Behavioural Science - Psychology+ Sociology - GNM First Year - Family Topics All Questions

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आज आप सभी के बीच में Behavioral Science ( Sociology) के महत्त्वपूर्ण Family And Their Characteristics प्रशन के ऊपर चर्चा किया गया हैं जिसका व्याख्या आसान भाषा में किया गया हैं।


Q. परिवार का अर्थ लिखकर उसे परिभाषित करें।

Write the meaning of family and define it.


उत्तर- अर्थ (Meaning) – Family (परिवार) शब्द रोमन शब्द famulus से लिया गया है, जो एक ऐसे समूह के लिए प्रयुक्त होता है जिसमें माता-पिता, बच्चे, और दास (नौकर) हों। सामान्य अर्थ में परिवार समाज की वह प्रथम इकाई है, जिसमें कुछ मनुष्य मिलकर रहते हैं। इन रहने वालों में पति-पत्नी व उनकी संतान अनिवार्यत: होती है।


परिवार की परिभाषाएँ ( Definitions of Family)


लूसी मेयर के अनुसार - परिवार एक गार्हस्थ्य समूह है, जिसमें माता-पिता व सन्तान साथ रहते हैं। इसके मूल रूप में दम्पत्ति व उसकी संतान रहती है।



डेविस के अनुसार - परिवार ऐसे व्यक्तियों का समूह है, जो रक्त के आधार पर एक-दूसरे से संबंधित हैं तथा जो परस्पर नातेदार हैं।

प्रश्न 2. परिवार की विशेषताओं का वर्णन कीजिए

Explain the characteristics of family.


 उत्तर- परिवार की विशेषताओं को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया हैं-


1. सामान्य विशेषताएँ


2. विशिष्ट विशेषताएं


सामान्य विशेषताएँ (General Characteristics)-


1. यौन सम्बन्ध (Sex relationship) - परिवार पति-पत्नी का वह यौन संबंध है, जिसको सामाजिक अधिमान्यता (preference) प्राप्त होती है। विवाहेत्तर (after the marriage) ही स्त्री-पुरुष को सन्तानोत्पत्ति की अनुमति मिल पाती है। यह सम्बन्ध आजीवन बना रहता है।


2. विवाह का स्वरूप (Form of Marriage) - विवाह के स्वरूप से भी परिवार की प्रकृति का अनुमान लगाया जा सकता है। इस विवाह के कई रूप समाजों में प्रचलित हो सकते हैं, जैसे- Monogamy (एक पत्नी, एक पति प्रथा), Polyandry (बहुपति प्रथा). Polygyny / polygamy (बहुपत्नी प्रथा)।


3. एक वंशावलिक व्यवस्था (A Genealogical System) - प्रत्येक परिवार में संतानों को एक निश्चित वंशावलिक (वंशनाम) प्रदान किया जाता है। वंश के आधार पर ही परिवारों को मातृवंशीय व पितृवंशीय नामों से जाना जाता है।


4. आर्थिक व्यवस्था (Some Economic Provision) - परिवार के सदस्यों को जीवित रखने व उनके सही रूप से निर्वाह के लिए किसी न किसी अर्थ-व्यवस्था का होना परम आवश्यक है। कृषि, पशुपालन, नौकरी, व्यवसाय आदि के द्वारा आर्थिक साधन जुटाये जाते हैं।


5. सामान्य निवास-स्थान (A Common Habitation) - एक परिवार के सदस्यों के रहने के लिए एक सामान्य घर या हो सकते हैं।


निवास स्थान की आवश्यकता होती है। परिवार पितृस्थानीय (Paternal) या मातृस्थानीय (Maternal)


 विशिष्ट विशेषताएँ (Specific Characteristics) -


1. सार्वभौमिकता (Universality) - परिवार एक समिति या संस्था के रूप में संसार में सर्वत्र पाया जाता है। विकसित (developed), अर्द्धविकसित (semi-developed) या अविकसित (non-developed) सभी प्रकार के समाजों में परिवार रूपी समिति के दर्शन किये जा सकते है। इसकी सार्वत्रिक प्रकृति के कारण ही इस समिति को सार्वभौमिक कहना उपर्युक्त है।


