Community Health Nursing-I, GNM first year, Cold Chain, Air Pollution And Human Excreta Disposal

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Q. मानव मल-मूत्र के निस्तारण की विभिन्न विधियों की सूची बनाइए ।

 List the different methods of disposal of human excreta?


उत्तर- मल-मूत्र के निस्तारण की अनेक विधियाँ हैं-


1. सफाई वाली संडास (Service type)


(a) बाल्टी संडास

(b) डोल किस्म की संडास


2. बिना सफाई वाली संडास (Non-service type)

(a) बोर होल लेट्रिन

(b) डग वेल लेट्रिन

(c) वाटर सील टाइप लेट्रिन


3. परिवार के उपयोग हेतु


(a) PRAI टाइप सेप्टिक टैंक

(b) RCA टाइप


4. अस्थायी उपयोग के लिए


(a) उथली ट्रेंच संडास

(b) गहरी ट्रेंच संडास


Q. वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है एवं वायु जनित बीमारियां कौन-कौन सी हैं?

What are the effects of air pollution on health and what are the air borne diseases?


उत्तर- लम्बे समय तक प्रदूषित हवा में साँस लेने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, ये शरीर में अनेक रोगों को जन्म देती हैं, जैसे- श्वसन सम्बन्धी बीमारियाँ, फेफड़ों का कैंसर, हृदय संबंधी बीमारियाँ, मस्तिष्क, तंत्रिका, लिवर व किडनी संबंधी बीमारियाँ ।


1. श्वास संबंधी बीमारियाँ (Respiratory Diseases):- 

जब कार्बन मोनोक्साइड व नाइट्रोजन डाइआक्साइड ऑक्सीजन के साथ मनुष्य के फेफड़ों में पहुँचती हैं तो फेफड़ों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है। जब ये परिसंचरण तंत्र के द्वारा आंतरिक अंगों में जाती हैं तो आंतरिक अंगों व फेफड़ों को भी क्षतिग्रस्त करती हैं।


2. मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव (Effects of Brain and Neurological system) 

लम्बे समय से वायु प्रदूषण वाली जगहों पर रहने से लेड (lead) की उपस्थिति से बच्चों के मानसिक विकास, लर्निंग, आदि प्रभावित होते हैं।


3. हृदय संबंधी समस्याएं (Heart related problems)

 वायु में कार्बन मोनोआक्साइड, ओजोन सल्फर डाइआक्साइड की उपस्थिति विभिन्न हृदय संबंधी समस्याएं उत्पन्न करती हैं। 


4. आंखों से संबंधित समस्याएं (Ophthalmic related problems)

वायु प्रदूषण से आंखों में जलन, आंखों से पानी आना, आंखों का संक्रमण आदि समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। - 


वायुजनित रोग (Air Borne Diseases) - वे जीवाणु जो वायु में छींकने व खाँसने से वातावरण में फैल जाते हैं तथा दूसरे व्यक्ति को रोग से ग्रसित कर देते हैं हवा जनित रोग कहलाते हैं जैसे-


• इन्फ्लूएन्जा

• क्षयरोग

ट्यूबरकुलोसिस

• एन्थ्रेक्स

• चेचक

• डिफ्थीरिया, आदि


प्रश्न . वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के उपाए समझाइए ।

Describe the measures for control of air pollution.


उत्तर- वायु प्रदूषण पर नियंत्रण व इसकी रोकथाम के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए-


1. कारखानों को शहरी क्षेत्र से दूर स्थापित करना चाहिए तथा ऐसी तकनीक उपयोग में लाने के लिए बाध्य करना चाहिए कि धुएं का अधिकाधिक भाग खुले वातावरण में आबादी से दूर अवशोषित हो और अवशिष्ट पदार्थ व गैसें भी अधिक मात्रा में उसी खुले वातावरण में हों जोकि आबादी से दूर स्थित हो ।


2. वाहनों में ईंधन से निकलने वाले धुएं को ऐसे समायोजित करना चाहिए जिससे की कम से कम धुआँ बाहर निकले।


3. निर्धूम चूल्हे व सौर ऊर्जा की तकनीक को प्रोत्साहित करना चाहिए।


4. ऐसे ईंधन के उपयोग की सलाह दी जाए जिसके उपयोग करने से उसका पूर्ण आक्सीकरण हो जाए व धुआँ कम से कम निकले, जैसे- एल.पी.जी (Liquid Petroleum Gas) व पी. एन. जी. (Piped Natural Gas) ।


5. वनों की हो रही अंधाधुंध व अनियंत्रित कटाई को रोका जाना चाहिए। इस कार्य में सरकार के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाएं व प्रत्येक मानव को चाहिए कि वनों को नष्ट होने से रोके व वृक्षारोपण अधिकाधिक करे।


6. शहरों में अवशिष्ट पदार्थों के निष्कासन हेतु सीवेज की उपर्युक्त व्यवस्था होनी चाहिए ताकि गन्दगी से रोग न फैलें। 


7. वृक्ष के महत्व को पाठ्यक्रम में शामिल कर बच्चों में इसके प्रति चेतना जागृत की जानी चाहिए।


8. इसकी जानकारी व इससे होने वाली हानियों के प्रति मानव समाज को सचेत करने हेतु प्रचार माध्यमों, जैसे- दूरदर्शन, रेडियो, पत्र-पत्रिकाओं, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से प्रचार करना चाहिए।


9. पुराने वाहन के संचालन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए क्योंकि उनसे वायु प्रदूषण ज्यादा होता है।


Q. शीत श्रृंखला क्या है? समझाइए।

What is cold chain? Describe.


उत्तर- शीत श्रृंखला (Cold Chain) टीके को प्रभावी बनाए रखने के लिए निर्माण स्थल से लेकर टौका स्थल तक इन्हें उचित तापमान पर परिवहन एवं भण्डारण किया जाना चाहिए अन्यथा ये अपनी रोग प्रतिरोधकता उत्पन्न करने की क्षमता खो देते हैं। टीकों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए ही शीत श्रृंखला का उपयोग किया जाता है। शीत श्रृंखला को बनाए रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले यंत्र के तापक्रम की जाँच आवश्यक है तथा शीत श्रृंखला को बनाए रखने हेतु स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का उपयुक्का मार्गदर्शन व प्रशिक्षण आवश्यक है।


विभिन्न वैक्सीन्स के भंडारण हेतु आवश्यक उपयुक्त तापमान के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण तथ्य - 

1. पोलियो वैक्सीन को रोग प्रतिरोधकता को बनाए रखने के लिए इसका भंडारण 20°C पर होना चाहिए।


2. DPT वैक्सीन BCG, हिपेटाइटिस बी वैक्सीन टायफाइड वैक्सीन टेटनस टॉक्साइड आदि को 2.8°C तापमान पर सुरक्षित रखा जाना चाहिए। 


3. DPT वैक्सीन BCG टैक्सोन, DT वैक्सीन, हिपेटाइटिस बी वैक्सीन टेटनस टॉक्साइड तथा वैक्सीन के अनुकरण हेतु उपयोग में लिए जाने वाले पोल को ठंडे भाग में रखना चाहिए तथा इन्हें कभी भी जमने नहीं देना चाहिए।


4. खसरे के वैक्सीन को तैयार कर लेने के बाद एक घंटे के अन्दर ही उपयोग में ले लेना चाहिए।

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