Fundamentals of Nursing - GNM 1st Year - Vaginal Irrigation Douche, Nursing Process

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आज आप सभी के बीच में Fundamentals Of Nursing के महत्त्वपूर्ण दो प्रशन के ऊपर चर्चा किया गया हैं जिसका व्याख्या आसान भाषा में किया गया हैं । 

नीचे जो प्रशन हैं उसमे योनि प्रक्षालन Vaginal Irrigation Douche And Nursing Process नर्सिंग प्रक्रिया। तो चलिए देखते हैं।


Q. योनि प्रक्षालन से क्या आशय है? इसके उद्देश्य, प्रयुक्त घोल व प्रक्रिया समझाइए ।

What is vaginal douche or irrigation ? Write its purpose, solution used and procedure. 

उत्तर:- योनि - प्र -प्रक्षालन (Vaginal Douche ) - 

Douche शब्द द्रव की धार को शरीर की किसी गुहा में डालकर इसको धोने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। योनि प्रक्षालन कम दबाव पर द्रव से योनि को धोना होता है। यह बाह्य श्रवण नलिका के 'प्रक्षालन के समान ही है, जिसमें द्रव के अंदर प्रवेश के शीघ्र पश्चात् उसकी वापसी हो जाती है।


उद्देश्य (Purpose) -


1. योनि मार्ग की सफाई एवं विकारयुक्त अथवा दुर्गन्धयुक्त स्राव को हटाने हेतु।


2. जनन तंत्र में प्रदाह एवं संतुलन को दूर करने हेतु।


3. शल्य क्रिया की तैयारी के समान एंटीसेप्टिक घोल प्रयुक्त करने हेतु सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि को रोकने हेतु । 


4. गर्म प्रयोग से श्रोणि अवयवों (pelvicorgans) की सूजन एवं दर्द से मुक्ति हेतु।


5. रक्तस्त्राव रोकने हेतु ।


6. श्रोणि अवयवों में संचरण को अभिप्रेरित करने तथा निःस्रावों के अवशोषण को बढ़ावा देने हेतु।


उपयोग में आने वाले घोल (Solutions used) - -


1. विसंक्रमित जल (sterile water)

2. नार्मल सेलाइन (normal saline)

3. सोडियम बाइकार्बोनेट 2%

4. सिरका 1%

5. सेवलान 1 1000


6. पोटैशियम पर्मेगनेट (potassium permanganate) 1:5000

7. बोरिक एसिड 2%


8. डेटाल 2%


9. एक्रोफ्लेवीन 1:4000-


इश (Douche) के उद्देश्य के अनुसार ही घोल का तापक्रम रखा जाता है। सफाई का उद्देश्य होने पर घोल का तापक्रम शरीर के तापक्रम पर ही रखें, परन्तु घोल को 105°F (40.5°C) के ताप पर तैयार करें एवं फिर ठंडा होने दें। ऊष्मा प्रदान करने के लिए. जितना रोगी सहन कर सके उतना गर्म डूश दिया जाता है। सामान्यत: इसका तापक्रम 110°F (43.3°C) रखा जाता है।


प्रक्रिया (Procedure) -

1. रोगी को प्रक्रिया पूरी तरह समझाएँ, जिससे कि वह प्रक्रिया में सहयोग दे, रोगी के बेड के चारों और पर्दा लगाएँ।

2. घोल को निर्देशानुसार तैयार करें। हाथ को अच्छी तरह धोकर केन में ट्यूब लगाकर ट्यूब में क्लैम्पिंग करें। घोल का तापक्रम ज्ञात करके घोल को केन में डालकर उसे तौलिए से ढंक दें।


3. कैन को स्टैण्ड पर ऊँचाई पर लटका दें। उसकी ऊँचाई लगभग 30 से.मी. अर्थात् लगभग 12 इंच होनी चाहिए। ऊंचाई से घोल कम दबाव में रहता है और उस की दर (speed) कम रहती है।


4. रोगी को पाश्र्व स्थिति में रखें, उसके घुटने मुड़े हुए हों और सिर के नीचे तकिया रखें। नितम्बों (buttocks) के नीचे मैकिनटोश लगा दें और रोगी को बेडपेन पर रखें एवं मूत्र त्यागने को कहें।


5. प्रक्रिया से पहले अच्छी तरह हाथ धो लें एवं दस्ताने व एप्रन पहन लें।


6. तौलिये को केन से हटाकर उसकी ट्यूब को ड्यूश नोजल की ट्यूब से जोड़ दें।


7. थोड़ा घोल ट्यूब से भगमुख (vulva) पर डालें, जिससे कोई स्त्राव होगा, वह साफ हो जाएगा। फिर सावधानीपूर्वक labia को अंगुली और अंगूठे से फैलाकर धीरे से नोजल को योनि मार्ग से 5-8 से.मी. ऊपर-नीचे करते हुए अन्दर डालें।


8. अब घोल को योनि (vagina) में जाने दें। जितनी मात्रा में घोल उपयोग में लाना हैं, उसकी मात्रा और अन्दर से वापस आये घोल की मात्रा को ज्ञात करें।


9. उसके बाद क्लैम्पिंग ट्यूब और douche नोजल को निकाल दें। फिर नोजल को किडनी ट्रे में रख दें और ट्यूब को केन में डाल दें।