2. भावात्मक आधार ( Emotional Basis) परिवार यौन सम्बन्ध, वात्सल्य, बच्चों के लालन-पालन की अभिलाषा. प्रेम, सहयोग, माता-पिता की सुरक्षा तथा ऐसी ही अनेक स्वाभाविक भावनाओं पर आधारित होता है, जोकि परिवार को अधिक स्थायी, आकर्षक और घनिष्ठ बना देती है।


3. रचनात्मक प्रभाव (Creative Influence) - मैकाइवर एवं पेज के अनुसार "परिवार सभी व्यक्तियों का सर्वप्रथम सामाजिक पर्यावरण होता है और व्यक्ति के चरित्र निर्माण में इसका प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। शिशु काल में परिवार का जो प्रभाव पड़ता है, वही व्यक्तित्व के आधारों को निश्चित करता है और शारीरिक व मानसिक दोनों ही प्रकार के विकास में सहायक होता है।" इसीलिए कहा गया है कि "अच्छे परिवार में जन्म लेना जीवन के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार को प्राप्त कर लेना है।"


4. सीमित आकार (Limited Size) - परिवार का आकार अपने मूल रूप में काफी सीमित होता है। पारसन्स ने जनता परिवार की जो चर्चा की है, उसमें पति-पत्नी और उनके बच्चे सम्मिलित होते हैं। इस तरह मूल परिवारों की सदस्य संख्या काफी होती है।


5. सामाजिक ढांचे में मूल परिवार (Nuclear Family in Social Structure ) - Nuclear family ही समाज का मूल केन्द्र-बिन्दु हैं। अरस्तू और अन्य दार्शनिकों की मान्यतानुसार परिवार सामाजिक संगठन का मूल बिन्दु है। इन्हीं परिवारों से गांव और गावों में विस्तृत समुदायों का निर्माण होता रहा है।


6. सदस्यों का उत्तरदायित्व (Responsibility of Members) - परिवार का प्रत्येक सदस्य अन्य सदस्यों के कर्तव्यों और अधिकारों से जुड़ा रहता है। पुत्र, पुत्री, माँ, पिता, भाई बहन आदि अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह करते हैं। सदस्यों की इस भावना के कारण ही परिवार का संगठन स्थायी बना रहता है।


7. सामाजिक नियंत्रण (Social Control) - परिवार में औपचारिक किस्म का सामाजिक नियंत्रण पाया जाता है। बच्चों व वयस्कों दोनो के व्यवहारों का नियमन (regulation) करना परिवार की सीमाओं में आता है। भारत में विवाह एवं परिवार से संबंधित अनेक कानून बन चुके हैं। सन् 1954 का विशेष विवाह अधिनियम तथा सन् 1955 का हिन्दू विवाह अधिनियम विवाह परिवार का नियमन करते हैं।


8. परिवार की स्थायी और अस्थायी प्रकृति (Permanent and Temporary Nature of Family) - परिवार दो प्रकार की प्रकृति के होते हैं- स्थायी एवं अस्थायी। यह आवश्यक नहीं है कि पति-पत्नी का सम्बन्ध आने वाले समय में हमेशा चलता रहे और इसलिए यह कहना उपयुक्त होगा कि परिवार अस्थायी प्रकृति के भी होते हैं। अनेक परिवार काफी समय तक ज्यों के त्यों चलते रहते हैं। मृत्यु ही ऐसे परिवारों को नष्ट करती है। ये परिवार स्थाई परिवार के नाम से जाने जाते है।



Q  परिवार की मूलभूत आवश्यकताएँ क्या होती हैं?

What are the basic needs of family?


उत्तर- परिवार का निर्माण व्यक्तियों के समूह से मिलकर होता है। अतः जिस प्रकार व्यक्ति को जीवित रहने व प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीने के लिए कुछ मूलभूत आवश्यकताओं की जरूरत होती है, उसी प्रकार दम्पत्ति द्वारा परिवार की स्थापना, नियमन व संचालन हेतु कुछ मूलभूत आवश्यकताएँ हैं, जो निम्न हैं-


1. भौतिक आवश्यकताएं (Physical needs)


2. जैविक आवश्यकताएं (Biological needs)


3. सामाजिक आवश्यकताएं (Social needs)


4. मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएं (Psychological needs)


1. भौतिक आवश्यकताएँ (Physical needs) - नवदम्पत्ति द्वारा परिवार की शुरूआत करने व उसका नियमन करने हेतु भौतिक वस्तुओं की आवश्यकता रहती है, जो इस कार्य हेतु अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जैसे, आवास, भोजन, कपड़े, सुरक्षित वातावरण, धन, घरेलू वस्तुएं, इत्यादि ।


