Community Health Nursing -I & II , First Year & 3rd Year - Three Important National Programme

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 Q.राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम क्या है? समझाइए।

अथवा

What is National AIDS Control Programme? Describe it. 

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के क्या-क्या उद्देश्य हैं?

What are the aims of National AIDS Control Programme?


उत्तर- एड्स (AIDS) - एड्स का पूरा नाम एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएन्सी सिन्ड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) होता है। यह एक अत्यधिक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो कि एच. आई. वी. (Human Immuno Deficiency) वायरस के द्वारा फैलती है। HIV संक्रमण एक प्रगतिशील (Progressive) संक्रमण होता है जिसके कारण व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। परिणामस्वरूप व्यक्ति में द्वितीयक संक्रमणों की संभावना बढ़ जाती है।


राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (National AIDS Control Programme) – वर्ष 1986 में एच.आई.वी. का प्रथम - रोगी पाए जाने के पश्चात सन् 1987 में भारत सरकार ने एड्स के प्रभावी रूप से नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की। 

इस कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य निम्न हैं-


HIV के संचारण को रोकना।


HIV संक्रमण के कारण होने वाली रुग्णता (morbidity) एवं मृत्यु (mortality) की रोकथाम करना ।


HIV संक्रमण के फैलने के तरीके एवं बचाव के उपायों के बारे में जन समुदाय में जागरुकता फैलाना।


 राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत संपादित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियाँ निम्न हैं-

1. वार्षिक देखरेख निगरानी (annual sentinal surveillance)

2. रोकथाम पर जोर(emphasis on prevention)

3. स्वैच्छिक परामर्श एवं जांच केंद्र(voluntary counselling and testing centres)

4. कंडोम के उपयोग को बढ़ावा देना(promotion of uses of condom)

5. रक्त सुरक्षा कार्यक्रम(blood safety Programme)

6. स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण(training of health workers)

7. एचआईवी संक्रमित माता से उसके शिशु में संक्रमण की रोकथाम

8. यौन संचारित बीमारियों का नियंत्रण(control of sexual transmitted disease)

9. समुदाय में जागरूकता उत्पन्न करना(generate awareness in community)



Q. राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम क्या है? समझाइए ।

 What is national programme to control blindness? Describe it.

अथवा

अंधत्व की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम व उसके उद्देश्य समझाइए।

Describe National Programme for Prevention of Blindness and its objectives.


उत्तर- राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम (National Programme for Control of Blindness) 

अंधता के नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत सन् 1976 में की गई थी। यह कार्यक्रम सौ फीसदी केन्द्र द्वारा प्रायोजित है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अंधत्व (blindness) की फैलाव दर को 0.3 प्रतिशत तक लाना है। -


कार्यक्रम के उद्देश्य (Objectives of Programme) - -

1. प्रत्येक जिले में नेत्र देखभाल संबंधी सेवाओं को बढ़ावा देना व गुणवत्ता में सुधार करना।


2. प्रत्येक स्तर जैसे- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला अस्पताल आदि पर नेत्र देखभाल संबंधी सेवाओं के क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए मानव संसाधन विकसित करना ।


3. सूचना, शिक्षा एवं संप्रेषण (IEC) के द्वारा आम जनता में नेत्रों की देखभाल के संबंध में जागरुकता उत्पन्न करना।


4. अंधत्व की समस्या से ग्रसित लोगों का पता लगाना तथा आवश्यकतानुसार मोतियाबिंद (cataract) ऑपरेशन करना।


5. नेत्र देखभाल संबंधी सेवाओं के क्रियान्वयन हेतु नेत्र कर्मियों के प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।

6. नेत्र बैंकों (Eye banks) की स्थापना करना।

Q. संशोधित राष्ट्रीय तपेदिक नियंत्रण कार्यक्रम क्या है? विस्तारपूर्वक समझाइये।

What is Revised National Tuberculosis Control Programme (RNTCP)? Describe in detail.