10. बेडपेन हटाकर रूई के फोहे (cotton swabs) से पेरिनियम भाग (गुदा और योनि या अण्डाकोष के बीच का भाग) को साफ करें।


11. यदि कोई दवाई लगानी है तो स्पेक्युलम की सहायता से लगाएँ।


12. स्वैब (swabs) को किडनी ट्रे में डाल दें।


13. मैकिनटोश और तौलिए को हटाकर बिस्तर को ठीक कर, रोगी को आरामदायक स्थिति प्रदान करें।


14. बेडपेन को खाली करके हाथ को अच्छी तरह धो लें।


*योनि-प्रक्षालन करते समय निर्देश

 (Guidelines to be observed Vaginal Douche) -


1. डॉक्टर के लिखित आदेश के बाद ही योनि प्रक्षालन करना चाहिए।


2. गर्भावस्था में, प्रसव के बाद की अवस्था में और मासिक स्राव (menstruation or menses) में योनि प्रक्षालन नहीं करना चाहिए।


3. अपूतिता (impurity), पूतिता (purity) को बनाए रखें।


4. योनि प्रक्षालन घोल का तापमान अवश्य जाँचें।


5. घोल को धीरे-धीरे डालें/रखें, ताकि उपचारार्थ प्रभाव हो


Q. नर्सिंग प्रक्रिया को परिभाषित कीजिए एवं इसकी विशेषताएं लिखिए। Define nursing process and write its characteristics.


उत्तर- नर्सिंग प्रक्रिया एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है। जिसके अंतर्गत रोगी के स्वास्थ्य का मूल्यांकन करना, रोगी की सेवा की योजना बनाना. उसके बाद सेवा को रोगी पर लागू करना और उसके प्रभाव का मूल्यांकन करना शामिल है।


लोइस नोलेस (Lois Knowles) ने 1967 में पाँच 'Ds' का इस्तमाल करते हुए नर्सिंग प्रक्रिया को प्रकाशित किया था-

D = Discover (खोजना )

D = Delve (गहन अध्ययन)

D = • Decide (निश्चय, योजना)

D = Do (लागू करना)

D Discriminate (मूल्यांकन करना) =


नर्सिंग प्रक्रिया की विशेषताएँ (Characteristic of Nursing Process) - 

नर्सिंग प्रक्रिया की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-


1. नर्सिंग प्रक्रिया एक योजनाबद्ध प्रक्रिया है।


2. यह लक्ष्य की ओर ध्यान रखते हुए की जाती है।


3. इससे परस्पर व्यक्तिगत सम्बन्ध स्थापित होते हैं। 

4. एक दूसरे के प्रति सहयोग की भावना का विकास होता है।


5. यह मरीज को केन्द्र में रखकर पूर्ण की जाती है।


6. यह प्रक्रिया अपने निश्चित चरणों (steps) में पूर्ण होती है।


7. यह प्रक्रिया चक्रीय (cyclic) रूप से संचालित रहती है।


8. नर्सिंग प्रक्रिया के चरण (step) एक दूसरे से संबंधित होते हैं।


9. यह विश्व स्तर पर लागू होती है।


10. यह गतिशील प्रक्रिया (dynamic process) होती है।


प्रश्न  नर्सिंग प्रक्रिया के उद्देश्य व महत्व बताइए।

Explain purpose and importance of nursing process. 

नर्सिंग प्रक्रिया के उद्देश्य (Purpose of Nursing Process) - उत्तर-

नर्सिंग प्रक्रिया के उद्देश्य निम्नलिखित 


1. मरीज के स्वास्थ्य स्तर के मूल्यांकन हेतु।


2. मरीज की आवश्यकताओं की पूर्ति करने हेतु।


3. मरीज की रोग की रोकथाम करने हेतु।


4. मरीज के स्वास्थ्य की पुर्नस्थापना करने हेतु। 


5. मरीज की संभावित एवं वास्तविक स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाने हेतु।


6. शीघ्र स्वास्थ्य लाभ को प्रोत्साहित करना।

7. मरीज का स्वास्थ्य स्थिर रखने में मदद करना।

8. मरीज के असाध्य स्थिति में शांतिपूर्ण मृत्यु के लिए सहारा प्रदान करना।।


नर्सिंग का महत्व (Importance of Nursing Process) –


 नर्सिंग प्रक्रिया के निम्नलिखित महत्व हैं- -


1. मरीज की देखभाल में निरंतरता बनी रहती है।


2. यह गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा में सहायता करती है।


3. यह सुनिश्चित चिकित्सा सेवा प्रदान करती है।


4. यह प्रगतिशील होती है।


5. अच्छे परिणाम मिलने पर नसों को संतोष और प्रोत्साहन मिलता है।


6. यह मरीज एवं नर्स के बीच प्रभावी सम्प्रेषण स्थापित करने में मदद करती है।


7. इससे मरीज के लिये योजनाबद्ध देखभाल प्रदान करने में सहायता मिलती है। 


8. इससे नर्स का प्रोफेशनल विकास होता है।


9. इसके द्वारा पूरी स्वास्थ्य टीम को आत्मसंतुष्टि प्राप्त होती है।


10. इससे रोगी के स्वास्थ्य स्तर में भी उन्नति व वृद्धि होती है।


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