2. जैविक आवश्यकताएँ (Biological needs) - जीवन जीने के समान ही परिवार निर्माण व नियमन हेतु भी कुछ जैविक आवश्यकताएं महत्त्वपूर्ण होती हैं, जो परिवार को स्थायित्व प्रदान कर उसकी वृद्धि व सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करती हैं, जैसे, यौन-संबंध, रोगों से सुरक्षा, नियोजित अभिभावकता आदि।


3. सामाजिक आवश्यकताएँ (Social needs) - चूंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और परिवार का निर्माण भी समाज के अन्तर्गत होता है, अतः परिवार हेतु कुछ सामाजिक आवश्यकताएँ महत्त्वपूर्ण होती हैं, जिन्हें व्यक्ति केवल समाज में रहकर ही पूर्ण कर सकता है। जैसे, रिश्तेदारी, सम्मान, पहचान, मनोरंजन, समाजीकरण, सामाजिक सुरक्षा, आदि ।


4. मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएँ (Psychological needs) - स्वस्थ व प्रसन्न परिवार हेतु उस परिवार का वातावरण भी मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ रहना आवश्यक है, जिसमें परिवार के सदस्यों की सभी प्रकार की उचित आवश्यकताओं की पूर्ति समय पर उचित मनोवैज्ञानिक वातावरण में उपलब्ध करवाना चाहिए। इसमें व्यक्ति पारिवारिक व सामाजिक बना रहता है, जैसे स्नेह, आत्मसम्मान, व्यक्तित्व विकास, जिम्मेदारियां, बौद्धिक विकास, उचित प्रेरणा, आदि ।


Q. परिवार का अर्थ लिखकर उसे परिभाषित करें।

Write the meaning of family and define it.


उत्तर- अर्थ (Meaning) – Family (परिवार) शब्द रोमन शब्द famulus से लिया गया है, जो एक ऐसे समूह के लिए प्रयुक्त होता है जिसमें माता-पिता, बच्चे, और दास (नौकर) हों। सामान्य अर्थ में परिवार समाज की वह प्रथम इकाई है, जिसमें कुछ मनुष्य मिलकर रहते हैं। इन रहने वालों में पति-पत्नी व उनकी संतान अनिवार्यत: होती है।


परिवार की परिभाषाएँ ( Definitions of Family)


लूसी मेयर के अनुसार - परिवार एक गार्हस्थ्य समूह है, जिसमें माता-पिता व सन्तान साथ रहते हैं। इसके मूल रूप में दम्पत्ति व उसकी संतान रहती है।


डेविस के अनुसार - परिवार ऐसे व्यक्तियों का समूह है, जो रक्त के आधार पर एक-दूसरे से संबंधित हैं तथा जो परस्पर नातेदार हैं।


प्रश्न 2. परिवार की विशेषताओं का वर्णन कीजिए

Explain the characteristics of family.


 उत्तर- परिवार की विशेषताओं को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया गया हैं-


1. सामान्य विशेषताएँ


2. विशिष्ट विशेषताएं


सामान्य विशेषताएँ (General Characteristics)-


1. यौन सम्बन्ध (Sex relationship) - परिवार पति-पत्नी का वह यौन संबंध है, जिसको सामाजिक अधिमान्यता (preference) प्राप्त होती है। विवाहेत्तर (after the marriage) ही स्त्री-पुरुष को सन्तानोत्पत्ति की अनुमति मिल पाती है। यह सम्बन्ध आजीवन बना रहता है।


2. विवाह का स्वरूप (Form of Marriage) - विवाह के स्वरूप से भी परिवार की प्रकृति का अनुमान लगाया जा सकता है। इस विवाह के कई रूप समाजों में प्रचलित हो सकते हैं, जैसे- Monogamy (एक पत्नी, एक पति प्रथा), Polyandry (बहुपति प्रथा). Polygyny / polygamy (बहुपत्नी प्रथा)।


3. एक वंशावलिक व्यवस्था (A Genealogical System) - प्रत्येक परिवार में संतानों को एक निश्चित वंशावलिक (वंशनाम) प्रदान किया जाता है। वंश के आधार पर ही परिवारों को मातृवंशीय व पितृवंशीय नामों से जाना जाता है।


