिये एन्टीसेप्टिक (antiseptic) की तरह कार्य करता है। नम अंतःश्वसन के दौरान दवाई भाप के साथ फेफड़ों तक जाकर मरीज का कफ (mucous) आसानी से बाहर निकालने में सहायता करती है। अतः कई दवाइयों को आवश्यकतानुसार मात्रा में पानी के साथ मिलाकर उसकी भाप को मरीज द्वारा श्वसन मार्ग में खींचकर फेफड़ों तक पहुँचाकर उपचार किया जाता है। जिससे विवरशोथ (sinusitis). जुकाम व खाँसी (cold and cough), bronchitis जैसी परेशानी से राहत मिलती है। 

नम अंतःश्वसन में उपयोग में लाई जाने वाली दवाईयाँ निम्न हैं-


(a) टिंकचर बेंजोइन (Tincture Benzoin)

(b) मेन्थोल (Menthol)

(c) यूकेलिप्टस (Eucalyptus)

Q. नाड़ी क्या है? नाड़ी दर लेने के सामान्य स्थान व बिंदु समझाइए । What is pulse? Describe common site for taking pulse.

उत्तर- रक्तपरिसंचरण के लिये जब हृदय का बायां निलय (left ventricle) संकुचित होता है तब रक्त तरंग, धमनी में से बलपूर्वक गुजरती है जिसके कारण धमनी में बारी-बारी से उठाव (expansion) तथा पतन (recoil or fall) होता है अतः धमनी के इस एकान्तरित उठाव व पतन को नाड़ी (pulse) कहते हैं।


नाड़ी दर लेने के सामान्य स्थान व बिन्दु (Common sites for taking pulse ) -

1. टेम्पोरल धमनी (Temporal artery) - टेम्पोरल अस्थि के ऊपर।


2. केरोटिड धमनी (Carotid artery) - गर्दन के बगल में।


3. एपीकल धमनी (Apical artery) - हृदय में।


4. ब्रेकियल धमनी (Brachial artery) - कोहनी के अन्दर वाले भाग पर।


5. रेडियल धमनी (Radial artery) - कलाई में रेडियस हड्डी पर 


6. फीमोरल धमनी (Femoral artery) - जाँघों पर या ऊरू संधि के पास।

7. पॉप्लीटियल धमनी (Popliteal artery) - घुटने का पीछे वाला भाग ।

8. पोस्टिरअर टिबियल धमनी (Posterior tibial artery) टखने का बीच वाला भाग । -


9. डॉर्सेलिस पेडिस (Dorsalis padis) - पाँव पर ।


प्रश्न . नाड़ी की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

Describe the characteristics of pulse.


उत्तर:- नाड़ी की मुख्य चार विशेषताएँ होती हैं-

1. दर (Rate)


2. ताल (Rhythm)


3. आयतन (Volume )


4. तनाव (Tension)


1. दर (Rate) दर का अर्थ है कि एक मिनट में नाड़ी स्पन्दनों की संख्या सामान्य नाड़ी दर एक वयस्क में 60 से 100 प्रति मिनट होती है। 100 प्रति मिनट से अधिक की नाड़ी दर को टेकीकार्डिया (tachycardia) कहते हैं। 60 प्रति मिनट से कम की नाड़ी दर को ब्रेडिकार्डिया (bradycardia) कहते हैं।


 2. ताल (Rhythm) - नाड़ी स्पन्दनों की नियमितता को ताल कहते हैं। Pulse लेते समय बीच के अंतराल की रेगुलरटी (regularity) को ताल (rhythm) कहते हैं। यदि स्पन्दन अनियमित हो तो पूरे। मिनट तक pulse गिननी चाहिए।


3. आयतन (Volume). - यह प्रत्येक स्पंदन के साथ अनुभव होने वाला रक्त का दबाव होता है। आयतन से तात्पर्य है कि - धमनी का रक्त से भरा हुआ होना।


4. तनाव (Tension) - धमनियों में पहुँचे रक्त के कारण धमनियों में तनाव उत्पन्न होता है, जब धमनी को तनाव के कारण दबाना कठिन हो तो उसे उच्च तनाव कहते हैं और यदि धमनी को आसानी से दबाया जा सके तो उसे निम्न तनाव कहते हैं।


प्रश्न . नाड़ी दर को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?

What are the factors influencing pulse rate?


नाड़ी दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-

उत्तर-

1. उम्र (Age) – छोटे बच्चों में नाड़ी दर अधिक होती है तथा वयस्कों में बच्चों से कम और वृद्धों में वयस्कों से भी कम व धीमी होती है।


    उम्र                                           सामान्य नाड़ी वर


जन्म पूर्व (F.H.S)                140 से 150 प्रति मिनट


जन्म के बाद                        130 से 140 प्रति मिनट


प्रथम वर्ष                           115 से 130 प्रति मिनट


द्वितीय वर्ष                         100 से 115 प्रति मिनट


तृतीय वर्ष                           90 से 100 प्रति मिनट

चार से आठ वर्ष                        86 से 90 प्रति मिनट


आठ से पन्द्रह वर्ष                     80 से 86 प्रति मिनट


       वयस्क.                                70 से 80 प्रति मिनट  


   वृद्धावस्था                                60 से 70 प्रति मिनट


2. लिंग (Sex) - पुरूषों की तुलना में महिलाओं की नाड़ी दर अधिक होती है।


3. कद-काठी (Physique) - ऊँचे या भारी व्यक्तियों की तुलना में छोटे एवं हल्के व्यक्तियों की नाड़ी दर अधिक होती है।


4. व्यायाम (Exercise) - व्यायाम करने के बाद बढ़ी हुई पेशीय सक्रियता नाड़ी दर में वृद्धि करती है।


5. आसन व स्थिति (Position) - बैठे रहने या सोए रहने की तुलना में खड़ी हुई अवस्था की नाड़ी दर अधिक होती है।


6. भोजन (Food) - भोजन करने के बाद नाड़ी दर में वृद्धि होती है।


7. भावावेग (Emotion) - मानसिक एवं भावनात्मक व्यवधानों में नाड़ी दर बढ़ जाती है। 


8. पीड़ा (Pain) - पीड़ा में नाड़ी दर बढ़ी हुई होती है। 


9. शीतल प्रयोग (Cold application) - शीतल प्रयोग में नाड़ी दर घट सकती है। 


10. रोगावस्थाएँ, ऊष्मा का प्रयोग एवं कुछ औषधियाँ नाड़ी दर को बढ़ाती हैं।


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