उत्तर- संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (Revised National Tuberculosis Control Programme) –

 राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम को 1962 में प्रारम्भ किया गया। 

इस कार्यक्रम में कुछ कमियाँ थीं जैसे- कार्यक्रम के उचित प्रबंधन का अभाव, पर्याप्त फण्डिंग की कमी, दवाइयों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाना आदि।

 इन कमियों को दूर करने हेतु भारत सरकार ने क्षय रोग की रोकथाम की अपनी रणनीति में परिवर्तन किया तथा सन् 1993 में संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP) की शुरुआत की।


कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य (Objectives of Programme) -

अच्छी गुणवत्ता वाले स्पटम माइक्रोस्कोपिक परीक्षण (sputum microscopic examination) द्वारा क्षय रोग के कम से कम 70 प्रतिशत मामलों का पता लगाना।


लघुकालीन कीमोथैरेपी (short term chemotherapy) द्वारा क्षय रोग के संक्रमित मामलों की कम से कम 85 प्रतिशत रोग मुक्ति दर प्राप्त करना।


सूचना, शिक्षा एवं संप्रेषण सेवाओं का विस्तार करना। 

क्षय रोग के बेहतर तरीके से निदान एवं उपचार को सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा देना।


निदान (Diagnosis) -


दो सप्ताह या इससे अधिक अवधि तक खाँसी रहने पर स्पटम स्मीयर परीक्षण करवाना।


यदि एक या दोनों परीक्षण पोजिटव हो तो स्पटम स्मीयर पोजिटव टी.बी. है। डॉट्स थैरेपी प्रारम्भ करें।


यदि दोनों परीक्षण नेगेटिव आएं, तो खाँसी के उपचार हेतु 2 सप्ताह के लिए एन्टीबायोटिक दें।


यदि दोनों परीक्षण नेगेटिव आएं तो वक्ष एक्स-रे करायें।


यदि एक्स-रे पोजिटव आए तो टी.बी. का उपचार प्रारम्भ करें. यदि नेगेटिव आए तो टी.बी. नहीं है।


डॉट्स थैरेपी (DOTs Therapy)


क्षयरोग के प्रभावी उपचार हेतु देश में वर्ष 1993 में संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम (Revised National Tuberculosis Control Programme) के अंतर्गत डॉट्स कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

इसका पूरा नाम Directly Observed Treatment Short course (DOTs) है।


क्षय रोगियों के प्रभावी उपचार हेतु इस थैरेपी के अंतर्गत सभी दवाइयाँ स्वास्थ्य कार्यकर्ता के प्रत्यक्ष अवलोकन (Direct observation) में दी जाती है अर्थात् क्षयरोगी दवाइयाँ लेने के लिए अस्पताल स्वास्थ्य केन्द्र आता है। जहाँ वह वहाँ मौजूद स्टाफ की मौजूदगी में दवाएँ निगलता है।


डॉट्स थैरेपी की दो अवस्थाएँ होती हैं- Intensive phase, continuation phase


डॉट्स प्लस (DOTS Plus ) - डॉट्स प्लस थैरेपी का उपयोग बहु औषधि प्रतिरोध क्षयरोग (Multi drug resistant TB) के उपचार हेतु किया जाता है। 

डॉट्स प्लस थैरेपी प्रदान करने के लिए तृतीयक स्तर के देखभाल केन्द्रों (जैसे मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों) पर डॉट्स प्लस स्थलों की स्थापना की गई है।

 प्रत्येक राज्य में कम से कम एक डॉट्स प्लस केन्द्र की स्थापना की गई है। इन केन्द्रों पर प्रशिक्षित स्टाफ की नियुक्ति भी की गई है। 

डॉट्स प्लस थैरेपी के अन्तर्गत intensive phase की अवधि 6 महीने होती है जिसे आवश्यकतानुसार 9 महीने तक बढ़ाया जा सकता है। और continuation phase का अवधि 18 माह का होता हैं। 


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