4. आर्थिक व्यवस्था (Some Economic Provision) - परिवार के सदस्यों को जीवित रखने व उनके सही रूप से निर्वाह के लिए किसी न किसी अर्थ-व्यवस्था का होना परम आवश्यक है। कृषि, पशुपालन, नौकरी, व्यवसाय आदि के द्वारा आर्थिक साधन जुटाये जाते हैं।


5. सामान्य निवास-स्थान (A Common Habitation) - एक परिवार के सदस्यों के रहने के लिए एक सामान्य घर या हो सकते हैं। निवास स्थान की आवश्यकता होती है। परिवार पितृस्थानीय (Paternal) या मातृस्थानीय (Maternal)


 विशिष्ट विशेषताएँ (Specific Characteristics) -


1. सार्वभौमिकता (Universality) - 

परिवार एक समिति या संस्था के रूप में संसार में सर्वत्र पाया जाता है। विकसित (developed), अर्द्धविकसित (semi-developed) या अविकसित (non-developed) सभी प्रकार के समाजों में परिवार रूपी समिति के दर्शन किये जा सकते है। इसकी सार्वत्रिक प्रकृति के कारण ही इस समिति को सार्वभौमिक कहना उपर्युक्त है।


2. भावात्मक आधार ( Emotional Basis) 

परिवार यौन सम्बन्ध, वात्सल्य, बच्चों के लालन-पालन की अभिलाषा. प्रेम, सहयोग, माता-पिता की सुरक्षा तथा ऐसी ही अनेक स्वाभाविक भावनाओं पर आधारित होता है, जोकि परिवार को अधिक स्थायी, आकर्षक और घनिष्ठ बना देती है।


3. रचनात्मक प्रभाव (Creative Influence) - 

मैकाइवर एवं पेज के अनुसार "परिवार सभी व्यक्तियों का सर्वप्रथम सामाजिक पर्यावरण होता है और व्यक्ति के चरित्र निर्माण में इसका प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। शिशु काल में परिवार का जो प्रभाव पड़ता है, वही व्यक्तित्व के आधारों को निश्चित करता है और शारीरिक व मानसिक दोनों ही प्रकार के विकास में सहायक होता है।" इसीलिए कहा गया है कि "अच्छे परिवार में जन्म लेना जीवन के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार को प्राप्त कर लेना है।"


4. सीमित आकार (Limited Size) - 

परिवार का आकार अपने मूल रूप में काफी सीमित होता है। पारसन्स ने जनता परिवार की जो चर्चा की है, उसमें पति-पत्नी और उनके बच्चे सम्मिलित होते हैं। इस तरह मूल परिवारों की सदस्य संख्या काफी होती है।


5. सामाजिक ढांचे में मूल परिवार (Nuclear Family in Social Structure ) - 

Nuclear family ही समाज का मूल केन्द्र-बिन्दु हैं। अरस्तू और अन्य दार्शनिकों की मान्यतानुसार परिवार सामाजिक संगठन का मूल बिन्दु है। इन्हीं परिवारों से गांव और गावों में विस्तृत समुदायों का निर्माण होता रहा है।


6. सदस्यों का उत्तरदायित्व (Responsibility of Members) - 

परिवार का प्रत्येक सदस्य अन्य सदस्यों के कर्तव्यों और अधिकारों से जुड़ा रहता है। पुत्र, पुत्री, माँ, पिता, भाई बहन आदि अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह करते हैं। सदस्यों की इस भावना के कारण ही परिवार का संगठन स्थायी बना रहता है।


7. सामाजिक नियंत्रण (Social Control) - परिवार में औपचारिक किस्म का सामाजिक नियंत्रण पाया जाता है। बच्चों व वयस्कों दोनो के व्यवहारों का नियमन (regulation) करना परिवार की सीमाओं में आता है। भारत में विवाह एवं परिवार से संबंधित अनेक कानून बन चुके हैं। सन् 1954 का विशेष विवाह अधिनियम तथा सन् 1955 का हिन्दू विवाह अधिनियम विवाह परिवार का नियमन करते हैं।


8. परिवार की स्थायी और अस्थायी प्रकृति (Permanent and Temporary Nature of Family) -

 परिवार दो प्रकार की प्रकृति के होते हैं- स्थायी एवं अस्थायी। यह आवश्यक नहीं है कि पति-पत्नी का सम्बन्ध आने वाले समय में हमेशा चलता रहे और इसलिए यह कहना उपयुक्त होगा कि परिवार अस्थायी प्रकृति के भी होते हैं। अनेक परिवार काफी समय तक ज्यों के त्यों चलते रहते हैं। मृत्यु ही ऐसे परिवारों को नष्ट करती है। ये परिवार स्थाई परिवार के नाम से जाने जाते है।


Q परिवार की मूलभूत आवश्यकताएँ क्या होती हैं?

