Child Health Nursing - GNM 2nd Year - Pyloric Stenosis And Premature Infants Baby

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Q. पाइलोरिक संकुचन किसे कहते हैं? इसके लक्षण व उपचार का वर्णन करो।

What is congenital pyloric stenosis? Describe its symptoms and treatment.


उत्तर- पायलोरिक संकुचन (Pyloric Stenosis) - पायलोरिक स्टैनोसिस आमाशय के पायलोरिक मार्ग (lower end of stomach) का संकुचन (stenosis) है जो इस भाग की वृत्ताकार पेशियों की अतिवृद्धि (hypertrophy) के कारण होने वाला अवरोध है।


इस संकुचन के कारण आमाशय का भोजन ठीक तरह से ड्यूडेनम में नहीं जा पाता। फलतः स्तनपान / भोजन के बाद शिशु को उल्टी हो जाती है जो धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। उल्टियाँ तीव्र वेग से बहिर्क्षेपी (projectile) रूप से बाहर आती है।


लक्षण (Clinical Features) -


• तीव्र वेग से उल्टियाँ (Projectile vomiting)

• पेट का ऊपरी भाग का फूलना (Distention)

. निर्जलीकरण (Dehydration)

• कब्ज (Constipation)

अल्पमूत्रता (Oliguria)

• शारीरिक भार में वृद्धि नहीं हो पाना या कम होना तथा कुपोषण (Malnutrition)

• आमाशय शोथ (Gastritis)


उपचार (Treatment) -


1. उल्टी व कम अर्न्तग्रहण के कारण होने वाले डिहाइड्रेशन व इलैक्ट्रोलाइट्स असंतुलन को अंतःशिरीय द्रवों (I.V. fluids) द्वारा ठीक करना।


2. शल्य क्रिया- इसमें वृत्ताकार पेशी का इस प्रकार छिद्रण करते हैं जिससे रास्ता चौड़ा हो जाता है। शल्य क्रिया का परिणाम मिलने पर बालक को 48 घंटे के दौरान छुट्टी दी जा सकती है। इस सर्जरी को फ्रेडेट रेम्सटेड पायलोरोमायोटॉमी (Fredet Ramstedt Pyloromyotomy) कहते हैं। नर्सिंग प्रबंधन (Nursing Management) -


1. शिशु के जैविक चिन्हों का अवलोकन करना चाहिए।


2. अंतःशिरीय मार्ग द्वारा शिशु को पोषण दिया जाता है।


3. गैस्ट्रिक लेवेज द्वारा पेट को साफ करके उल्टी को रोका जा सकता है।


4. ऑपरेशन के छः घंटे बाद मुख द्वारा आहार आरंभ किया जा सकता है। तरल पदार्थ से शुरूआत करें व धीरे-धीरे नियमित आहार प्रारंभ करें।


5. शिशु को आहार धीरे-धीरे दें व डकार दिलवाएं।


6. ऑपरेशन के उपरांत बच्चे को आहार देने के बाद उसके सिर व कंधे को 40-50 मिनट तक ऊपर उठाकर रखें जिससे उसका आमाशय ठीक से खाली हो व उल्टी न हो।


7. माता-पिता अथवा पालकों को बच्चे की देखभाल के संबंध में स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करें एवं आश्यक निर्देश समझाएं।


8. बालक को चिकित्सक के पास नियमित रूप से देखपाल के लिए पालकों को निर्देश प्रदान करें।


Q. प्री-मैच्योर बेबी अथवा अपरिपक्व शिशु अथवा परिपक्वता पूर्व शिशु क्या है?

इसके कारण, लक्षण व जटिलताएं लिखिए। अपरिपक्व शिशु के जन्म के तुरंत बाद की देखभाल समझाइए।


 What is premature infant?

Write its causes, symptoms and complications.

Describe the immediate care of premature baby.


उत्तर- अपरिपक्व शिशु (The Premature Infant) गर्भावस्था के 37 सप्ताह पूर्ण होने से पूर्व जन्म लेने वाले शिशु अपरिपक्व शिशु कहलाते हैं।


कारण (Causes) -


1. अज्ञात कारण


2. गर्भस्थ शिशु से संबंधित कारक


गुणसूत्रीय असामान्यताएं


• शारीरिक असामान्यताएं


3. माता से संबंधित कारक


कुपोषण

मधुमेह

• पीलिया

• दीर्घकालिक रोग जैसे- हृदय व गुर्दा रोग

• गर्भावस्था की जटिलताएं

झिल्ली का समय से पूर्व फटना

• एकाधिक शिशुजन्म

• रक्तस्राव

औषधियों का गलत उपयोग आदि


लक्षण (Symptoms) -


• रुएंदार शरीर


• आकार व वजन में कम


बहुत पतली व झुर्रीदार त्वचा


• कोमल नाखून


• शरीर की अपेक्षाकृत बड़ा सिर


 • कमजोर कर्ण उपास्थि


• अविकसित लघु भगोष्ठ


• कमजोर प्रतिवर्त (Reflexes)


जटिलताएँ (Complications) -


• संक्रमण


• अश्वसन


• हाइपोग्लाइसीमिया


हाइपोकैल्सीमिया


• अति बिलिरुबिन रक्तता (Hyperbilirubinemia)


• हेलाइन मैम्ब्रेन रोग


जन्म के तुरंत बाद देखभाल (Immediately Care after Birth) 


1. वातावरण (Environment) – कमरे का तापमान 25°-30° होना चाहिए। शिशु की नाल काटने के बाद मुख व ग्रसनी को कोमलता से साफ करने के तत्काल बाद उसे अत्यंत कोमलता से उठाना चाहिए व गर्म कंबल से ढँक कर रखना चाहिए अथवा गर्म पालना जिसे इनक्यूबेटर कहा जाता है उसमें रखा जाना चाहिए।


2. श्वसन (Respiration) - शिशु के जन्म के उपरांत उसकी श्वास क्रिया को आरंभ कराना एक महत्वपूर्ण कार्य है। शिशु का सिर शरीर से थोड़ा नीचे बायीं तरफ मुड़ा होना चाहिए व जीभ को पीछे लुढ़कने से रोकना चाहिए। नर्स को एक कोमल रबर की नली की सहायता से मुंह व नासाग्रसनी में उपस्थित द्रव का चूषण करना चाहिए। यदि नवजात श्वास लेने में अक्षम हो तो कृत्रिम रूप से श्वॉस देनी चाहिए।


3. ऑक्सीजन देना (Oxygen Administration) - यदि शिशु का शरीर ऑक्सीजन की कमी से नीला पड़ने लगे या वह स्वयं श्वसन क्रिया करने में सक्षम न हो तो तुरंत लीटर प्रति मिनट की दर से ऑक्सीजन देनी चाहिए।


4. औषधि देना (Medicine Administration) – -


• रक्तस्राव की स्थिति से बचने के लिए विटामिन 'के' का इंजेक्शन दिया जाता है।


• अगर माता को मोर्फिन (morphine) अथवा कोडीन (codeine) दिया गया हो जिससे नवजात को श्वसनावरोध हो रहा हो तो शिशु को नैलॉर्फिन हाइड्रोक्लोराइड देना चाहिए।


• रक्त में एसिड की मात्रा कम करने के लिए सोडियम बाइकार्बोनेट इंजेक्शन दिया जाता है।


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