What are the basic needs of family?


उत्तर- परिवार का निर्माण व्यक्तियों के समूह से मिलकर होता है। अतः जिस प्रकार व्यक्ति को जीवित रहने व प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीने के लिए कुछ मूलभूत आवश्यकताओं की जरूरत होती है, उसी प्रकार दम्पत्ति द्वारा परिवार की स्थापना, नियमन व संचालन हेतु कुछ मूलभूत आवश्यकताएँ हैं, जो निम्न हैं-


1. भौतिक आवश्यकताएं (Physical needs)


2. जैविक आवश्यकताएं (Biological needs)


3. सामाजिक आवश्यकताएं (Social needs)


4. मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएं (Psychological needs)


1. भौतिक आवश्यकताएँ (Physical needs) -

 नवदम्पत्ति द्वारा परिवार की शुरूआत करने व उसका नियमन करने हेतु भौतिक वस्तुओं की आवश्यकता रहती है, जो इस कार्य हेतु अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जैसे, आवास, भोजन, कपड़े, सुरक्षित वातावरण, धन, घरेलू वस्तुएं, इत्यादि ।


2. जैविक आवश्यकताएँ (Biological needs) -

 जीवन जीने के समान ही परिवार निर्माण व नियमन हेतु भी कुछ जैविक आवश्यकताएं महत्त्वपूर्ण होती हैं, जो परिवार को स्थायित्व प्रदान कर उसकी वृद्धि व सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करती हैं, जैसे, यौन-संबंध, रोगों से सुरक्षा, नियोजित अभिभावकता आदि।


3. सामाजिक आवश्यकताएँ (Social needs) - 

चूंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और परिवार का निर्माण भी समाज के अन्तर्गत होता है, अतः परिवार हेतु कुछ सामाजिक आवश्यकताएँ महत्त्वपूर्ण होती हैं, जिन्हें व्यक्ति केवल समाज में रहकर ही पूर्ण कर सकता है। जैसे, रिश्तेदारी, सम्मान, पहचान, मनोरंजन, समाजीकरण, सामाजिक सुरक्षा, आदि ।


4. मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएँ (Psychological needs) - स्वस्थ व प्रसन्न परिवार हेतु उस परिवार का वातावरण भी मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ रहना आवश्यक है, जिसमें परिवार के सदस्यों की सभी प्रकार की उचित आवश्यकताओं की पूर्ति समय पर उचित मनोवैज्ञानिक वातावरण में उपलब्ध करवाना चाहिए। इसमें व्यक्ति पारिवारिक व सामाजिक बना रहता है, जैसे स्नेह, आत्मसम्मान, व्यक्तित्व विकास, जिम्मेदारियां, बौद्धिक विकास, उचित प्रेरणा, आदि ।


Q. परिवार के प्रमुख प्रकार विस्तार से समझाइए ।

Describe the main types of family.


उत्तर- परिवार के विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं, जो किसी स्थान की भौगोलिक (geographical), सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों के परिणाम होते हैं। विभिन्न आधारों पर परिवार को निम्न प्रकार से बाँटा जा सकता है-


सदस्यों की संख्या के आधार पर (On the Basis of Number of Members) -


1. केन्द्रीय या एकल परिवार (Nuclear or Alone Family) - यह परिवार का सबसे छोटा रूप है, जिसमें एक पुरुष. स्त्री तथा उनके अविवाहित बच्चे शामिल होते हैं। ऐसे परिवार आधुनिक समाजों में बहुतायत से पाये जाते हैं।


2. संयुक्त परिवार (Joint Family) - संयुक्त परिवार में तीन या तीन से अधिक पीढ़ियों के सदस्य साथ-साथ एक ही घर में निवास करते हैं। इनकी सम्पत्ति सामूहिक होती है और सभी सदस्य एक-दूसरे के और दायित्वों को निभाते हैं।


3. विस्तृत परिवार (Extended Family) इस प्रकार के परिवार में सभी रक्त सम्बन्धी व अन्य सम्बन्धी भी सम्मिलित - होते हैं। ऐसे परिवारों के सदस्यों की संख्या बहुत अधिक होती है, इस कारण इनमें किसी को भी एक-दूसरे का आपसी सम्बन्ध क्या है. रिश्तेदारी क्या है. इसका ठीक ज्ञान नहीं हो पाता है।


अधिकारों के आधार पर (On the Basis of Right) -


1. पितृसत्तात्मक परिवार (Patriarchal Family) - ऐसे परिवार में सत्ता एवं अधिकार पिता व पुरुष के हाथों में होते हैं, वे ही परिवार का नियंत्रण करते हैं।


2. मातृ-तंत्रात्मक परिवार Family) - ऐसे परिवारों में अधिकार एवं सत्ता स्त्री में ही निहित होती है। परिवार का नियंत्रण भी स्त्री के ही हाथ में होता है।


निवास के आधार पर (On the Basis of Residence) -


1. पितृ स्थानीय परिवार (Patrilocal Family) - यदि विवाह के बाद पत्नी अपने पति के माता-पिता के साथ रहने लगती है तो उसे पितृ स्थानीय परिवार कहते हैं।


2. मातृ स्थानीय परिवार (Matrilocal Family) - विवाह के बाद जब पति, पत्नी के साथ उसके माता-पिता के निवास स्थान पर रहने लगता है, तो उसे मातृ स्थानीय परिवार कहते हैं। इस प्रकार के परिवार भारत में मालाबार के नायर, खासी व गारो जन-जातियों में देखने को मिलते हैं।


विवाह के आधार पर (On the Basis of Marriage) -


1. एक-विवाह परिवार (Management Family) - एक विवाही परिवार में पुरुष को एक समय में केवल एक ही स्त्री से विवाह की अनुमति होती है। अतः इस प्रकार का परिवार एक पुरुष व एक स्त्री के मिलन से बनता है।


2. बहु-विवाही प्रथा (Polygamous Family) - ऐसे परिवारों में एक समय में एक पुरुष एक से अधिक स्त्रियों विवाह कर सकता है। इसी प्रकार एक पत्नी कई पतियों के साथ एक ही समय में रह सकती है।


प्रश्न . परिवार के महत्वपूर्ण कार्यों का वर्णन कीजिए।

Describe the important functions of family.


उत्तर- परिवार समाज की आधारभूत एवं मौलिक इकाई है और एक सार्वभौमिक संस्था है। परिवार द्वारा अनेक प्रकार के कार्य किए जाते हैं. जिन्हें मुख्यतया दो भागों में बाँटा जाता है-


1. जैविक या आवश्यक कार्य (Biological or Essential Functions)


2. परम्परागत कार्य / अन्य कार्य (Traditional / Non-essential Functions)


जैविक कार्य या आवश्यक कार्य (Biological or Functions) - 


परिवार के सार्वभौमिक कार्य वे हैं, जो हमें सभी समाजों व संस्कृतियों में देखने को मिलते हैं, ये निम्न हैं-


1. यौन आवश्यकताओं की पूर्ति (Satisfaction of Sex needs) •

 परिवार द्वारा किया जाने वाला यह आवश्यक और - अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य है। मनुष्य परिवार के माध्यम से ही अपनी यौन-संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। परिवार ही वह साधन है, जिसके द्वारा मनुष्य की यौन क्रियाओं का नियंत्रण और नियमन किया जाता है।


2. संतानोत्पत्ति एवं बच्चों का पालन-पोषण (Procreation and Rearing of Children ) - 

प्राणीशास्त्रीय दृष्टिकोण से परिवार का दूसरा प्रमुख कार्य संतान उत्पन्न करना है। बच्चों का पालन-पोषण भी परिवार का आवश्यक कार्य है, क्योंकि परिवार में ही बच्चे के व्यक्तित्व का विकास होता है और वह एक सामाजिक प्राणी बनता है।


3. निवास-स्थान व्यवस्था (Provision of Home) -

 परिवार के द्वारा ही घर का निर्माण किया जाता है। प्रत्येक परिवार शीत. वर्षा तथा ग्रीष्म से अपनी रक्षा करने के लिए निवास स्थान का प्रबन्ध करता है, जहाँ घर के सदस्य मिलकर जीवन-यापन करते हैं। इसके अतिरिक्त परिवार का प्रमुख कार्य वस्त्र तथा भोजन की व्यवस्था करना भी है।


4. शारीरिक सुरक्षा (Physical Protection) 

परिवार अपने सदस्यों की आजीवन रक्षा करता है। बीमारी, शैशवावस्था एवं संकट के समय परिवार के सदस्य एक-दूसरे की सेवा सुश्रूषा करते हैं।


5. मनोरंजनात्मक कार्य (Recreational Function) -

 परिवार मनोरंजन का भी केन्द्र है। परिवार के सभी सदस्य परस्पर मिलकर परिवार में एक सुखद वातावरण का निर्माण करते हैं। आपस में गप-शप, कहानी किस्से, गीत-संगीत, भजन, बच्चों के खेल-तमाशे आदि द्वारा परिवार के सदस्य मनोरंजन प्राप्त करते हैं।


6. मनोवैज्ञानिक कार्य (Psychological Functions) -

 परिवार अपने सदस्यों के लिए मनोवैज्ञानिक कार्य करता है। यह सदस्यों में प्रेम, सहानुभूति और सद्भावना पैदा करता है तथा उन्हें मानसिक सुरक्षा एवं संतोष प्रदान करता है। परिवार के बालक में आत्म-विश्वास जागृत करता है। जो उसके व्यक्तित्व के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। परिवार में सदस्य अकेलापन महसूस नहीं करते।


परम्परागत या अन्य कार्य (Traditional or Non essential Functions) - 


परिवार के वे कार्य, जिनका निर्धारण अलग-अलग संस्कृतियों में वहां की सामाजिक एवं सांस्कृतिक परम्पराओं द्वारा होता है, परम्परागत कार्य कहे जाते हैं। परिवार के निम्नलिखित परम्परागत कार्य हैं-


1. आर्थिक कार्य (Economic Function ) परिवार द्वारा आर्थिक कार्य भी सम्पन्न किये जाते हैं। आदिम समाजों में उत्पादन का कार्य परिवार के द्वारा ही किया जाता था। अर्थ उत्पादन, उपभोग वस्तु आदि अन्य सामानों का समान रूप से सदस्यों में वितरण करना परिवार का कार्य है। परिवार स्त्री-पुरुष के बीच श्रम विभाजन को भी निश्चित करता है।


2. समाजीकरण का कार्य (Function of Socializtion) समाजीकरण का कार्य भी परिवार का महत्वपूर्ण कार्य है। - समाजीकरण के द्वारा ही व्यक्ति संस्कृति, सामाजिक प्रथाओं, रीति-रिवाजों आदि को सीखकर ही अपने आपको समाज के अनुरूप ढालता है।


3. शैक्षिक कार्य (Educational Function) परिवार ही अपने सदस्यों को शिक्षा भी प्रदान करता है। शिक्षा ही व्यक्ति - को चरित्रवान और ज्ञानवान बनाती है तथा व्यक्ति के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करती है।


4. धार्मिक कार्य (Religious Functions) - परिवार अपने सदस्यों को धार्मिक शिक्षा देने का भी कार्य करता है। प्रत्येक परिवार का कोई न कोई अपना देवी या देवता होता है, जिसकी पूजा व आराधना परिवार का हर सदस्य करता है। पूरा परिवार धार्मिक व्रत, श्राद्ध, हवन, उत्सव आदि एक साथ मिलकर मनाता है।


5. सांस्कृतिक कार्य (Cultural Functions) परिवार अपने सदस्यों को अपनी संस्कृति का ज्ञान भी कराता है। साथ ही - रीति-रिवाजों प्रथाओं, रुढ़ियों, विश्वासों, सामाजिक आदर्शों और मूल्यों से भी अवगत कराता है।


6. राजनीतिक कार्य (Political Functions) परिवार द्वारा राजनीतिक कार्य भी किए जाते हैं। आदिम समाजों में प्रशासनिक कार्य पारिवारिक आधार पर सम्पन्न किये जाते हैं। जनजाति का मुखिया कभी-कभी महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए परिवार के मुखियाओं की भी सलाह लेता है। भारत में संयुक्त परिवार का मुखिया सारे परिवार का संचालन करता है। वही परिवार का जज आदि सबकुछ होता है।


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